4 दिनो मे “मलेरिया से मौत” तक पहुँचाने वाले CIMS मे अनियमितता,लापरवाही और कमिशनखोरि का बोल बाला।
CIMS मे जारी मौत का खेल, डाक्टर प्रबंधन और डीन सबकी सहमती पर।
• 75 घण्टे जाँच कर 2500 रूपय के अभाव मे मरीज को मौत की दहलिज़ पर लाकर अस्पताल की दहलिज़ के बहार फेकना अक्षम्य अपराध।
• भूपेश सरकार ने एक आदिवासी को अध्यक्ष बनाया एक को मंत्री पर 1 गरीब आदिवासी परिवार को किया मरने पर मजबूर।
• मौत पर लिपपोती कर दोषियों को बचा कर CIMS डीन ने उक्त घटना मे अपनी सहभागिता की पुष्टि की।
• उच्चस्तरीय जाँच,दोषियों पर कार्यवाही और पीडित परिवार को मुआवजे की है मांग।
बिलासपुर-CIMS बिलासपुर की लापरवाही से हुई 27 साल के युवक की मौत के मामले मे जनता काँग्रेस के ज्ञापन पर डीन की जाँच रेपोर्ट से फ़िर इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। आज जनता काँग्रेस ने शोकाकुल परिवार के साथ प्रेस कान्फ्रेंस कर सक्ष्यों के साथ CIMS प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।जिला ग्रमीण के जिला अध्यक्ष ज्वाला प्रसाद चतुर्वेदी जी और कार्यकरी अध्यक्ष विक्रांत तिवारी ने 12 जून के CIMS घेराव और ज्ञापन के जवाब मे आए डीन के लेटर पर अपत्ती दर्ज करते हूए मिडिया के सामने मृतक के परिवार को बैठा कर उनकी आपबीती उनकी ही जुबानी सार्वजनिक की। साथ ही CIMS प्रबंधन के लिखित कथन जिसमे प्रबंधन और डाक्टर की लापरवाही नही होना बताया गया है उसे मौत का खेल बताया।
जिला ग्रमीण अध्यक्ष ज्वाला प्रसाद चतुर्वेदी ने कहा की CIMS का निर्माण दूर दराज से आने वाले गरीबों को निशुल्क इलाज मुहैया करवाने किया गया था पर यहाँ तो मौत का खेल जारी है, जो डाक्टर प्रबंधन और डीन सबकी सहमती से चल रहा है।
कार्यकारी अध्यक्ष विक्रांत तिवारी मे दस्तावेजों को पेश करते हूए खुलासा किया की समुदायीक स्वास्थ केंद्र के दो कर्मचारी/डाक्टर पीडित परिवार का ब्यान लेकर आते हैं किन्तु CIMS प्रबंधन ना ब्यान लेता है ना ही CHC के ब्यान पर गौर करता है। बस घिसेपिटे लहजे मे लापरवाही छुपाने जाँच की रेपोर्ट पेश की गई है। 75 घण्टे मरीज की जाँच कर 2500 रूपय के अभाव मे मरीज को मौत की दहलिज़ पर लाकर अस्पताल की दहलिज़ के बहार फेकना अक्षम्य अपराध है। CIMS प्रबंधन की लापरवाही से ही युवक की मौत हुई। और जाँच के नाम पर लिपपोती करते हूए CIMS प्रबंधन ने उल्टा आरोप मृतक के परिवार पर लगा दिया जो की सम्वेदनहीनता की परिकष्ठा है।
विक्रांत ने आरोप लगाते हूए कहा की हम ने दोषी को चिन्हंकित कर कारवाही की मांग की थी किन्तु डीन ने प्रबंधन और डाक्टर को क्लीन चिट देकर ये सिद्ध कर दिया की इस पुरे प्रकरण मे डीन भी बराबर के दोषी हैं। मलेरिया से मौत तक पहुँचाने वाला CiMS आज लापरवाही,अनिमीत्ता और कमिशनखोरी के बोझ तले दबा हुआ है। जिसे मुक्त कराना हम सभी की जवाबदारी है।
इस मुद्दे पर भूपेश सरकार को आड़े हाँथो लेते हूए जनता काँग्रेस ने कहा की भूपेश सरकार 1 आदिवासी को मंत्री बनाती है,1 आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है जो स्वागतयोग्य है, किन्तु जो आखरी पंक्ति का आदिवासी है वो आज भी 2500 रूपय के अभाव मे मरने को मजबूर है। न्याय की मांग पर आरोप झेलने को मजबूर है। क्या सरकार 1 आदिवासी परिवार को न्याय दिलाने नींद से जगेगी या आदिवासियो के प्रती उनकी जिम्मेदारी बस पद बांट कर समाप्त हो गई है?
इसके पुर्व शोकाकुल परिवार ने अपनी बात मिडिया के सामने रख कर न्याय की गुहार लगाई मृतक के पिता ने बताया की Cims मे 5 जून को शाम 5:30 बजे ऐडमिट करने के बाद नीचे तले पर 1 इन्जेक्शन लगा कर छोड दिया गया रात भर कोई देखने नही आया। 6 जून को प्रथम तले पर भेज कर सुबह शाम दो बॉटल चढा दी गई और दिन भर कोई डाक्टर नही आया मेरा बेटा रमेश बुखार मे तडपत रहा। 7 जून को भी सिर्फ़ बाट्ल चढाई गई और 550 की एक खून जाँच करवाई गई। 8 जून को तीसरे तले पर भेजा गया जहाँ 2500 रूपय की मांग जाँच हेतू की गई। पैसे के अभाव मे हमे वहाँ से जाने कहा गया, हमारे गिडगिडाने पर भी कोई सुनने को तैयार नही हुआ। कोई बेटे को देखने को तैयार नही हो रहा था। जाने के लिए गाडी भी नही दी गई कहा गया अपनी व्यवस्था से ले जाओ। 10 बजे हमारे द्वारा गाडी की व्यवस्था की गई पर बेटा रास्ते मे ही दम तोड दिया। उसकी मौत का पुरी जवाबदारी Cims की है । हम न्याय चाहते हैं दोषियो पर कारवाही की मांग करते हैं । साथ ही जनता काँग्रेस ने इस मुद्दे को विधानसभा मे उठाने की बात की और बताया की मृतक की पत्नी 5 माह की गर्भ्वती है उसके आने वाले बच्चे के भविष्य को ध्यान मे रखते हूए सरकार से उचित मुआवजा, पीडित परिवार को देने की मांग रखी और न्याय मिलने तक मृतक रमेश अगरिया के परिवार के लिए हर संभव लडाई लड्ने की अपनी प्रतिबाध्ता दोहराई। प्रेस कान्फ्रेंस मे जिला अध्यक्षों और मृतक के परिवार के साथ पार्टी के पदाधिकारी, सुब्रत जाना, सुनील वर्मा,रितेश बाजपाई,दिपक राही राज बहादुर,संतोष मे शामिल थे।