असली नकली दारू के फेर में फसा उपभोगता, क्यूआर कोड से हो रहा खेल
रायपुर। सरकार के नियंत्रण वाली दुकानों से बिकने वाली शराब असली है या नकली, यह जानने का पैमाना उपभोक्ताओं के पास नहीं है। छत्तीसगढ़ में आबकारी विभाग अपनी एजेंसी छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड के जरिए प्रदेश में शराब की बिक्री करता है। उपभोक्ताओं के पास जांच का कोई पैमाना नहीं होने के कारण इस व्यापार से संबंधित कुछ लोग समानांतर शराब बेचने का कार्य कर रहे हैं। यही वजह है कि आज छत्तीसगढ़ में इन दुकानों के मार्फत 35 से 40 फीसदी देशी और अंग्रेजी मदिरा की बिक्री अवैध रूप से हो रही है जिसका सीधा असर सरकार के राजस्व पर पड़ रहा है।
शराब असली है या नकली इसे परखने के लिए छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग ने शराब की बोतलों पर क्यूआर कोड लगाया है। स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड के एक आला अधिकारी के मुताबिक यह कोड यूनिवर्सल है और इसमें सभी जानकारियां संलग्न हैं। वहीं, आबकारी विभाग के एक अन्य अधिकारी का कहना है कि यह कोड केवल एक ही बार स्कैन किया जा सकता है, वह भी केवल शराब दुकानों के स्केनर से ही। यानी, मतलब साफ है उपभोक्ता शराब को स्कैन करके उसके बारे में जानकारी नहीं प्राप्त कर सकता।
हमारी टीम ने भी कई शराब बोतलों की स्कैन की लेकिन वे सभी स्कैन नहीं हो सकीं। अवैध रूप से फल-फूल रहे करोड़ों के इस कारोबार का यही मूल फंडा है, ताकि ग्राहक को असली और नकली का भेद पता ना चल सके। अमूमन, उपभोक्ता कोई भी सामग्री खरीदता है तो उसमें लगे हुए क्यूआर कोड के जरिए वह जब चाहे तब उस प्रोडक्ट की संपूर्ण जानकारी ले सकता है लेकिन छत्तीसगढ़ में यह बात शराब पर लागू नहीं हो रही है, क्योंकि अगर ऐसा कर दिया जाएगा तो करोड़ों का अवैध कारोबार बंद हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ में जहां शराब की असलियत को उपभोक्ताओं से छिपाया जा रहा है, वहीं देश में कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां उपभोक्ता मोबाइल एप्प के माध्यम से पूरी जानकारी हासिल कर लेता है। उत्तर प्रदेश के आबकारी विभाग ने भी कुछ महीनें पहले एक एंड्रायड एप लांच किया है। उपभोक्ता इस एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करके खरीदी गई शराब के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल कर सकते हैं। इस बार-कोड व क्यूआर कोड की स्कैनिंग कर शराब निर्माता की जानकारी, बॉटलिंग की तारीख व एमआरपी का विवरण आसानी से जाना जा सकता है। इससे कोई भी व्यक्ति नकली शराब की पहचान आसानी से कर सकता है।
एक ओर जहां राज्य सरकार पैसों के अभाव में किसानों का धान खरीदने के लिए पापड़ बेल रही है वहीं, उसी राज्य में एक विभाग के अधिकारी हजारों करोड़ रुपए की राजस्व हानि कर सरकार को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
(इस अवैध कारोबार के खिलाफ यह मुहिम जारी रहेगी, आगे होंगे और बड़े खुलासे…)