राजकीय संरक्षण से बढ़ी तीजा की रौनक
रायपुर ,राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहारों को संरक्षण और महत्व देने से त्यौहारों की रौनक बढ़ गई है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तीजा पर पहली बार शासकीय अवकाश देने एवं मुख्यमंत्री निवास में तीजा-पोरा त्यौहार मनाने से पूरे प्रदेश में छत्तीसगढ़ी पर्व-परंपराओं को संरक्षित करने नया उत्साह पैदा हुआ है। तीजा के संबंध में नई तरह की खबरें आई हैं जो अभूतपूर्व है। प्रदेश में कहीं पीहर महोत्सव का आयोजन शुरू हुआ तो मायके पहुंची बेटियों को करूभात खिलाने की गांववालों द्वारा सार्वजनिक पंगत की व्यवस्था की गई। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में जब गणेशोत्सव की शुरूआत की थी तब लोगों को यह अंदाजा नहीं था कि आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को एकजुट करने यह उत्सव बड़ी ताकत बनेगा। छत्तीसगढ का तीजा पर्व बेटियों के मान-सम्मान और महिला सशक्तीकरण का महाउत्सव है। छत्तीसगढ़ में लिंगानुपात बेहतर है,कन्या भ्रूण हत्या नगण्य है इसकी एक बड़ी वजह यहां बेटियों को मान-सम्मान देने तीजा जैसे पारंपरिक त्यौहार है। भविष्य में तीजा उत्सव छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का नया माॅडल बनकर उभरेगा। तीजा त्यौहार विवाह के बाद पिता के घर से विदाई के बाद उम्र के अंतिम पड़ाव तक महिलाओं को साल में कम से कम एक बार मायके लौटने की वजह, आस और विश्वास देता है। हमारे घरों में नव वर्ष का कैलेंडर आता है तो कैलेंडर में पहला निशान तीजा के त्यौहार पर ही पड़ता है। पितृृसत्तात्मक भारतीय समाज में तीजा अपनी तरह का अनूठा पर्व है जो सत्ता का संतुलन मातृृ परंपरा की ओर झुका देता है। तीजा कृृषि आधारित अर्थव्यवस्था में महिलाओं के महत्व व योगदान को रेखांकित करता है। मानसून के आगमन के साथ खेती-किसानी में महिलाएं बराबरी से हिस्सा लेती है। धान की बुंवाई के लिये कड़ी मेहनत के बाद तीजा-पोरा त्यौहार अल्प विश्राम का समय है। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्रत, पर्व व त्यौहार मानसून के साथ आगे बढ़ते हैं। खेती का कार्य भी जरूरी है साथ ही उत्सव-त्यौहारों का आनंद भी जरूरी है। तीजा पर्व पर राज्य सरकार द्वारा अवकाश घोषित करने से महिलाओं के साथ पूरे परिवार को बड़ी राहत मिली है।