कोयले की कहानी लोहे में भी दोहराने में लगी थी भाजपा की सरकार
छत्तीसगढ़ के कोयले और फिर लोहे को भी कैसे बेचा गया अडानी को ?
रायपुर- बैलाडीला के डिपाजिट नंबर 13 के साथ-साथ भाजपा की रमन सिंह सरकार में अडानी को दिये गये कोल ब्लाकों की सूची जारी करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पहले छत्तीसगढ़ का कोयला और फिर लोहा अडानी को दिया जाता रहा। लोहे-कोयले की इस बंदरबांट में नियम कायदे कानून और प्रक्रिया की धज्जियां भाजपा की सरकार ने उड़ाई। अपनी बी टीम, अपने सहयोगी दल के माध्यम से अब भाजपा अपने ही द्वारा किये गये आयरन ओर डिपाजिट और कोल ब्लाक के आबंटन पर कांग्रेस सरकार पर झूठे निराधार आरोप मढ़ रही है।
अडानी को बैलाडीला खदानों के तेरहवें निक्षेप दिये जाने की महत्वपूर्ण तिथियों से स्पष्ट है कि सब कुछ बीजेपी की रमन सिंह सरकार द्वारा योजनाबद्ध तरीके से किया गया है। बैलाडीला के 13वें निक्षेप का टेन्डर डाक्यूमेंट एनसीएल की बोर्ड की मीटिंग में 28.07.2018 को एप्रुव किया गया। लेटर आफ इंटेट एलओआई 20.09.2018 को जारी किया गया और 6.12.2018 को हैदराबाद में एनसीएल सीएमडी, एनएमडीडी के चेयरमैन और द्वारा अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर दिये गये। जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने 17 दिसंबर 2018 को शपथ ग्रहण किया है।
कोल ब्लॉक
क्षमता प्रतिवर्ष
किसे आवंटित है
MDO
परसा ईस्ट] केतेवासन
10mn ton
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन लिमिटेड
अडानी
परसा कोल ब्लाक
5mn ton
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन लिमिटेड
अडानी
केते एक्सटेंशन
16mn ton
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन लिमिटेड
अडानी
गारे पेलमा – 3
5mn ton
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जेनेरेशन कंपनी लिमिटेड
अडानी
गारे पेलमा – 2
22mn ton
महाराष्ट्र पॉवर जेनेरेशन कंपनी
अडानी
गारे पेलमा – 1
25mn ton
गुजरात मिनरल डेवेलपमेट कॉपोरेशन
अडानी
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह सरकार के समय भाजपा ने और भाजपा के सहयोगी दलों के छत्तीसगढ़ के हितों की चिंता की होती तो आज छत्तीसगढ़ के लोग आंदोलित नहीं होते। भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर छत्तीसगढ़ की बहुमूल्य खनिज संपदा भारतीय जनता पार्टी के मित्र उद्योगपतियों को सौंपने का शुरू से षडयंत्र कर रही है। इसके पहले राज्य की कोल खदानों पर अडानी का नियंत्रण के कुछ वर्ष पहले गड़करी के मित्र संचेती बंधुओ को भटगांव एक्सेंटशन I और II की खदाने सौंपी गयी। जिसका कांग्रेस ने व्यापक विरोध किया था। भारतीय जनता पार्टी की सकरार में राज्य की संपदा की बंदरबांट मचा रखी थी। भाजपा सरकार अपने चुनावी मद्दगार का कर्ज उतारने छत्तीसगढ़ के लोगों की धरोहर छत्तीसगढ़ राज्य की खनिज संपदा उपहार में दे रही है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अडानी को बैलाडीला की लोहा खदान देने में भाजपा की केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने एनएमडीसी और सीजीएमडीसी का दुरूपयोग किया है। अनुभवी खनन कॉन्ट्रैक्टर के रूप में अदानी की आवश्यकता क्यों पड़ी जबकि एनएमडीसी के पास पर्याप्त अनुभव है। इसके बावजूद अदानी को खनन कॉन्टेक्टर के रूप में लाना स्पष्ट रूप से अदानी को ठेकेदार बनाने वाली सरकारों की भाजपा की सरकारों की मंशा पर सवालिया निशान खड़े करता है। प्रदेश की कोयला खदानों को अडानी को सौंपने के बाद केन्द्र सरकार छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर जिला बैलाडीला की पहाड़ियों में स्थित उच्च क्वालिटी के लौह अयस्क भंडार को भी अडानी को सौपने की तैयारी की थी। कांग्रेस ने कहा कि अडानी को लौह अयस्क खदान सौंपने की कवायद में एनएमडीसी ने निजी क्षेत्रों की कंपनियों को माइन डेवलपर कम आपरेटर (डी.एम.ओ.) नियुक्त करने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के बाद ही एन.एम.डी.सी में निजी कंपनियों के प्रवेश का रास्ता खुला है। एनसीएल ने पिछले दिनो टेंडर जारी कर निजी कंपनियों से खनन के लिये प्रस्ताव मंगाए थे। चार कंपनियों ने खनन में रूचि दिखाते हुये प्रस्ताव दिया था। जिनमें तीन को अंतिम सूची में चयनित किया गया। इनमें गुड़गांव की अडानी, सेलम की त्रिवेणी और कोलकाता की अंबे कंपनी शामिल है। खनन कास्ट कम करने के उद्देश्य से आऊटसोर्सिंग के जरिये खनन का काम निजी कंपनी के देने का निर्णय लेने की बात कही जरूर गयी है, लेकिन इसमें पीछे की कहानी ही कुछ और है।