जनविरोधी फैसलों को बदलने के लिये भाजपा दे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद – त्रिवेदी
वेदांता की सोनाखान खदानों की लीज रद्द किये जाने का कांग्रेस ने किया स्वागत
रायपुर, बालकों को दी गई सोनाखान के जंगलों को रद्द किये जाने की छत्तीसगढ़ सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मात्र 27 टन सोने के लिए सोना खान को खतरे में डालने का रमन सिंह की भाजपा सरकार का फैसला पूरी तरीके से गलत और राज्य के हितों के खिलाफ सोनाखान के जंगलों पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर लोगों के खिलाफ, आदिवासियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ विरोधी, जनविरोधी फैसला था।
भाजपा सरकार के उस फैसले को बदलकर कांग्रेस सरकार ने सोनाखान क्षेत्र के 650 हेक्टेयर घने जंगलों के पेड़ों को ही नहीं बचा लिया, यहां पर रहने वाले लोगों को भी विस्थापित होने से बचा लिया। पिछली सरकार ने वेदांता को नियम विरूद्ध यह आबंटन किया था। इस फैसले में पर्यावरण और स्थानीय निवासियों के हितों की उपेक्षा कर सिर्फ वेदांता कंपनी के हितों का ही ध्यान रखा गया था।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के इस फैसले का विरोध भाजपा तिलमिलाहट में कर रही है। ठीक है पूर्ववर्ती भाजपा सरकार भी लोकतांत्रिक प्रणालियों से चुनी गयी सरकार थी, लेकिन किसी भी सरकार को यह अधिकार नहीं बन जाता कि वह जिनके द्वारा चुनी गयी है उन्हीं के हितों के खिलाफ फैसला करें। रमन सरकार अपने लोककल्याणकारी दायित्व को भूल कर कुछ विशेष लोगों के लिये काम करने लगी थी, इसीलिये उसके द्वारा लिये गलत और जनविरोधी फैसलों पर पुनर्विचार किया जाना और जनहित में निर्णय लिया जाना आवश्यक है। सोनाखान की खदान ही नहीं 5 डिसमिल से कम जमीनों की खरीद बिक्री पर भी भाजपा सरकार ने तानाशाही और जनता को परेशान करने वाला निर्णय लिया था इसलिये उसे भी बदला गया। भाजपा को कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद देना चाहिये कि उनके जनविरोधी फैसलों को वो जनहित में बदल रहे है।
5 बिजली कंपनियों को दो कंपनियों में समाहित करने का स्वागत – कांग्रेस
5 कंपनियों को दो कंपनियों में समाहित करने का कांग्रेस ने स्वागत किया है। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि दो कंपनी बनाने से कंपनी का खर्च कम होगा बेहतर समन्वय होगा और बिजली की दरें कम की जा सकेंगी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में जो बिजली की दरें हाफ करने का वादा किया था पांच कंपनियों की जगह दो कंपनी बनाने का फैसला उस दिशा में उठाया गया पहला कदम है जो लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं वह यह चाहते हैं कि प्रदेश में उपभोक्ताओं को आधी दर पर बिजली ना दी जा सके उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिलती रहे। केरल और हिमाचल प्रदेश में एक पंजाब और तमिलनाडु में दो दो और महाराष्ट्र में तीन जबकि पूरे हिंदुस्तान में पावर का सबसे बड़ा सेटअप महाराष्ट्र में है और छत्तीसगढ़ का पावर का सेटअप महाराष्ट्र का मात्र 10 प्रतिशत है 2009 में जब छत्तीसगढ़ सीएसईबी का पांच कंपनियों में विभाजन हुआ था कांग्रेस पार्टी ने और सीएसईबी के 10000 अधिकारी कर्मचारियों ने सड़क पर उतर कर इसका विरोध किया था 1 जनवरी 2009 को प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के और सीएसईबी के कर्मचारियों के विरोध के बावजूद जनता के विरोध के बावजूद पांच कंपनियां बना दी गई 29 जनवरी 2009 को शासन ने 1 रिव्यू रिपोर्ट बनाने के लिए कमेटी का गठन किया था लेकिन आज तक उस कमेटी की वह रिपोर्ट सामने नहीं आ सके 2009 में सीएसईबी के कर्मचारियों ने कहा था कि अगर 5 कंपनी नहीं बनेगी तो आगामी 5 वर्षों तक बिजली की दर बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी 2009 से लेकर 2019 तक 10 वर्षों में बिजली की दरों में छत्तीसगढ़ में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अब इस निर्णय से इस बेतहाशा बढ़ोतरी पर विराम लगेगा और बिजली उपभोक्ता को राहत मिलेगी।