शिक्षा का अधिकार कानून के परिपालन में गंभीर नही है सरकार-बृजमोहन
रायपुर/19/07/2019/ रायपुर दक्षिण विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा वितरण में बरती जा रही अनिमितताओं और शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूलों में बच्चों के प्रवेश सहित विभिन्न मुद्दों को उठाया।
तारांकित, अतारांकित प्रश्नों के तहत बृजमोहन अग्रवाल ने विभागीय मंत्री से पूछा कि 1 जनवरी से 20 जून तक प्रदेश में वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत किन किन जिलों में कितने परिवारों को पट्टा वितरण किया गया है। इसके जवाब में विभागीय मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम द्वारा प्रस्तुत जवाब में बताया गया कि उक्त तिथि में 8908 परिवारों को व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरण किया गया है।
श्री अग्रवाल ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को प्रदान की जाने वाली शिक्षा के संबंध में प्रश्न रखा। उन्होंने पूछा कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र में कितने बच्चों को किन किन कक्षाओं में प्रवेश दिया गया है। प्रवेश हुए बच्चों के शैक्षणिक शुल्क के कब-कब का भुगतान कितने निजी स्कूलों का बकाया है तथा अधिनियम के तहत निजी संस्थाओं में प्रति विद्यार्थी कितनी राशि किस किस मद में प्रतिवर्ष दी जाती है। इसके जवाब में स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह की ओर से प्रस्तुत जवाब में बताया गया कि 20370 बच्चे अंग्रेजी माध्यम एवं 25430 बच्चों को हिंदी माध्यम में प्रवेश दिया गया है। उन्होंने भुगतान के संबंध में लिखित जवाब में कहा कि समय सीमा बता पाना संभव नहीं है। इसके साथ ही इस अधिनियम के तहत निजी संस्थाओं में प्रति छात्र शिक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति की राशि प्राथमिक स्तर पर 7 हज़ार रुपये अधिकतम, पुस्तक हेतु राशि 250 रुपये, गणवेश हेतु राशि 540 दी जाती है। एवं पूर्व माध्यमिक स्तर पर राशि 11400 अधिकतम, पुस्तके 450 रुपये, गणवेश हेतु राशि 540 रुपये स्कूलों को प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
इस संबंध में बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत वनवासी परिवार को पट्टा वितरण में सरकार गंभीर नहीं दिखती। उसी प्रकार शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने की मंशा भी इस सरकार में की नही है। पात्र बच्चों का स्कूलों में प्रवेश सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के अनुरूप निजी स्कूलों के साथ समन्वय बनाकर सरकार गरीब परिवार के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले इस विषय पर सरकार को गंभीर होना चाहिए।