उपाधिधारक विद्यार्थी सामाजिक परिवर्तन के लिए कोई एक संकल्प लें : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राज्यपाल
रायपुर-कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से सामाजिक परिवर्तन के लिए कोई एक संकल्प लेने का आह्वान किया। राज्यपाल आज स्थानीय पं. दीनदयाल उपाध्याय सभागृह में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के चौबीसवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थी।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन का यह एक संकल्प बाल विवाह को रोकना, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना आदि कुछ भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन ऐसा बनाए जो दूसरों के लिए अनुकरणीय हो। अगर हम सारे देश में ऐसा कर पाएं तो अगले दस वर्षों में भारत फिर विश्व गुरू बन जाएगा।
राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों को मात्र शासकीय सेवा में ही अपना भविष्य नहीं खोजना चाहिए। वे कौशल विकास का प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार स्थापित करें। स्वयं भी स्वावलंबी बने और दूसरों को भी रोजगार दें। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जिसके माध्यम से आत्मविश्वास पैदा हो। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को इस प्रकार कर्त्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए ताकि उनको नियोजित करने वाला उस शिक्षण संस्था की तारीफ करे जहां से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की है।
राज्यपाल ने बड़ी संख्या में छात्राओं को पी.एच.डी. डिग्री और स्वर्ण पदक प्राप्त करने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि समय के साथ बालिका शिक्षा में काफी परिवर्तन आया है। पहले आठ-दस किलोमीटर की दूरी पर स्कूल हुआ करता था और कॉलेज पूरे जिले में एक। ऐसी परिस्थितियों में बालिकाओं को शिक्षा प्राप्त करने में काफी कठिनाई आती थी। अब विगत पन्द्रह-बीस सालों में बालिका शिक्षा की दिशा में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है।
उन्होंने कहा कि भारत को सशक्त करने के लिए महिलाओं को सशक्त करना होगा। उन्हें उद्यमिता और स्वावलम्बी बनने के लिए प्रेरित करना होगा। गुजरात में इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया कि वहां सखी मण्डल के माध्यम से करीब 2 लाख से ज्यादा महिलाओं को रोजगार का प्रशिक्षण दिया गया और वे अब प्रतिमाह बीस से पच्चीस हजार रूपए कमा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भ्रमण के दौरान उनका प्रयास होता है कि वे महिलाओं के स्वसहायता समूहों से मिले। राज्यपाल ने सुझाव दिया कि उद्यमिता के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले महिला स्वसहायता समूहों को काम देने में प्राथमिकता देने पर शासन को विचार करना चाहिए।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि उनकी पहल पर प्राथमिक शाला के बच्चों को दीक्षांत समारोह देखने के लिए बुलाया गया ताकि वे बचपन से नया देखें और उनमें कुछ बेहतर करने की ललक पैदा हो सके। उन्होंने सुझाव दिया कि शासन को यह प्रयास करना चाहिए कि वह प्राथमिक और हायर सेकण्डरी के बच्चों को राज्य और राज्य के बाहर शैक्षणिक भ्रमण पर भेजें ताकि उन्हें दुनिया का ज्ञान हो सके और उनमें जीवन में बेहतर करने की इच्छा पैदा हो सके।राज्यपाल ने कहा कि पी.एच.डी. के विषय मात्र डिग्री प्राप्त होने तक सीमित नहीं वरन् उनके निष्कर्ष पर अमल भी होना चाहिए। विदेशी विश्वविद्यालयों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां ऐसे रिसर्च में प्राप्त निष्कर्षों को सरकार को भी भेजा जाता है। इसी प्रकार देश में होने वाले बड़े-बड़े आयोजनों पर भी रिसर्च किया जाना चाहिए ताकि विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त हो सके। राज्यपाल ने बताया कि मध्यप्रदेश में उन्होंने दीक्षांत समारोह हर वर्ष आयोजित करने और दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों के माध्यम से सालभर की गतिविधियों पर आधारित प्रदर्शनी लगाने के निर्देश दिए हैं। इसी प्रकार प्रदेश को टी.बी. मुक्त करने और ग्रामीण विकास के लिए हर विश्वविद्यालय को गांव को गोद लेने के लिए कहा है। इस प्रयास से अब तक चार हजार बच्चों को टी.बी. रोगमुक्त किया जा चुका है।
नया रायपुर में बनाया जाएगा सॉफ्टवेयर पार्क: भूपेश बघेल
हर जिले में फूड पार्क के साथ वनौषधि पर आधारित उद्योग लगाने पर जोर
