अमित शाह और धर्मेन्द्र प्रधान के बयान पर कांग्रेस हमलावर, अमित शाह छत्तीसगढ़ के चिटफंड घोटालों के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करे:त्रिवेदी
चिटफंड घोटालों में भाजपा का दोहरा चरित्र उजागर
कांग्रेस ने चिटफंड घोटालों पर भाजपा से पूछे सवाल
रायपुर/18 अप्रैल 2019। उड़ीसा में अमित शाह द्वारा चिटफंड घोटाले के आरोपियों को सत्ता में आने के 90 दिन के भीतर जेल के सीखचो के पीछे होने के बयान पर प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पूछा है कि छत्तीसगढ़ के बारे में अमित शाह और भाजपा क्या सोचते है स्पष्ट करें।
चिटफंड घोटाले के दोषियों को अमित शाह 90 दिन के अंदर जेल की सलाखों के पीछे डालने की बाते करने वाले छत्तीसगढ़ के बारे में स्थिति स्पष्ट करें?
उड़ीसा के गरीब लोगों के खून पसीने की कमाई खाने वालों के खिलाफ बोलने वाले अमितशाह बतायें छत्तीसगढ़ में गरीबों का क्या अपराध था जो भाजपा सरकार के संरक्षण में चिटफंड कंपनियों को लूटने दिया गया?
बीजू जनता दल के नेताओं पर आरोप लगाने वाले अमित शाह छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं के बारे में भाजपा की नीति स्पष्ट करें, जिनके खिलाफ नित नये सबूत पर सबूत स्पष्ट सामने आ रहे है?
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी अमित शाह छत्तीसगढ़ के चिटफंड घोटालों के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग करते हुये कहा है कि धर्मेन्द्र प्रधान छत्तीसगढ़ के प्रभारी रहे। उड़ीसा में चिटफंड घोटाले के आरोपियों पर निर्णायक कार्यवाही की बात कर रहे है, तो छत्तीसगढ़ में तो भाजपा के 15 वर्ष के चिटफंड घोटालों पर क्यों खामोश रहे?
15 सालों से भाजपा सरकार की नाक के नीचे छत्तीसगढ़ में 161 से अधिक चिटफंड कंपनियों ने एक करोड़ जनता ;21 लाख परिवारद्ध की खून पसीने की कमाई और जमापूंजी सब गबन कर ली। बीस लाख निवेशक परिवारों व एक लाख एजेंटों से 5000 करोड़ रु. से अधिक की ठगी हो गई तथा 57 लोगों की जानें चली गईं। 300 से अधिक एफआईआर दर्ज होने के बावजूद नौ साल में एक व्यक्ति को भी फूटी कौड़ी वापस नहीं मिली।
इस गोरखधंधे में डॉ. रमन सिंह सरकार का संरक्षण व साथ साफ है। खुद मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह; उनके सांसद पुत्र, अभिषेक सिंह; उनकी पत्नी, श्रीमती वीणा सिंह; भाजपाई मंत्री, सांसद व प्रदेश के आला अधिकारी ‘रोजगार मेलों’ के माध्यम से इन चिटफंड कंपनियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीधे तौर से शामिल हुए। सरकार द्वारा बाकायदा इन कार्यक्रमों के निमंत्रण दिए गए। भोली भाली जनता को लगा कि भाजपाई सरकार इन चिटफंड कंपनियों की साझेदार है और जीवन की सारी कमाई इन घोटालों और गड़बड़झालों में लुटा दी।
चिटफंड पर कांग्रेस के सवाल – जवाब मांगेंगे हर हाल
1. चिटफंड घोटाले के दोषियों को अमित शाह 90 दिन के अंदर जेल की सलाखों के पीछे डालने की बाते करने वाले छत्तीसगढ़ के बारे में स्थिति स्पष्ट करें?
2. उड़ीसा के गरीब लोगों के खून पसीने की कमाई खाने वालों के खिलाफ बोलने वाले अमितशाह बतायें छत्तीसगढ़ में गरीबों का क्या अपराध था जो भाजपा सरकार के संरक्षण में चिटफंड कंपनियों को लूटने दिया गया?
3. धर्मेन्द्र प्रधान छत्तीसगढ़ के प्रभारी रहे। उड़ीसा में चिटफंड घोटाले के आरोपियों पर निर्णायक कार्यवाही की बात कर रहे है, तो छत्तीसगढ़ में तो भाजपा के 15 वर्ष के चिटफंड घोटालों पर क्यों खामोश रहे?
4. बीजू जनता दल के नेताओं पर आरोप लगाने वाले अमित शाह छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं के बारे में भाजपा की नीति स्पष्ट करें। जिनके खिलाफ नित नये सबूत पर सबूत स्पष्ट सामने आ रहे है।
5. जब चिटफंड कंपनियों द्वारा छत्तीसगढ़ की 1 करोड़ जनता की गाढ़ी कमाई का 5000 करोड़ से अधिक फर्जीवाड़े से लूटा जा रहा था, तो मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह व भाजपा सरकार सोई क्यों पड़ी थी? 9 साल तक चलने वाली इस लूट को रोकने में रमन सिंह सरकार फेल क्यों साबित हुई?
6. छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार 161 से अधिक चिटफंड कंपनियों के फर्जीवाड़ा करने की मंशा से आयोजित किए रोजगार मेलों की मेजबान क्यों बनी थी? किसके आदेश पर जिला रोजगार अधिकारी इन चिट फंड कंपनियों को निमंत्रण दे रोजगार मेलों में आमंत्रित करते थे?
