November 24, 2024

भाजपा विधायक प्रह्लाद लोधी की विधानसभा सदस्यता रद्द, MP में शुरू हुई सियासत

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भोपाल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की पवई विधानसभा सीट से भाजपा विधायक प्रह्लाद लोधी (MLA Prahlad Lodhi) की विधानसभा सदस्यता शून्य कर दी गई है. मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रजापति (Narmada Prajapati) ने तहसीलदार से मारपीट के मामले में बीजेपी विधायक (BJP MLA) को दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद यह निर्णय लिया है.

इस फैसले के बाद विधानसभा सचिवालय ने कोर्ट के फैसले की कॉपी मंगाई और कुछ ही देर बाद प्रह्लाद लोधी की सदस्यता शून्य किए जाने की घोषणा कर दी. इस घोषणा से पवई विधानसभा सीट (Pawai Assembly Seat) खाली हो गई है, जिस पर अब उपचुनाव कराए जाएंगे. झाबुआ विधानसभा सीट (Jhabua By-election) पर हुए उपचुनाव का परिणाम आने के तुरंत बाद इस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम से भाजपा (BJP) को झटका लगा है. विधानसभा में पार्टी के विधायकों की संख्या घटकर अब 107 रह गई है. वहीं, विधानसभा स्पीकर के निर्णय के बाद मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है.

विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता शून्य होने को लेकर बीजेपी ने विधानसभा के अध्यक्ष के फैसले पर सवाल उठाया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने फैसले के बाद जारी बयान में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का यह निर्णय, सदन के अभिभावक के अनुकूल नहीं है. राकेश सिंह ने फैसले को अलोकतांत्रिक और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध बताया. उन्होंने कहा कि पवई विधायक को न्याय के लिए हाईकोर्ट में जाने का अधिकार है और हम जाएंगे भी. स्पीकर को इस दृष्टि से भी विचार करना चाहिए था. वहीं, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी फैसले के प्रति नाराजगी जताई है. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विधानसभा स्पीकर ने राजनीतिक द्वेष से यह फैसला लिया है. प्रह्लाद लोधी के पास उच्च न्यायालय जाने का मौका है, हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे.

मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधानसभा सचिवालय द्वारा पवई विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता रद्द किए जाने पर कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसका पक्ष रखने का अधिकार है. किसी भी व्यक्ति को अपनी बात रखने देना नैसर्गिक न्याय होता है. देश में कसाब और अफजल जैसे खूंखार आतंकवादी तक को सुनवाई का मौका दिया, लेकिन एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि जो जनता की सेवा में लगे रहते हैं, उनसे जुड़े मामले पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जल्दबाजी में की गई कार्रवाई निंदनीय है.

उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने बिना विचार किए सरकार के दबाव में जिस तरह आनन-फानन में कार्रवाई की वह सरकार के डर को दर्शाता है. भार्गव ने कहा कि इस पूरे मामले में हम कानूनविदों से चर्चा कर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

भाजपा विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता रद्द होने के मामले में भाजपा जहां इसे अन्यायपूर्ण और अनैतिक फैसला करार दे रही है, वहीं मध्य प्रदेश के सत्ताधारी दल कांग्रेस ने इसे कानूनी मामला बताया है. प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने विधानसभा सचिवालय के फैसले के बाद मामले पर प्रतिक्रिया दी. शर्मा ने कहा कि विधानसभा ने कोर्ट के फैसले के आधार पर निर्णय लिया है, अगर कोई इसके खिलाफ प्रतिक्रिया देता है, तो यह कोर्ट की अवमानना है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत किसी भी सांसद या विधायक को निचली अदालत से दोषी करार दिए जाने के बाद उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है. अदालत के फैसले के तहत दो साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर जनप्रतिनिधियों की सदस्यता बरकरार नहीं रह सकती है.

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