वाणिज्यिक कर मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने जीएसटी पर व्यापार एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से की चर्चा
प्रतिनिधियों ने साझा किए अपने सुझाव, परेशानियों की भी दी जानकारी
व्यापार-उद्योग जगत की समस्याओं को लेकर विभाग गंभीर – सिंहदेव
रायपुर. वाणिज्यिक कर मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने आज यहां नवीन विश्राम भवन में विभागीय अधिकारियों तथा व्यापार व उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर जीएसटी पर विस्तार से चर्चा की। विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने बैठक में जीएसटी फाइलिंग में आ रही समस्याओं को सामने रखा। उन्होंने इसके सरलीकरण, क्रियान्वयन और सॉफ्टवेयर के संबंध में कई सुझाव दिए। श्री सिंहदेव ने उनके सुझावों पर विचार कर जीएसटी काउंसिल की बैठक में रखने की बात कही। वे जीएसटी पर अब हर तीन महीने में व्यापार-उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक कर विभाग व्यापार और उद्योगों की समस्याओं को लेकर गंभीर है और वे इस पर चर्चा के लिए हमेशा उपलब्ध हैं।
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री सिंहदेव ने जीएसटी फाइलिंग में व्यापारियों, व्यवसाईओं, उद्योगपतियों और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को हो रही परेशानियों को देखते हुए उन्हें चर्चा के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा कि जीएसटी को सरल, सुविधाजनक और प्रभावी बनाने इस संबंध में प्राप्त प्रासंगिक सुझावों को जीएसटी काउंसिल के सामने रखेंगे। उन्होंने इस पर नियमित चर्चा के लिए विभागीय अधिकारियों तथा उद्योग-व्यापार जगत के प्रतिनिधियों को शामिल कर तकनीकी सलाहकार समिति बनाने का भी सुझाव दिया।
बैठक में उरला इंडस्ट्रियल एसोशिएशन, छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स, भारतीय उद्योग परिसंघ (CII), कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेड्स (CAIT), रायपुर सेल टैक्स बार एसोशिएशन और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एसोशिएशन के प्रतिनिधियों ने जीएसटी के संबंध में अपने सुझाव और समस्याओं को साझा किया। वाणिज्यिक कर विभाग की सचिव एवं आयुक्त श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले और जीएसटी के विशेष आयुक्त शंकर लाल अग्रवाल भी बैठक में मौजूद थे।
बैठक में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने ई-वे बिल की अनिवार्यता केवल अंतरराज्यीय परिवहनों में लागू करने, जीएसटी फाइल करने के दौरान सॉफ्टवेयर में डॉटा संबंधी त्रुटियों को सुधारने का विकल्प देने, टैक्स से संबंधित लंबित कानूनी प्रकरणों के जल्दी निराकरण तथा पेनाल्टी व विलंब शुल्क के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने डेयरी उत्पादों पर जीएसटी का एक ही स्लैब रखने का भी सुझाव दिया। कैट के सदस्यों ने कंपोजीशन स्कीम के अंतर्गत शामिल व्यापारियों को भी इनपुट क्रेडिट दिए जाने का सुझाव दिया।