7. क्या यह सही नहीं कि मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह, उनके बेटे, अभिषेक सिंह, पत्नी वीणा सिंह, गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा व अन्य मंत्रीगण इन रोजगार मेलों में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होते थे, जिससे इन कंपनियों को सरकारी संरक्षण के चलते जनता को लूटने की छूट मिली? क्या मुख्यमंत्री रमन सिंह व उनकी सरकार इसके लिए सीधे सीधे जिम्मेदार नहीं?
8. क्या कारण है कि सेबी व केंद्र सरकार द्वारा साल 2009 से साल 2014 के बीच चिटफंड कंपनियों पर पाबंदी लगाने के बावजूद छत्तीसगढ़ में इन कंपनियों की लूट का खेल सरकार की नाक के नीचे फलता फूलता रहा? क्या इससे भाजपा सरकार की संलिप्तता साफ ज़ाहिर नहीं?
9. क्या कारण है कि 9 साल में 161 चिटफंड कंपनियों पर 310 एफआईआर दर्ज होने के बावज़ूद छत्तीसगढ़ की जनता से लूटी हुई गाढ़ी कमाई की एक फूटी कौड़ी भी वापस नहीं आई?
छत्तीसगढ़ के चिटफंड घोटालों के मुख्य तथ्य :
1. साल 2009 से 2017 के बीच रमन सिंह सरकार ने छत्तीसगढ़ के हर जिले में चिटफंड कंपनियों के रोजगार मेलों का आयोजन किया। इनका निमंत्रण बाकायदा जिला रोजगार अधिकारियों द्वारा जारी किया गया तथा मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह से लेकर, उनके बेटे अभिषेक सिंह, पत्नी वीणा सिंह व भाजपाई मंत्री तथा आला अधिकारी इन रोजगार मेलों में शामिल हुए। चिटफंड कंपनियों ने इन मेलों के माध्यम से मासूम युवाओं से छल किया व उनसे तथा भोली भाली जनता से हजारों करोड़ रुपया डकार लिया।
जिला रोजगार अधिकारी, जगदलपुर जिला बस्तर, कांकेर व कवर्धा द्वारा जारी किए गए 2010, 2011 व 2012 में निमंत्रण दी गयी थी। जिला अधिकारी कवर्धा के निमंत्रण से साफ है कि स्वयं मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री के पुत्र अभिषेक सिंह सांसद ने बाकायदा अनमोल इंडिया एग्रो फार्मिंग एवं डेयरीज़ केयर लिमिटेड द्वारा खोले गए अनमोल बचपन स्कूल के कार्यक्रम में शिरकत की तथा इन्होंने बाद में कंपनी व स्कूल, दोनों पर ताला लगा दिया। मुख्यमंत्री की पत्नी, श्रीमती वीणा सिंह ने इसी प्रकार याल्को कैरियर बिल्डिंग नामक कंपनी का शिलान्यास किया।
यही नहीं प्रदेश के गृहमंत्री, रामसेवक पैंकरा ने भी सनशाईन/बीपीएन कंपनी के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इल्ज़ाम यह भी है कि श्री पैंकरा ने सनशाईन/बीपीएन कंपनी के लोगों से भाजपा के पार्टी फंड में राशि भी दिलवाई। इसी प्रकार से भाजपा के अन्य मंत्रियों ने चिटफंड कंपनी के कार्यक्रमों में खुलेआम हिस्सा लिया तथा कंपनियों ने जनता का हजारों करोड़ रुपया डकार लिया।
2. साल 2010 से 2016 के बीच चिटफंड कंपनियों द्वारा पैसे की इस खुली लूट की शिकायतें सरकार व अधिकारियों को मिलती रहीं। कुछ कंपनियों के कार्यालय सील भी हुए। परंतु राजनैतिक संरक्षण के चलते इन सब कार्यालयों की सील दोबारा खोल उन्हें जनता से लूट की छूट दे दी गई। कंपनियों के कार्यालय की सील खोलने के बारे में दिनांक 24.11.2010, 21.11.2011, 22.03.2014, 07.06.2014, 25.06.2014, 31.01.2015, 03.08.2015 व 20.01.2016 को जारी पत्रों किए गए। इससे साफ है कि ठगी के सबूतों के बावजूद, भाजपा सरकार कंपनियों की सील खोलकर इन्हें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लूट का लाईसेंस दे रही थी।
3. SEBI व केंद्र सरकार द्वारा 2009 से 2014 के बीच व उसके बाद इन चिटफंड कंपनियों के धंधे पर पाबंदी लगाई गई, परंतु छत्तीसगढ़ में सरकार के संरक्षण में बगैर रोकटोक के इन चिटफंड कंपनियों की जनता की कमाई की लूट जारी रही। सेबी व केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए छत्तीसगढ़ में लूट का खेल खेलने वाली इन चिटफंड कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए गए।
4. छत्तीसगढ़ की जनता लुटती रही। 161 कंपनियों पर 310 से अधिक एफआईआर भी दर्ज हुई, परंतु एक फूटी कौड़ी लूटी गई राशि की वसूली नहीं हुई। इस बारे छत्तीसगढ़ की विधानसभा में दिए गए जवाब दिनांक 16.11.2016 है। 310 एफआईआर की है।
चोरी-धोखाधड़ी, फरेब व लूट के इस खेल के चलते चिटफंड कंपनियों के 57 प्रतिनिधियों ने आत्महत्या कर ली। कुछ की हत्या भी हो गई। परंतु सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।