November 22, 2024

महाराष्ट्र, हरियाणा के चुनाव प्रचार में BJP के मुकाबले कांग्रेस फिसड्डी

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नई दिल्ली 

महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्टूबर को मतदान होना है. इसके लिए चुनाव प्रचार अब थम गया है. अब जहां मतदान का काउंटडाउन शुरू हो चुका है, वहीं दोनों ही राज्यों की सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही विपक्षी कांग्रेस और सत्ता बचाने की जद्दोजहद में जुटी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के प्रचार पर बात भी शुरू हो गई है. एक तरफ जहां सत्ताधारी दल ने प्रचार में अपना पूरा दमखम झोंक दिया, मुख्यमंत्रियों ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच पहुंचने का प्रयास किया, वहीं कांग्रेस इसे लेकर लाख दावे करे, लेकिन धरातल पर उसकी गंभीरता नजर नहीं आई.

राष्ट्रवाद, अनुच्छेद 370 और राज्य सरकारों के साथ ही केंद्र की मोदी सरकार के काम की नाव पर सवार भाजपा और कांग्रेस की ओर से प्रचार के लिए चुनाव आयोग को दी गई सूची और प्रचार कार्यक्रमों को देखें तो भी यही कहानी सामने आती है. कांग्रेस और भाजपा, दोनों ने ही महाराष्ट्र और हरियाणा के लिए 40-40 स्टार प्रचारकों की हैवीवेट लिस्ट बनाई थी. भाजपा के सभी स्टार प्रचारकों ने मैदान संभाला लेकिन कांग्रेस के किसी और प्रचारक की कौन कहे, नेहरू-गांधी परिवार की प्रियंका गांधी वाड्रा ही प्रचार से दूर रहीं. प्रियंका ने पूरे अभियान के दौरान एक भी रैली नहीं की.

पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी भी अपनी पूर्व निर्धारित सभी रैलियों को संबोधित नहीं कर पाईं और उनकी एक रैली पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को संबोधित करनी पड़ी. दूसरी तरफ महाराष्ट्र में कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने अधिक उम्र के बावजूद प्रचार की कमान थामे रखी और बारिश में भीगते हुए भी रैलियों को संबोधित किया. राहुल ने हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मंच साझा नहीं किया. वहीं महाराष्ट्र में राहुल की रैलियों से उनके करीबी माने जाने वाले मिलिंद देवड़ा और संजय निरूपम ने भी दूरी बनाए रखी.

पीएम मोदी की 25, राहुल की 7 रैलियां
कांग्रेस की ओर से पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रचार अभियान की कमान संभाली. राहुल ने महाराष्ट्र में चार और हरियाणा में तीन, कुल सात रैलियां कीं. वहीं भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही अकेले दोनों राज्यों में 25 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया. भाजपा की ओर से गृह मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दोनों राज्यों में कई रैलियां कीं. कांग्रेस ने आर्थिक मंदी के मुद्दे को हवा देने और मोदी सरकार को घेरने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को भी प्रचार में उतारा, लेकिन वह अपनी सरकार की गलतियां स्वीकार कर पार्टी की मन्शा को धता बता गए.

प्रचार पर क्या कहती हैं कांग्रेस
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के एक सूत्र ने प्रियंका गांधी की प्रचार अभियान से दूरी के पीछे वजह उनका स्वयं को उत्तर प्रदेश तक सीमित कर लेना बताया. कांग्रेस के नेता चुनाव में स्थानीय मुद्दों को हवा देने की रणनीति के तहत राष्ट्रीय नेताओं की प्रचार में सीमित भूमिका की वजह बता रहे हैं. राहुल गांधी की विदेश यात्रा को लेकर मचे बवाल पर कांग्रेस के सूत्रों ने उनके मेडिटेशन के लिए कंबोडिया जाने और सोनिया गांधी के बुलावे पर चुनाव प्रचार के लिए भारत आने का दावा किया है.

प्रचार से प्रियंका की दूरी रणनीति तो नहीं
कांग्रेस के नेता महाराष्ट्र और हरियाणा के प्रचार से प्रियंका गांधी की दूरी के पीछे भले ही कुछ और वजह बताएं, लेकिन राजनीति के जानकार इसे पार्टी की सोची-समझी रणनीति बता रहे हैं. राजनीति के जानकारों की मानें तो प्रियंका को उनके पति रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े हरियाणा के ही चर्चित जमीन खरीद मामले को तूल देने की भाजपाई कोशिश रोकने के लिए प्रचार से दूर रखा गया.

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