भाई दूज जानें पूरी विधि और कथा
भाई दूज या भैया दूज का त्योहार भाई और बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। ये पर्व भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। हर साल दिवाली के दूसरे दिन ही ये पर्व मनाया जाता है। इस खास दिन पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। जानते हैं इस साल भाई दूज कौन सी तिथि को मनाई जाएगी और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में।
भाई दूज की तिथि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। इस साल ये पर्व 29 अक्टूबर, 2019 (मंगलवार) को मनाया जाएगा।
भाई दूज का मुहूर्त
भाई दूज तिलक का समय- 13:11:34 से 15:25:13 तक
अवधि- 2 घंटे 13 मिनट
भाई दूज मनाने का तरीका
भाई दूज के अवसर पर बहनें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, सुपारी और मिठाई आदि रखकर भाई के लिए तिलक का थाल सजाती हैं। तिलक से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बना लें। शुभ मुहूर्त होने पर भाई को इस चौक पर बिठाएं और उनका तिलक करें। तिलक करने के बाद भाई को फूल, पान, बताशे, सुपारी और काले चने दें। इसके पश्चात् उनकी आरती उतारें। तिलक के बाद भाई अपने सामर्थ्य के अनुसार अपनी बहन को भेंट दे। आप भी अपने भाई को तिलक लगाने के बाद भोजन कराएं।
जानें यम और यमि की कथा
सूर्य के पुत्र यम और यमी भाई बहन थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे और इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा का आगाज हुआ। बहन यमुना के कई बार बुलाने पर एक दिन यमराज उनके घर गए। उनके आने पर यमुना ने स्वादिष्ट भोजन कराया और फिर तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। यमराज ने इसके बाद अपनी बहन यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा और यमुना ने उन्हें हर साल उसी दिन घर आने के लिए कहा ताकि वो इसी तरह उनका तिलक करें और उनकी खुशहाली की कामना कर सकें। यमुना की बात सुनकर यमराज बहुत खुश हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।