कोरिया जिले में पाँव पसारे स्वाइन फ्लू ने श्रम वीर 57वर्षीय जमालुद्दीन की ले ली जान ,स्वास्थ्य अमला बना अनभिज्ञ
जोगी एक्सप्रेस
कोरिया/चिरमिरी. स्वाइन इंफ्लुएंजा को स्वाइन फ्लू के नाम से भी जाना जाता है जो कि इंफ्लुएंजा वायरस से होता है और यह वायरस सूअरों के श्वसन तंत्र से निकलता है। इस वायरस में परिवर्तित होने की क्षमता होती हैं जिससे यह आसानी से लोगों में फैल जाता है। मनुष्यों में खांसी, थकान, नजला, उल्टी आना, बुखार, दस्त, शरीर में दर्द आदि इसके लक्षण हैं।आयुर्वेद में इसे वात कफज ज्वर के नाम से जाना जाता है जो कि वात (हवा) और कफज (पानी) के बिगड़ने से होता है। यह श्वसन तंत्र से शरीर में प्रवेश कर हवा के रास्ते को बंद कर कफ, नजला, शरीर में दर्द जैसे लक्षण पैदा करता है।
कोरिया जिले के चरचा कॉलरी निवासी एसईसीएल कर्मचारी की स्वाइन फ्लू से बिलासपुर अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। सर्दी-खांसी की शिकायत पर बीते पखवाड़े बिलासपुर में भर्ती कराया गया था। जहाँ शुक्रवार की रात उसने दम तोड़ दिया। जांच में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए थे।
कोरिया जिले के चरचा कॉलरी निवासी एसईसीएल कर्मचारी की स्वाइन फ्लू से बिलासपुर अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। सर्दी-खांसी की शिकायत पर बीते पखवाड़े बिलासपुर में भर्ती कराया गया था। जहाँ शुक्रवार की रात उसने दम तोड़ दिया। जांच में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए थे।
गौरतलब है कि कोरिया जिले के चिरमिरी हल्दीबाड़ी निवासी पांच वर्षीय बालिका में भी जांच के दौरान स्वाइन फ्लू के लक्षण मिले है। बीते दिनों से उसका इलाज बालगोपाल चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल में चल रहा है। स्वाइन फ्लू का मामला सामने आते ही चिरमिरी क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है।
इधर स्वास्थ्य संचालनालय ने कोरिया सीएमएचओ को पत्र लिखकर चिरमिरी क्षेत्र में स्वाइन फ्लू की जांच कर एक रिपोर्ट प्रेषित करने कहा । स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाकर जांच चल ही रही है, इधर बैकुंठपुर से लगे चरचा कॉलरी निवासी एक एसईसीएल कर्मी की शुक्रवार को बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में स्वाइन फ्लू से मौत हो गई।
स्वास्थ्य अमला बना अनभिज्ञ
जानकारों के बताये अनुसार चरचा कालरी के निवासी जमालुद्दीन 57 वर्ष एसईसीएल के सीएचपी माइंस में मैकेनिकल फिटर के पद पर कार्यरत था। वह एक सप्ताह से सर्दी-खांसी से पीडि़त था। हालत लगातार बिगडऩे पर परिजनों ने उसे स्थानीय एसईसीएल अस्पताल चरचा में 5 अगस्त को भर्ती कराया गया था। यहां डॉक्टरों के इलाज के बाद भी हालत सुधर नहीं रही थी।
स्थिति बिगड़ता देख डॉक्टरों द्वारा उसे आनन-फानन में बीते सप्ताह एसईसीएल बिलासपुर अपोलो अस्पताल रिफर किया था। यहां जांच में पता चला कि पीडि़त के दोनों फेफड़ों में नैनुनिया के कारण पानी की मात्रा अधिक होने से सूजन आ गई थी। इस सैंपल लेकर वहां के अन्य लैबों को भेजा गया था। लैब द्वारा जो रिपोर्ट पीडि़त परिवार को बताया गया उसमें जमालुद्दीन में स्वाइन फ्लू के लक्षण होने की पुष्टि की गई।
इधर डॉक्टरों द्वारा उसका लगातार इलाज जारी रहा । इसी बीच शुक्रवार की रात उसकी मौत हो गई। इसकी एक आदेशित कॉपी के साथ स्वास्थ्य संचालनालय ने सीएमओ कोरिया को पत्र के मध्यम से निर्देशित किया कि इसकी जमीनी स्तर पर जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करें। इधर जिले का स्वास्थ्य अमला आज भी इस मामले से अनभिज्ञ बना हुआ है।
जानकारों को नही कोई खबर
वही जिम्मेदार लोग फ़ोन पर इस पर चर्चा करना भी मुनासिब नहीं समझ रहे ,कोरिया जिले के अंतर्गत आने वाले चिरमिरी नगर की तो जेसे दुर्गति नसीब बन गई है ,झोलाछाप डाक्टरों और बिना डिग्री धारी लैब संचालको की मनमानी रिपोर्ट से तो अयसा प्रतीत हो रहा जेसे एन संचालको को किसी का खौफ नहीं ,मरीज के कपड़ो के हिसाब से तय करते है फीस तय करते है !प्रसाशन की इसी अनदेखी के चलते ही असमय ही श्रमवीर जमालुद्दीन की मौत हो गई वही एक पाच वर्षीय बालिका स्वाइन फ्लू से पीड़ित रायपुर में इलाज करवा रही ! साफ़ सफाई के अभाव में कही ये बीमारी महामारी का रूप धारण न कर ले इस से पहले सुस्त पड़े प्रशासन को अपनी कुम्म्भ्कार्नी नींद से जागना होगा ,