किसान भूपेश ने बदली प्रदेश की राजनीति, वादों पर पहला फोकस
रायपुर,छत्तीसगढ़ में रविवार को आखिरकार कांग्रेस ने बहुमत से सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को नियुक्त कर दिया है।अब वे सोमवार को प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।किसान भूपेश ने निरंतर संघर्ष कर प्रदेश की राजनीति बदली है, अब उनकी कोशिश है कि कांग्रेस ने चुनाव में जो वाडे किये हैं उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाये। भूपेश बघेल पाटन जैसे कृषि प्रधान क्षेत्र से आने वाले प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष हैं। लगभग 4 वर्ष पूर्व उन्होंने प्रदेश कांग्रेस की बागडोर संभाली थी। उस समय कांग्रेस घोर अविश्वास, घोर आशंका एवं संगठन के बिखराव के नाम से जानी जाती थी।
झीरम घाटी कांड में कांग्रेस ने अपने बड़े नेताओं को खोने के बाद संंगठन ने वह कौशल नहीं दिखाया, जिसके कारण पिछले चुनाव में जीत दर्ज होनी थी। विद्याचरण शुक्ल, नंद कुमार पटेल और दिनेश पटेल सहित कई शहीद हुए। इस शहादत के बाद भी कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले विधानसभा और आम चुनाव में औसत दर्जे का रहा। इसका कारण यह था कि उनके समर्पण उनके शहादत को लोगों तक पहुंचाने में कांग्रेस कोई न कोई कसर छोड़ दी थी। इस विधानसभा चुनाव के ठीक पहले विगत 4 वर्षों से जो काम कांग्रेस में हुआ। उसने दबे पांव संगठन को पूरी तरह से मुस्तैद करने, बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं को तैयार करने, साथ ही साथ हर कार्यकर्ता जिला स्तर, ब्लाक स्तर और प्रदेश स्तर पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करना करना। यह विश्वास पैदा करना, कि वह अभी भी चुनौती में है और उसी चुनौती से सत्ता का परिवर्तन हो सकता है। इसी संगठन शक्ति, कौशल के कारण भूपेश बघेल ने संगठन को तरीके से तैयार किया और उसके बाद गाय-गरवा, नरवा-घुरवा को धुरी बनाकर उन्होंने कांग्रेस के घोषणा पत्र की तैयारी करवायी।
उसमें गांव के गरीब, किसान, मजदूर, बेरोजगार, महिलाओं इनको लेकर रणनीति बनाई और घोषणा पत्र में इसका समावेश कराया। इसका ही परिणाम था, जिसने आने वाले विकल्प के रूप में कांग्रेस को देखा और यही कारण है कि कांग्रेस की विजय आज हुई है। वह इतनी बड़ी विजय है जहां यह कहा जा रहा था कि हो सकता है कि इसमें जोगी कांग्रेस कोई कड़ा रोल प्ले करे। या एक्जिट पोल व आपीनियन पोल के नतीजे जोगी को किंग मेकर की भूमिका में दिखा रहे थे। वह पूरी तरह से खरिज हो गया और मीडिया के हल्कों या राजनीतिक विशलेषक इस बात को समझ नहीं पाए कि अंदर ही अंदर किसान और मजदूर कितना उद्वेलित था, और वह अपने धान को मंडियों तक लेकर भी नहीं जा रहा था और चुनाव आया लोगों ने कांग्रेस को इतनी बड़ी मार्जिन से जिताया कि जो-जो कांग्रेस के विधायक चुनकर आए हैं। अगर उनकी जीत का आंकड़ा देखें तो वह जीत का अंतर देखें तो वह अपने-आप में सारी कहानी कह देता है। चाहे वह मोहम्मद अकबर हो या अमितेश शुक्ला हो। कोई भी ऐसा विधायक जो कांग्रेस का चुनकर आया है।
