छत्तीसगढ़ की पांच जीवनदायिनी नदियों के पानी में हुई ऑक्सीजन की कम
रायपुर
छत्तीसगढ़ की पांच जीवनदायिनी नदी हसदेव, खास्र्न, महानदी, शिवनाथ और केलो का पानी जहर बनता जा रहा है। इन नदियों के पानी में एसिड की मात्रा लगातार बढ़ रही और ऑक्सीजन घट रहा है। हानिकारक कॉलिफार्म बैक्टीरिया भी मानक से चार गुना तक अधिक मिला है।
इन नदियों के पानी के तीन साल के केमिकल टेस्ट की रिपोर्ट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। न केवल नदियों, बल्कि उनके पानी से जनजीवन और फसलों को बचाने के लिए सरकार ने एक्शन प्लान तैयार कराया है और उसके क्रियान्वयन के लिए अलग से कमेटी भी बनाई है।
राज्य सरकार ने पांच प्रमुख नदियों के पानी का 2016, 2017, 2018 में केमिकल टेस्ट कराया, इसकी जो रिपोर्ट आई है, वह चौंकाने और चिंता में डालने वाली है। पानी में हाइड्रोजन की संभावना (पीएच) लगातार बढ़ती मिली है। हाइड्रोजन की मात्रा न्यूनतम सीमा को पार करके अधिकतम सीमा के करीब पहुंच गई है। भारतीय मानक के अनुसार हाइड्रोजन की मात्रा न्यूनतम 6.5 और अधिकतम 8.5 होनी चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार पांचों नदियों के पानी में पीएच यूूनिट सात को पार कर चुकी है। हाइड्रोजन की मात्रा बढ़ने का मतलब, पानी में एसिड बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण ऑक्सीजन कम हो रहा है। चार नदी हसदेव, खास्र्न, शिवनाथ और केलो के पानी में प्रति लीटर पर सात मिलीग्राम या उससे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन कम होना पाया गया है। मानक के अनुसार छह मिलीग्राम तक सामान्य है।
पांचों नदियों में कॉलिफार्म बेक्टिरिया की अधिकतम संभावित संख्या भी ज्यादा मिली है। भारतीय मानक के अनुसार प्रति 100 मिलीलीटर में अधिकतम 50 कॉलिफार्म बेक्टिरिया हो सकता है, लेकिन केमिकल रिपोर्ट के अनुसार नदियों के पानी में कॉलिफार्म बेक्टिरिया 46 से 350 तक मिला है। इस बेक्टिरिया से कमजोरी, अल्सर, अपचय, पेट में मरोड़ की समस्या होती है।
हसदेव कोरबा जिला, खास्र्न नदी रायपुर जिला, महानदी कांकेर, धमतरी, गरियाबंद जिला, शिवनाथ नदी बलौदाबाजार-भाटापारा जिला और केलो नदी रायगढ़ जिले के लोगों लोगों के लिए जीवनदायिनी है।
उद्योगों से निकलने वाली गंदगी व केमिकलयुक्त पानी को साफ करने के बाद नदी में छोड़ा जाएगा, इसके लिए अलग से कैचमेंट एरिया बनाना है। जो उद्योग ऐसा नहीं करेंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। नालों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) व डिस्पोजल प्लांट बनेगा।
औद्योगिक, व्यवसायिक व अन्य क्षेत्रों में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सख्ती से लागू कराया जाएगा, बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में पौधरोपण कराया जाएगा, ठोस अपशिष्ठ व प्लास्टिक को न केवल नदियों, बल्कि नाले-नालियों में भी जाने से रोका जाएगा, नदियों के बहाव का रिकॉर्ड नियमित रूप से बनेगा।
नदियों के पुनस्र्द्धार की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग, उद्योग विभाग को मिली है।