सावधान कहीं अगला शिकार आप तो नहीं:बहकावे में आकर कही आप न गवां बैठे अपनी मेहनत की कमाई:पढ़े अंकित सोनी का लेख
जोगी एक्सप्रेस
बहकावे में आकर गवां बैठोगे अपनी मेहनत की कमाई
सम्पूर्ण देश में जीएसटी का विरोध तो जोर शोर से हुआ यहां तक की कई लोगों ने सरकार को आम आदमी की जेब पर डाका डालने वाले की संज्ञा तक दे डाली, परन्तु सम्पूर्ण देश में रोज कोई ना कोई आम आदमी सच में अपने मेहनत की कमाई गवांता जा रहा है, हम आपको रूबरू कराने जा रहे है पूरे भारत देश में व्याप्त ठगों से जिनका उद्देश्य सिर्फ आम आदमी की मेहनत के कमाई को छिन कर ऐश करना होता है जरा सम्भल कर इन ठगों का अगला शिकार आप भी हो सकते है। मोबाईल का भरपुर उपयोग कर यह ठग दुर बैठे आम जनता की जमा पूंजी को डकारने में तनिक भी समय नही लगाते है। इनका उद्देश्य र्सिफ देश की अर्थव्यवस्था को हानि पहुंचाना होता है, एक तरह से देखा जाये तो यह ठग आंतकवादीयों की तरह ही होते है जैसे आतंक मचाने के लिए वो किसी भी मजहब और मजबूरों की परवाह न करते हुए उनकी जान ले लेते है उसी तरह यह भीतरघाती ठगों को भी न किसी मजहब से मतलब होता है न किसी बेसहारे की मजबूरी से कोई संवेदनायें इनके द्वारा बड़ी ही चतुराई से लोगों को बरगला कर उनकी जमा पूंजी को डकारा जाता रहा है। हर पल अपने नये शिकार की तलाश में इनके द्वारा कई लोगों से सम्पर्क साधा जाता है परन्तु इन तक पहुंच पाने में पुलिस प्रशासन को सफलता ना के बराबर ही मिलती है और अगर कोई फरीयादी शिकायत दर्ज कराने की सोचे भी तो यहां की चढ़ोतरी उसे शिकायत दर्ज कराने से रोक देती है।
ऐसे होती है आपके मेहनत की कमाई पर डाके की शुरूआत
इन ठगों का उद्देश्य आपको मात्र कंगाल बनाना ही होता है, आपको कंगाल बनाने की शुरूआत बड़े छोटे से वाक्या से होती है जिसमें पहले आपके पर्शनल मोबाईल नम्बर पर एक अंजान नम्बर से फोन आता है जिसमें फोन करने वाला व्यक्ति अपने आप को किसी अधिकृत बैंक के प्रमुख शाखा का अधिकारी बताता है। उसके द्वारा आपसे अनुरोध करके कहा जाता है की आपके पास जो ए.टी.एम कार्ड है उसकी वैधता समाप्त हो गई है और उस कार्ड की वैधता को बढ़ाने के लिए यह फोन किया गया है आप भी अपने कार्ड की वैधता पर ध्यान नही देते और उसकी बात पर आकर वैधता बढ़ाने हेतु उसकी सहायता करने को तैयार हो जाते है। फोन करने वाला ठग आपसे कार्ड नम्बर , कार्ड के पिछे का सी.सी.वी. नम्बर, की मांग करता है आप जब उस यह उपलब्ध करा देते है तो उसके द्वारा अपने कम्प्यूटर पर यह नम्बरों का इस्तमाल कर आपके फोन पर आये ओ.टी.पी (वन टाईम पासवर्ड) की मांग उस ठग के द्वारा की जाती है और जब आप उस ओ.टी.पी को उस ठग से साझा करते है उसके बाद कम्प्यूटर की र्सिफ एक क्लिक आपको कंगाल बना देती है आपके मेहनत की कमाई या तो वो ठग ऑनलाइन शापिंग में उड़ा देता है या फिर उन पैसों को अपने पास उपलब्ध खाते में स्थानांतरित कर लेता है। इन घटनाओं को इतनी तिव्र गति से अंजाम तक पहुंचाया जाता है की पीड़ित व्यक्ति को अपने ठगे होने का जब तक आभास होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
असहाय होती है पुलिस प्रशासन
ठगी होने के पश्चात पिड़ीत न्याय की गुहार लगाने कानून के रखवालों के पास शिकायत लेकर पहुंचता है जहां उसे न्याय का भरोषा दिला कर दक्षिणां लिया जाता है पहले से ठगा हुआ व्यक्ति यह दक्षिणा भी समर्पित कर देता है उसके पश्चात भी पुलिस प्रशासन उस शिकायत पर कुछ दिनों तक तो काफी गंभिर दिखायी पड़ती है परन्तु जैसे ही चंद दिन व्यतित हो जाते है यह शिकायतें भी पुलिस विभाग की संज्ञान से अंर्तध्यान ही हो जाती है। इसका एक कारण यह भी है की पुलिस विभाग के कर्मचारी उस मोबाईल नम्बर की जन्म कुंडली निकालने का जब तक मन बनाते है तब तक वह नम्बर ही बंद हो जाया करता है। फिर पुलिस विभाग भी सोचती है की कौन अपना सर दर्द करे जाने देते है, यह हम नहीं कहते इस प्रकार हुई ठगीयों में पुलिस विभाग को मिली सफलाताओं के आंकड़े बताते है। पिड़ीत 5 -10 बार थाने जाता है उसके बाद अंततः थक हार कर अपनी उपर बिते इस वाक्या को भूलने में लग जाता और पिड़ीत की शिकायत रद्दी के ढेरों में खो जाती है।