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज महाशिवरात्रि है इस शुभ अवसर पर विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और उपाधि दी जा रही है उन्हें मैं हार्दिक बधाई देता हूं। हमारा देश महात्मा गांधी के 150वीं वर्षगाठ मना रहा है, और यह अच्छा संयोग है कि गांधी जी के प्रपौत्र श्री गोपाल कृष्ण गांधी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का मानना था कि भारत गांवों में बसता है और वे गांवों को स्वावलंबी बनाना चाहते थे। छत्तीसगढ़ सरकार महत्मा गांधी के आदर्शों और सपनों के अनुरूप कार्य कर रही है और इसी पथ पर चलते हुए गांव के विकास के लिए नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी को आधार बनाकर योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण होने के पश्चात युवाओं के समक्ष सबसे पहले चुनौती रोजगार की होती है। राज्य सरकार ने इसे ध्यान मे रखते हुए निर्णय लिया है कि नया रायपुर में सॉफ्टवेयर पार्क बनाया जाएगा। इसी तरह हर जिले में फूड पार्क की स्थापना करेंगे साथ ही प्रदेश में वनौषधि पर आधारित उद्योग लगाए जाएंगे। इससे युवाओें को रोजगार मिलेगा और व्यवसाय भी फलेगा-फूलेगा।
असमानताएं बनाती हैं देश को कमजोर : गांधी
मुख्य अतिथि श्री गोपाल कृष्ण गांधी ने उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि इन विद्यार्थियों में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल है, करीब 20 से 25 साल पहले यह स्थिति नहीं थी। यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की उत्तरोत्तर प्रगति का परिचायक है। आशा है कि इसी तरह से भविष्य में विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं का इसी तरह बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व दिखाई दे सकेगा। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में 36 राज्य है और उन्हें लगता है कि छत्तीसगढ़ में पूरे भारत वर्ष की झलक तथा भारत में छत्तीसगढ़ की झलक दिखाई देती है। अनेकता में एकता और विविधता हमारी पहचान है। हमें कोई भी धर्म जाति के आधार पर विभाजित नहीं कर सकता। हमारे लिए इंसान सबसे पहले है। उन्होंने कहा कि खेद की बात है कि आज भी हमारे देश में कई प्रकार की असमानता है, जैसे अमीरी-गरीबी, साक्षरता-निरक्षरता, लैंगिंक असमानता और अंग्रेजी जानने या नहीं जानने वाले तथा डिजिटल या अन्य प्रकार की। यह असमानताएं देश को कमजोर बनाती है और देश को इनसे खतरा है। एकजुट होकर इन्हें दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश के सामने सबसे ज्वलंत समस्या बेरोजगारी है। युवाओं को पढ़ने-लिखने के बाद भी आवश्यकतानुसार रोजगार नहीं मिल पाता है, जिसके कारण समाज में मायूसी उत्पन्न हो होती है। इसे दूर करने के लिए समुचित कदम उठाने और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल ने कहा कि दीक्षांत-समारोह विद्यार्थियों व शोध उपाधि धारकों के जीवन में सबसे अविस्मरणीय क्षणों में से एक है। यह अकादमिक जीवन का वह बिंदु है, जहां से सामाजिक प्रक्रिया प्रारंभ होती है। यह समारोह आपको याद दिलाता है कि अब आप अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, अपनी क्षमताओं का उपयोग करने के लिए तैयार हैं। यह छत्तीसगढ़ का महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय हैं, जो पिछले 55 वर्षों से निरंतर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता आ रहा है। नेक ने विश्वविद्यालय को ’ए’ ग्रेड प्रदान किया गया है। आपके पास वर्तमान समय में असीम संभावनाएं हैं। आकाश की कोई सीमा नहीं, आप उच्च सपने देखें और अपना लक्ष्य निर्धारित करें। यदि आप दृढ़ संकल्प एवं दृढ़ विश्वास के साथ काम करते हैं, तो आपके लिए लक्ष्य प्राप्त करना कोई मुश्किल नहीं है।
कार्यक्रम में 340 विद्यार्थियों को उपाधि और 104 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। साथ ही विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं को फल भी वितरित किए गए। साथ ही इस अवसर पर मां शक्ति स्वसहायता समूह को सम्मानित किया गया। समूह की अध्यक्ष श्रीमती रत्ना वर्मा ने महिला सशक्तिकरण के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार महिलाएं छत्तीसगढ़ में जैविक खाद से लेकर ग्रामीण विकास के कार्य में उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलपति प्रोफेसर केशरी लाल वर्मा ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन पढ़ा। इस अवसर पर कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, कार्यपरिषद और विद्या परिषद के सदस्य, विद्यार्थियों के परिजन एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।