संतों के विचारों को अपनाने से जीवन में मिलती है पूर्ण सफलता: सुश्री उइके
राज्यपाल श्री शदाणी दरबार के श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव में हुई शामिल
राज्यपाल ने दी जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
रायपुर, राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके कल जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर श्री शदाणी दरबार तीर्थ रायपुर द्वारा आयोजित श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव में शामिल हुई। उन्होंने उपस्थित आमजनों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि मेरा यह सौभाग्य है कि शपथ ग्रहण लिए एक महीने भी पूर्ण नहीं हुए और मुझे इस पवित्र स्थल में आने का और संतों का आशीर्वाद लेने का भी अवसर मिला। संत और गुरूजन पूरे समाज को सहीं राह दिखाने का कार्य करते हैं, उनके विचारों और सीख को जो अपने जीवन में उतार ले, उसका जीवन पूरी तरह सफल हो जाता है। यह सिंध समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां पर दीन-दुखियों की सहायता के लिए स्वास्थ्य शिविर सहित अन्य महत्वपूर्ण कार्य किये जाते हैं। यही सच्ची मानव सेवा है। राज्यपाल ने शदाणी दरबार में संत गोविंदराम तथा साईं धुनीवाले साहेब के दर्शन किए और प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की।
राज्यपाल ने कहा- यहां आप लोगों के बीच आकर मुझे सुखद अनुभव हो रहा है। यह सिंध समाज के अनुयायिओं का आस्था का केन्द्र है, जिसमें पूरे देश और पाकिस्तान से भी हिंदू तीर्थयात्री इस पवित्र भूमि में आते रहते हैं। विभाजन के पश्चात सिंध समुदाय की बड़ी आबादी को विस्थापित होना पड़ा। उन्होंने बड़ा संघर्ष किया। यह खुशी की बात है कि सिंध समाज इस संघर्ष में भी न तो वे विचलित हुए, न ही टूटे जबकि अपने मूल्यों को उन्होंने सदा अक्षुण्ण रखा। उन्होंने अपनी उद्यमशीलता और उद्देश्यों के प्रति दृढ़ निष्ठा ने सफलता की ऊंचाइयां प्राप्त की। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में निरंतर कर्म का संदेश दिया था, सिंध समाज इस सूत्र के साथ निरंतर आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि दानशीलता की प्रवृत्ति भी सिंधी समुदाय की पहचान है। वे गरीबों के लिए लंगर खोल देना, प्यासों को पानी पिलाना, दीनदुखियों की मदद करना इत्यादि कार्य हमेशा करते रहते हैं। यह पुण्य का काम है। भगवान कृष्ण की भी यही सीख थी।
राज्यपाल ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन ही दर्शन है। कहा जाता है कि उनके स्मरण मात्र से कई तकलीफों से मुक्ति मिल जाती है। भगवान श्री कृष्ण ने भगवद्गीता के माध्यम से जीवन के उद्देश्य और जीवन जीने का तरीका बताया था। गीता ऐसा ग्रंथ है, जिसमें जीवन के हर मोड़ में आने वाले चुनौतियों और समस्याओं का समाधान मिलता है। श्रीकृष्ण गीता के माध्यम से सदैव निष्काम भाव से कर्म करने और उस पर विश्वास करने की प्रेरणा देते हैं। वे कहते हैं कि कर्म करना ही तेरे अधिकार में है, फल पर कभी नहीं। यह आज के इस युग में पूर्णतः प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण अपने हर रूप में अद्भुत एवं अद्वितीय हैं। वे जीवन के हर रंग में परिपूर्णता लिए हुए हैं। उनके जीवन का हर पहलु और रूप प्रेरणादायी है।
राज्यपाल ने अपने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष के कार्यकाल को स्मरण करते हुए बताया कि उस समय उनके द्वारा समाज के निचले और गरीब तबके के कल्याण के लिए कई कार्य किए गए। वे कार्यकाल के अंतिम दिनों तक लोगों की समस्याओं का समाधान करती रही। कार्यक्रम को संत श्री युधिष्ठिरलाल जी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर सांसद श्री सुनील सोनी, पूर्व विधायक श्री श्रीचंद सुंदरानी, श्री ललित जय सिंघानी, श्री सचिन मेघानी सहित समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।