नहीं मान रहे पूर्व MP, पुलिस करेगी बंगले से बाहर
नई दिल्ली
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने लटियन दिल्ली में मौजूद सरकारी बंगले को खाली कराने के लिए दिल्ली पुलिस की मदद ले रही है। पुलिस उन पूर्व सांसदों के बंगले में भेजे जा रहे हैं जो कार्यकाल समाप्त होने पर भी आवास खाली नहीं कर रहे। मंत्रालय के संपदा विभाग ने सरकारी आवास के आवंटन की पात्रता नहीं रखने वालों से आवास सख्ती से खाली कराने के लिए हाल ही में संशोधित सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम के तहत सोमवार को सख्ती से बेदखली की कार्रवाई शुरू की। इसके तहत पूर्व सांसद हरि मांझी के नॉर्थ एवेन्यू स्थित आवास सहित तीन आवंटियों के घर पुलिस की मदद से बुधवार को खाली कराने का आदेश जारी किया गया है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि आवास खाली करने के नोटिस का तीन दिन में पालन नहीं करने या इसका उचित कारण नहीं बताने पर संशोधित कानून के तहत पुलिस द्वारा उक्त संपत्ति को सख्ती से खाली कराने का प्रावधान है। अभी तक 40 पूर्व सांसदों ने बार-बार नोटिस भेजने के बावजूद सरकारी बंगले खाली नहीं किए हैं। मांझी, पिछली लोकसभा में बिहार के गया संसदीय क्षेत्र से सांसद थे। उन्हें नॉर्थ एवेन्यू में 124 एवं 126 नंबर बंगला आवंटित किया गया था। इसके अलावा बुधवार को नॉर्थ एवेन्यू स्थित दो अन्य बंगलों को भी पुलिस की मदद से खाली कराया जाएगा। इन्हें पूर्व सांसदों के अतिथियों को आवंटित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह सरकारी बंगला खाली नहीं करने वाले 50 पूर्व सांसदों को संपदा विभाग द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में बंगला खाली करने या इसका जवाब देने का निर्देश दिया गया था। इनमें पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा, पूर्व सांसद और मध्य प्रदेश के मौजूदा सीएम कमलनाथ और एसपी की डिंपल यादव सहित 10 पूर्व सांसदों ने बंगले खाली कर दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि मंत्रालय ने सख्त प्रावधानों वाले सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम के तहत 230 पूर्व सांसदों के सरकारी बंगले खाली कराने की कार्रवाई शुरू की थी। नए कानून की सख्ती के बाद पूर्व सांसद कामेश्वर सिंह ने भी सरकारी आवास छोड़ दिया है। लोकसभा के 1967 में सदस्य रहे सिंह, बतौर अतिथि, साउथ एवेन्यू स्थित बंगले में रह रहे थे। उन्होंने अधिक उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मंत्रालय से बंगला खाली नहीं कराने का अनुरोध किया था, जिसे मंत्रालय ने कानूनी बाध्यता का हवाला देकर ठुकरा दिया।