स्वाभिमान ही आदिवासी समाज की पहचान-प्रभारी मंत्री अनिला भेडि़या
आदिवासी समाज ने चार महत्वपूर्ण फैसले के लिए सरकार और मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया
विश्व आदिवासी समाज के दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन
कवर्धा, कबीरधाम जिले के प्रभारी व छत्तीसगढ़ शासन के महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण विभाग मंत्री श्रीमती अनिला भेंडि़या ने कहा कि आदिवासी समाज को पहले मूल निवासी के नाम से जाना जाता था, फिर बाद में इसे आदिवासी के रूप में पहचान मिली है। मुख्यतः यह समाज वनांचल और गांव में निवासरत है। इसलिए इस समाज के अजीविका का मूल साधन अपने जल-जंगल और जमीन में रहकर वनोपज को एकत्र करना और वहां कठिन परिश्रम से विषम परिस्थितियों में कृषि करना है। उनकी यही स्वाभिमानी व्यक्तित्व ही इस समाज की पहचान बन गई है।
दो दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिभाशाली युवक-युवतियों को सम्मानित किया गया। इसमें प्रतिभा सम्मान के तहत कक्षा दसवी में उत्कृष्ट अंक लाने वाले 54 विद्यार्थियों, कक्षा बारहवी में उत्कृष्ट अंक लाने वाले 11 विद्यार्थियों, खेल के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 22 विद्यार्थियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसी प्रकार समाज, साहित्य, कृषि, सांस्कृतिक संरक्षण, रक्तदान एवं चिकित्सा सेवा, नशा मुक्ति, बहादूरी, सेवा, महिला सशक्तिकरण, मीडिया, गोगों पूजा, प्रशासनिक सहयोग, उच्च शिक्षा से जुड़े बुद्धिजीवियों को भी प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पंडरिया विधायक श्रीमती ममता चन्द्राकर, कार्यक्रम की अध्यक्षता के रूप में कवर्धा के पूर्व विधायक योगेश्वर राज सिंह, प्रभाती मरकाम, जिला अध्यक्ष आसकरण धुर्वे एवं समाज के अन्य विशिष्ट पदाधिकारी मंचस्थ थे।
प्रभारी मंत्री श्रीमती अनिला भेडि़या ने कहा कि आज आदिवासी समाज में 42 अलग-अलग जनजातियां शामिल है। उन्होने कहा कि इस सभी जनजातियों के दूख-सुख में हमंे एकजूट होकर रहना चाहिए। उन्हांेने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वनांचल में रहने वाले आदिवासी समाज के हितों और संरक्षण की दिशा में लिए गए सभी फैसलों और निर्णयों की जानकारी देते हुए विस्तार से जानकारी भी दी। विश्व आदिवासी दिवस पर शासकीय अवकाश घोषित करने पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार वनांचल मे वाले मूल निवासी आदिवासियोें के उत्थान की दिशा में अनेक फैसलें लेकर समाज को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं। उन्होने समाज के युवाओं और महिलाओं को आग्रह करते हुए कहा कि आदिवासी समाज की रहन-सहन, वेश भूषा, बोली, संस्कृति, परंम्परा और सादगी जीवन शैली को जीवंत रखे, इसी से ही इस समाज की विशिष्ट और अलग पहचान है। कार्यक्रम को पंडरिया विधायक श्रीमती मतता चन्द्रकार और पूर्व विधायक योगेश्वर राज सिंह ने भी संबोधित किया।
विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आदिवासी के हित और संरक्षण तथा संवर्धन के दिशा में लिए गए चार महत्वपूर्ण निर्णय के लिए छत्तीसगढ़ सरकार एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया। यहां बताया गया कि पहला छत्तीसगढ़ सरकार तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पहली बार विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। सरकार का दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय बस्तर पर टाटा कंपनी द्वारा कारखाना स्थापित नहीं करने पर आदिवासियों की जमीन को वापस आदिवासियों को देकर सम्मान किया है। तीसरा निर्णय तेन्दूपत्ता तथा वनोजप का समर्थन मूल्य निर्धारित कर वनांचल में निवासरत आदिवासी समाज के जीवन को आर्थिक उन्नति और आत्मविश्वास बढ़ाने की दिशा में सार्थक फैसला बताया गया हैं। इसी तरह चौथा महत्वपूर्ण निर्णय कबीरधाम जिले के 80 वनाचंल गांवों में बाक्साईड खनन के लिए जमीन की बिक्री पर प्रतिबंध में हटाकर वनांचल में रहने वाले निवासियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। कार्यक्रम में श्रीमती अमरिका नेताम, श्रीमती तारा मरकाम, श्रीमती सुनिता कुंजाम, श्रीमती सुखईया मरकाम, श्रीमती रजनी धुर्वे, फागू राम मरकाम एवं समाज के अन्य विशिष्ट पदाधिकारी उपस्थित थे।