पीसी घोष बने देश के पहले लोकपाल, राष्ट्रपति कोविंद ने लगाई मुहर
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को मंगलवार को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की पूर्व प्रमुख अर्चना रामसुंदरम, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन, महेंद्र सिंह और इंद्रजीत प्रसाद गौतम को लोकपाल का गैर न्यायिक सदस्य नियुक्त किया गया है। न्यायमूर्ति दिलीप बी भोंसले, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती और न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी को भ्रष्टाचार निरोधक निकाय का न्यायिक सदस्य नियुक्त किया गया है। ये नियुक्तियां उस तारीख से प्रभावित होंगी, जिस दिन वे अपने-अपने पद का कार्यभार संभालेंगे।
न्यायमूर्ति घोष (66) मई 2017 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। वह 29 जून 2017 से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य हैं। इन नियुक्तियों की सिफारिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत चयन समिति ने की थी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उसे मंजूरी दी। चयन समिति में पीएम मोदी के अलावा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस रंजन गोगोई और प्रख्यात कानूनविद् मुकुल रोहतगी भी शामिल हैं।
लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत कुछ श्रेणियों के सरकारी सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिये केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान है। यह कानून 2013 में पारित किया गया था। ये नियुक्तियां सात मार्च को उच्चतम न्यायालय के अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से 10 दिन के भीतर लोकपाल चयन समिति की बैठक की संभावित तारीख के बारे में सूचित करने को कहने के एक पखवाड़े बाद हुई हैं। न्यायालय के इस आदेश के बाद 15 मार्च को चयन समिति की बैठक हुई थी।
नियमों के अनुसार लोकपाल समिति में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य हो सकते हैं। इनमें से चार न्यायिक सदस्य होने चाहिये। इनमें से कम से कम 50 फीसदी सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं होनी चाहिये।