वह एक बड़ी मार्जिन के साथ चुनकर आया है। इसका सीधा अर्थ यह है कि भूपेश बघेल ने अपने संगठन कौशल से पार्टी के लिए जो रोड मैप तैयार किया, जिसमें राहुल गांधी की रणनीति या प्रदेश के किसानों का दर्द था उसे समझने की कोशिश की और 15 साल के ब्यूरोक्रेट की मनमानी से शहरी जनता त्रस्त थी, शहर की जनता ने एक अलग तरीके का अपना मत कांग्रेस को दिया जो गांव के लोगों के मत से भिन्न था, शहर की जनता ने प्रशासनिक मनमानी के कारण शहरों में कांग्रेस ने अपनी पकड़ मजबूत की। गांव में कांग्रेस ने जिस तरह से किसानों, मजदूरों, बेरोजगारों को आकर्षित करने प्रयास किया उससे कांग्रेस एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभरकर आई। इसे लेकर भूपेश बघेल ने जो बड़ा काम किया है उसने कांग्रेस को विजय दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
आखिर कौन है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को रायपुर में हुआ। उन्होंने एमए तक की शिक्षा प्राप्त की। उनका विवाह 3 फरवरी 1982 को मुक्तेश्वरी बघेल के साथ हुआ। बघेल के एक पुत्र और 3 पुत्री हैं। वे मुख्य रूप से कृषि से जुड़े रहे। उनके पिता नंदकुमार बघेल का मुख्य व्यवसाय वर्तमान में भी कृषि है। बघेल की रुचि बचपन से ही साहित्यिक पठन, योग और खेलकूद के प्रति रही।
1980 में ली कांग्रेस की सदस्यता
उन्होंने 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली और 1993 में पहली बार विधानसभा के सदस्य चुने गए। मुख्य उपलब्धियों में बघेल ने जुलाई 2000 में रायपुर और बिलासपुर में स्वाभिमान रैली के माध्यम से प्रदेश में एक नई ख्याति प्राप्त की। सामाजिक क्षेत्र में अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए बघेल ने वृहद पैमाने पर छत्तीसगढ़ मनवा कुर्मी समाज रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और सेलूद में सामूहिक विवाह का आयोजन कराया। भूपेश ने अब तक 5 देशों की यात्राएं भी की है। उनमें आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, सिंगापुर और नेपाल हैं।
1990 से शुरू हुआ राजनीतिक कॅरियर
बघेल वर्ष 1990 से 1994 तक वे जिला युवक कांग्रेस दुर्ग ग्रामीण के अध्यक्ष रहे। 1993 में वे पहली बार निर्वाचित होकर अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए और तब से लेकर अब तक वे विधायक हैं। 1998 में उन्हें अविभाजित मध्यप्रदेश में राज्यमंत्री, मुख्यमंत्री से संबद्ध विभाग, जनशिकायत निवारण स्वतंत्र प्रभार नियुक्त किया गया। 1999 में वे अविभाजित मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री रहे। वर्ष 2000 में राज्य विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ शासन में राजस्व, पुनर्वास, राहत कार्य और लोक स्वास्थ्य विभाग मंत्री रहे। 2013 में पार्टी ने उन्हें छत्तीसगढ़ विधानसभा में कार्यमंत्रणा समिति का सदस्य मनोनीत किया। 2014-15 में बघेल छत्तीसगढ़ विधानसभा में लोक लेखा समिति के सदस्य मनोनीत किए गए।
सबसे ज्यादा मतों से मिली विजय
वर्ष 2013 में उन्होंने कुल मतदान का 83.20 प्रतिशत मत प्राप्त कर अपने निर्वाचन क्षेत्र पाटन से विजय हासिल की थी। 2018 के चुनाव में कुल 1 लाख 62 हजार 6 सौ 69 मतदाओं ने मतदान किया। उनमें से भूपेश बघेेल ने 84 हजार 3 सौ 52 मत प्राप्त कर विजय प्राप्त की। उन्होंने अपने प्रतिद्धंदी उम्मीद्वार को 27 हजार 4 सौ 77 मतों से हराया।