बड़ी खबर :हटौद समिति के संचालकों ने कृषक ऋण माफी तिहार का किया बहिष्कार
(भानु प्रताप साहू)
बलौदाबाजार। सहकारी समितियों पर छत्तीसगढ़ सरकार की नई परम्परा का शुरुआत से साख समितियों की सांसे बंद होने की कगार पर दिख रहा था जिसमे वर्तमान सरकार ने मोहर लगाते हुये अमल भी कर दिया। मामला कांग्रेस सरकार की ओर से कृषकों की ऋण माफी की प्रचार के लिए सहकारी समितियों का सहारा लेकर उनके अस्तित्व को समाप्त करने की पूरी तैयारी कर रही है। उक्त बातें कृषि साख सहकारी समिति हटौद के अध्यक्ष सत्यनारायण पटेल ने कही। श्री पटेल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कृषक ऋण माफी तिहार का आयोजन का सरकार सहकारी समितियों के अंशदान की राशी को व्यय कराने में तुली हुई है। कृषि साख सहकारी समिति हटौद के अध्यक्ष सत्यनारायण पटेल ने कहा कि कांग्रेस सरकार की इस गलत परम्परा का विरोध करती है। उन्होंने बताया कि कृषि साख सहकारी समिति हटौद के प्रथम सूची में 197 किसानों , द्वितीय सूची में 165 किसानों तथा तीसरी सूची में 613 किसानों का कुल 975 किसानों का ऋण माफी पत्र वितरण समिति में किया जा चूका है। सरकार कृषक ऋण माफी योजना का प्रचार प्रसार जनसंपर्क विभाग के माध्यम से छत्तीसगढ़ के जन मानस तक पहुंचाये। जिससे सहकारी समितियों का अस्तित्व बचा रहेगा तथा सरकार और जनता के बीच कड़ी के रूप में कार्य करती रहें। हमारे छत्तीसगढ़ की बहुत साख सहकारी समितियां ऐसी है कि हर माह अपने कर्मचारियों को वेतन समय पे नहीं दे पा रही है इस ओर सरकार की ध्यान आकृष्ट नहीं हो रही है बल्कि समितियों में थोड़े से लाभांश की उम्मीद क्या दिखी सहकारी समिति की सांसे रोक देने वाली परम्परा की शुरुआत की जा रही है। ज्ञातव्य हो कि वामन बली राम लाखे ने जिस धेय के
साथ सहकारिता की नींव रखी थी उस पर कांग्रेस सरकार पानी फेरते नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में वर्ष 2017 में सुखे के कारण अधिकांश समितियों में धान खरीदी का बोहनी भी नहीं हुआ था वर्तमान वर्ष भी पूरे प्रदेश में सुखे की स्थिति बनी हुई है और दूसरे ओर तिहार का उत्साह जारी। समिति अध्यक्ष ने कहा कि सहकारी समिति व्यक्तियों की एक स्वैच्छिक संस्था है। एक व्यक्ति किसी भी समय सहकारी समिति का सदस्य बना सकता है, जब तक चाहे उसका सदस्य बना रह सकता है और जब चाहे सदस्यता छोड़ सकता है। सहकारी समिति की सदस्यता समान हितों वाले सभी व्यक्तियों के लिए खुली होती है। एक सहकारी समिति का अपने सदस्यों से पृथक वैधानिक अस्तित्व होता है। एक सहकारी समिति का प्राथमिक उद्देश्य अपने सदस्यों की सेवा करना है, यद्यपि यह अपने लिए उचित लाभ भी अर्जित करती है। जिससे समिति के कर्मचारियों का मानदेय एवं अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था में उपयोग किया जाता है। किसानों के अंशदान की राशि से संचालित होने वाली सहकारी समितियों इस प्रकार के आयोजन से सदस्यों का हिस्सा एवं लाभांश राशि का दुरूपयोग होगा। उन्होंने सरकार से मांग किया कि कृषक ऋण माफी तिहार का आयोजन समिति स्तर पर न होकर जिला, ब्लाक तथा ब्रांच स्तर पर होना चाहिए जिसे किसानों की उपस्थिति सत प्रतिशत हो।