46वीं जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी की पहली सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ
बच्चों के मनमोहक नृत्य की प्रस्तृति ने दर्शकों का मन मोह लिया
रायपुर, राजधानी रायपुर के बीटीआई मैदान शंकरनगर में आयोजित बच्चों के लिए 46वीं जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी में आज पहली सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ हुआ। इस सांस्कृतिक संध्या में भारतीय एकता और समरसता देखने को मिला। विभिन्न राज्यों के आए हुए स्कूली बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की गई। 15 से 19 अक्टूबर तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत कोपलवाणी मूकबधिर स्कूल सुंदरनगर के बच्चों के गणेश वंदना की प्रस्तुति से हुई। इसी कड़ी में मयाराम सुरजन स्कूल की छात्राओं के समूह ने ‘राजस्थानी’ छटा बिखेरती पारम्परिक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। कोरबा से आए स्कूली बच्चों ने विलुप्त होती संरक्षित पहाड़ी कोरवा जाति की गौरा नृत्य के माध्यम से सजीव और मनभावन रूप से पारम्परिक जनजाति संस्कृति को पेश किया, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
वैशालीनगर स्कूल के द्वारा आदिवासी अंचल की जान करमा नृत्य मांदर के ताल में लयबद्ध प्रस्तुति उपस्थित सभी लोगों को थिरकने में बाध्य कर दिया। जे.आर. दानी गर्ल्स स्कूल के बच्चों के द्वारा राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर आधारित छत्तीसगढ़ की यही चार चिन्हारी-नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी को नृत्य-गीत के माध्यम से पूरी योजनाओं को बखूबी ढंग से की गई मनमोहक प्रस्तुति में पूरी योजना को पिरों कर रख दिया था। अभनपुर से आए बच्चों के द्वारा माता-पिता, अभिभावकों और वरिष्ठ जनों के सम्मान पर आधारित छत्तीसगढ़ी गीत पर नृत्य कर छत्तीसगढ़ महतारी की महिमा को इस तरह से प्रस्तुत कर मंच में छत्तीसगढ़ी रंगों को बिखेर दिया था।
कार्यक्रम में लावणी नृत्य के द्वारा महाराष्ट्र के सांस्कृतिक कला नृत्य राधे-राधे तेरे बिना कृष्णा लगे आधे ने सबसे ज्यादा ताली बटोरी। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय अंतागढ़ से आए बच्चों ने बस्तर की सुंदरता ‘आमचो बस्तर-सुंदर बस्तर’ आदिवासी अंचल के बस्तरिया संस्कृति के रंगों को पारम्परिक नृत्य कला का जीवंत प्रस्तुतिकरण काफी सराहनीय रहा। चंदखुरी से आए बच्चों ने पंथी नृत्य के द्वारा सतनाम पंथ को घासीदास बाबा के जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम के साक्षात दर्शन कराने में सफल रहे। कोपलवाणी के मूकबधिर बच्चों ने गांधी जी के जीवन पर आधारित नाट्य प्रस्तुति में लोगों को स्तब्ध कर दिया। कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण का केन्द्र भिलाई निवासी सोनी टीवी फेम अन्वेषा भाटिया की गणेश वंदना थी। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तोहड़ा (तिल्दा) के बच्चों ने छत्तीसगढ़ के पारम्परिक गेड़ी नृत्य में स्कूलों में मनाये जाने वाले ‘लईका मड़ई’ की झलक अपनी प्रस्तुति में दी और एनसीईआरटी की प्रस्तुति खड़ी साज और गुजरात प्रदेश की कच्छी नृत्य ने काफी सराहना बटोरी। इस अवसर पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद के संचालक श्री पी.दयानंद और शिक्षक-शिक्षिकाओं, बाल वैज्ञानिक सहित बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित थे।