दलितों के घर खाना खाने का सिलसिला, दलित प्रेम नहीं, हैं वोट की राजनीति:भगवानू नायक
• दलितों के घर खाना खाने का सिलसिला, दलित प्रेम नहीं, हैं वोट की राजनीति
• दलितों के घर खाना खाने से अच्छा, उन्हें अच्छा खाने और रहने लायक बनाते
• परिवर्तन थाली या पत्तल में नहीं,सत्ता की राजनीति में हो
• दलितों को पोजीशन के साथ पावर भी दो
जोगी एक्सप्रेस
रायपुर छ.ग. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश प्रवक्ता भगवानू नायक ने कहा देश भर में भाजपा नेताओं का दलितों के घर खाना खाने का सिलसिला लगातार जारी है और उसका जोर शोर से मीडिया में खूब प्रचार किया जा रहा हैं, दो दिन पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह जी पश्चिम बंगाल में दलित के घर खाना खाने का भी मीडिया में खूब प्रसारित किया गया है, इसके पूर्व भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह जी, यूपी के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी, कर्नाटक के भाजपा अध्यक्ष श्री येदिरूप्पा जी आदि भी सुनियोजित तरीके से दलित के घर खाना खाने का खूब प्रचार प्रसार किया जा चुका हैं और इन सबको एक असंभव घटना और कार्यक्रम के रूप मंे प्रस्तुत कर अनुसूचित जाति वर्ग को समाज में निम्न वर्ग होने का एहसास करवाया जा रहा हैं जो कि इस वर्ग का अपमान हैं, भाजपा का यह आकस्मिक रूप से दलित प्रेम नहीं बल्कि केवल और केवल वोट की राजनीति और अगले चुनाव की तैयारी हैं जिसे यह वर्ग भी भलिभांति जानता हैं और ऐसे कार्यक्रमों का विरोध पूर्व में किया जा चुका हैं। नायक ने कहा दलित के घर चमचमाती थाली या पत्तल में खाना खाने से अनुसूचित जाति वर्ग का उत्थान नहीं होने वाला हैं बल्कि ऐसे कार्यक्रम समाज में उंच नीच और असमानता को प्रगट करता हैं जिसके लिए भारतीय संविधान और सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं हैं। दलितों के घर खाना खाने से अच्छा होता यदि सरकार उन्हें अच्छा खाने और रहने के लायक बनाती, दलित नेताओं को पोजीशन के साथ ही पावर भी देती जिससे कि वे अपने समाज का उत्थान कर पाते। एक तरफ भाजपा नेताओं का यह सब कार्यक्रम दूसरी तरफ सराहनपुर में दबंगों के द्वारा दलितांे के 80 मकानों को जला दिया जाता हैं, अच्छा होता डाॅ. रमन सिंह जी दलित के घर खाना खाने के बजाय यदि सराहनपुर में उन पीडितों से मिल आते तो शायद उनका दुख और पीड़ा कुछ कम हो जाता हैं। मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह जी 5 बार विधायक रहे, 1 बार केन्द्रीय मंत्री रहे, 14 वर्ष से लगातार मुख्यमंत्री हैं लेकिन उन्होंने कभी दलितों की सुध नहीं ली यही कारण हैं कि दलित अत्याचार में छत्तीसगढ़ देश में नंबर 01 पर हैं जो कि राष्ट्रीय अपराध अन्वेषण ब्यूरो का रिर्पोट हैं।