ममतामई माँ मिनीमाता दया करुणा की सागर:बंजारे
रायपुर,छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेन्द्र पप्पू बंजारे ने मिनीमाता जयति के अवसर पर पंडरी बस स्टैंड रायपुर में मिनीमाता जी की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए बताया कि मिनीमाता सभी वर्गों में दया,करुणा एवं ममतामयी माँ के रूप देखी, जानी जाती रही है छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता को अनुसूचित जाति एवं महिलाओं के उत्थान के लिए किये गये कार्यों के लिए हमेशा याद किया जायेगा। असम में जन्मी मिनीमाता ने अपना कर्मभूमि छत्तीसगढ़ को बनाया। अविभाजित मध्यप्रदेश में बिलासपुर-दुर्ग- रायपुर आरक्षित सीट से लोकसभा की प्रथम महिला सांसद चुनी गईं। इसके बाद परिसीमन में अस्तित्व में आई जांजगीर सीट से उन्होंने लगातार 4 बार प्रतिनिधित्व किया। काँग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने बताया कि संसद में अस्पृश्यता विधेयक को पास कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। मिनीमाता ने प्रदेश की महिलाओं को एक नई पहचान दी। उनके नाम पर आज छत्तीसगढ़ में अनेक योजनाएं संचालित की जा रहीं हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है।मिनीमाता का मूल नाम मिनाक्षी देवी था। उनका जन्म सन् 1913 ई. में असम में हुआ था। अगमदास से विवाह होने के पश्चात् वे छत्तीसगढ़ आ गईं, तब से उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनके योगदान को याद करते हुए जहां छत्तीसगढ़ में अनेक योजनाएं संचालित की जा रहीं हैं वहीं सरकार ने छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन के अलावा प्रदेश के सबसे ऊंचे हसदेव बांगो बांध को मिनीमाता के नाम से पहचान दिया। कांग्रेस प्रदेश सचिव श्री बंजारे ने आगे बताया कि स्वतंत्रता पश्चात् लोकसभा के प्रथम चुनाव 1951-52 में संपन्न हुआ। मिनीमाता सन् 1951 से 1971 तक कांग्रेस सांसद के रूप में लोकसभा की सदस्य रहीं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंची मिनीमाता ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। सरल एवं सहज व्यक्तित्व की धनी ममतामई माँ मिनीमाता जी ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया। तात्काल
सार्वजनिक स्थानों पर उन्हें जाने की मनाही तो थी ही, वेद पुराणआदि सुनने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ था। सभ्य समाज का ऐसा चेहरा मिनीमाता को पीड़ा देने वाला था। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए अनुसूचित जाति वर्ग के नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने अस्पृश्यता अधिनियम को संसद में पास कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसके अलावा एक कदम आगे जाते हुए मजदूरों को एकजुट करने के लिए मिनीमाता ने छत्तीसगढ़ मजदूर संघ का गठन किया।।हवाई यात्रा बनी मिनीमाता की आखिरी उड़ान छत्तीसगढ़ के राजनेता रहे बिसाहूदास महंत और मिनीमाता के बीच भाई-बहन का मजबूत रिश्ता अंतिम दौर तक भी बरकरार रहा। जानकार बताते हैं कि सन् 1972 में कांग्रेस की तात्कालीन अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा विशेष कार्य के लिए मिनीमाता को दिल्ली बुलाया गया था। उस दिन भोपाल से दिल्ली चलने वाली एकमात्र विमान से बिसाहूदास दिल्ली जा रहे थे, उसी समय उनकी मुलाकात एयरपोर्ट में मिनीमाता से हुई और उन्होंने अपनी दिल्ली जाने का कारण बताया, जिस पर बिसाहूदास ने अपनी टिकट निरस्त करा दी, उसी विमान से मिनीमाता दिल्ली के लिए उड़ान भरी और वह उड़ान उनकी अंतिम उड़ान थी। यह प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें मिनीमाता की मौत हो गई थी। मिनीमाता के शव की शिनाख्त उनके हाथ में गोदना के निशान के कारण हो सका। बिसाहूदास और मिनीमाता के बीच भाई-बहन का इतना गहरा रिश्ता रहा था कि बिसाहूदास अपने जीवन पर्यन्त इसे अपना दुर्भाग्य मानने से भी नहीं चूकते रहे।