अंततः भाजपा नेता पीयूष त्रिपाठी को हुई सज़ा
अंबिकापुर, कथित भाजपा नेता सत्तीपारा निवासी पियुष त्रिपाठी को जिला न्यायालय ने शासकीय कार्य में बाधा मामले मे चार दिन कारावास की सजा दी है। न्यायालय ने माना कि पियुष त्रिपाठी ने सार्वजनिक स्थल पर शासकीय सेवा कर रही महिला आरक्षक को उसके काम में बाधा पहुँचाई।न्यायालय ने अपराधी पियुष त्रिपाठी पर जुर्माना भी लगाया है।
पियुष त्रिपाठी के विरुद्ध गंभीर मामले लंबित है जिनमें सरकारी राशन का घोटाला एक्ट्रोसिटी का मामला लंबित है।लेकिन यह कथित भाजपा नेता इस क़दर दबंग है कि सरगुजा पुलिस इस पर हाथ डालने में डरती है। पियुष त्रिपाठी के विरुद्ध एक्ट्रोसिटी का मामला लंबित है जिसमें उस पर आरोप है कि उसने पुलिस आरक्षक से ही जातिगत गाली गलौज कर जमकर हुज्जत की। इस मामले मे और लाखों के राशन घोटाले मे सरगुजा पुलिस यह हिम्मत नही जुटा पा रही कि उसे गिरफ़्तार करे।
पियुष त्रिपाठी पूर्व मे किसान मोर्चा का जिला महामंत्री बनाया गया था, और फिर उसे हटा दिया गया। लेकिन आप यह जान कर चौंक जाएँगे कि निर्वाचन आयोग को भेजे कई पत्रों मे इसने खुद का परिचय जिला महामंत्री के रुप मे दिया। ज़ाहिर है निर्वाचन आयोग के साथ भी सीधे सीधे धोखाधड़ी की गई है।किसान मोर्चा के ज़िलाध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने स्पष्ट किया है कि वो किसान मोर्चा किसी पद पर नही है। अनिल अग्रवाल समेत जवाबदेह पदाधिकारी खुद इस बात पर अचरज में है कि, जो किसी पद पर नही है उसने पद का उल्लेख कर निर्वाचन आयोग को सीधे तौर पर छल कैसे किया।
सजायाफ्ता होने के बाद भी चाल चरित्र और चेहरे की बात करने वाली भाजपा मे इसकी मौजुदगी हैरत में डालती है। सजायाफ्ता अपराधी पियुष त्रिपाठी भाजपा के मीडिया सेल में मौजुद है।
सजायाफ्ता अपराधी पियुष त्रिपाठी की दबंगई ऐसी है कि कई मौक़ों पर बेहद व्हीव्हीआईपी कार्यक्रमों के साथ साथ सरगुजा पुलिस के आला अधिकारियों के साथ खुले तौर पर नज़र आता है, लेकिन पुलिस की हिम्मत नही होती कि उसे लंबित मामलों में गिरफ़्तार कर ले। हालिया दिनों में प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम हुआ जिसमें सरगुजा पुलिस ने राजनैतिक मामले में वांछित भाजपा पदाधिकारियों को मंच तो दूर मैदान में आने से रोक दिया, वहीं पियुष त्रिपाठी पूरी ठसन से कार्यक्रम में मौजुद रहा।
सरगुजा पुलिस कप्तान सदानंद कुमार बेहद सख़्त अफसर माने जाते हैं पर उनके रहते हुए दो गंभीर प्रकरणों में कार्यवाही नही होना हैरत में डाल रहा है। सजायाफ्ता अपराधी पियुष त्रिपाठी पुलिस विभाग के आरक्षक से ही जातिगत गाली गलौज कर धमकाने के बाद निर्द्वंद घूम रहा है, और उस पर कार्यवाही ना होना पुलिस का ही मनोबल तोड़ रहा है। कुछ ऐसी ही हीलाहवाली राशन घोटाले मे की जा रही है, जिसमें तत्कालीन कलेक्टर के आदेश के बाद सजायाफ्ता अपराधी पियुष त्रिपाठी के खिलाफ एफआईआर हुई।