9 करोड़ की 712 गड्ढों वाली सड़क की जांच भी नहीं करने जाते इंजीनियर!
बीजापुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और तेलंगाना (Telangana) के बॉर्डर पर बीजापुर (Bijapur) जिले के घोर नक्सल (Naxal) प्रभावित इलाके पामेड़ (Pamed) में बनी सड़क को लेकर एक नया तथ्य सामने आया है. 70 साल बाद 1200 जवानों की सुरक्षा में बन रही 12 किलोमीटर सड़क (Road) के निर्माण में भ्रष्टाचार के साथ ही लापरवाही भी की गई है. शहादत पर भारी भ्रष्टाचार के पहले भाग में हमने इसी सड़क में भ्रष्टाचार के आलम का खुलासा किया था. इसी सीरिज के दूसरे भाग में हम इसमें बरती जा रही लापरवाही के बारे में बताने जा रहे हैं.
बीजापुर (Bijapur) के नक्सलगढ़ कहे जाने वाले पामेड़ (Pamed) में 70 साल बाद पक्की सड़क बनाने की कवायद की गई. करीब डेढ़ साल पहले इस सड़क (Road) का निर्माण कार्य शुरू किया गया. इस सड़क (Road) के निर्माण के लिए सरकार ने 9 करोड़ 60 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं. 12 किलोमीटर की इस सड़क पर आवाजाही शुरू होने के 12 महीनों के भीतर ही 712 गड्ढे हो गए हैं. इनमें से कई गड्ढे तो जानलेवा भी हैं.
इस सड़क के निर्माण की गुणवक्ता जांचने का जिम्मा सरकार के नुमाइंदे सब इंजीनियर पीएस तंवर के कंधों पर था. पीएस तंवर ने न्यूज 18 को बताया कि काफी दिनों से वो फिल्ड ही नहीं गये हैं. जबकि सूत्र बताते हैं कि सड़क निर्माण के दौरान भी गुणवत्ता की जांच के लिए कभी कोई जिम्मेदार वहां नहीं गया. इतना ही नहीं 712 गड्ढों वाली इस सड़क पर मरम्मत शुरू कर दिया गया है, लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि इसकी जानकारी भी इंजीनियर तंवर को नहीं है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदारों की गैर मौजूदगी मजदूरों के भरोसे किए जा रहे मरम्मत कार्य में कितनी गुणवत्ता होगी.
बता दें कि पामेड़ की 12 किलोमीटर सड़क के निर्माण का जिम्मा बीजापुर के जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष जयकुमार नायर की कंस्ट्रक्शन कंपनी शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन को मिला है. इसके लिए जिला निर्माण समिति को कार्य एजेंसी बनाया गया है. जिला निर्माण समिति के अध्यक्ष जिले के कलेक्टर खुद होते हैं. सड़क का निर्माण 9 करोड़ 60 लाख 53 हज़ार रुपये से करवाया जाना था. जिसमें से 8 करोड 60 लाख रुपये का भुगतान निर्माण कार्य कर रही कंस्ट्रक्शन कंपनी को कर दिया गया है. कलेक्टर केडी कुंजाम का कहना है कि अभी सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है. कुछ जगहों पर ही सड़क खराब हुूई है. बडा सवाल यह है कि 712 बड़े गड्ढे क्या कलेक्टर साहब के लिए कुछ ही जगह होते हैं. एक और गौर करने वाली बात यह है कि कलेक्टर साहब कहीं भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई की बात नहीं कह रहे.