हजारों किसानों के चेहरों में अभी भी मायूषी नहीं मिला अबतक फसल बीमा का लाभ
उपभोक्ता फोरम तक पहुंचे किसान
रायपुर,देश व प्रदेश में आम तौर पर राजनीतिक पार्टियों के एजेंडों में गांव गरीब किसान होते हैं लेकिन क्या वे आज किसानों की सुध लेने की फुरसत कहाँ, यूं तो चुनावी साल में सरकार अपनी विकास की गाथा गाने व सरकार की उपलब्धियों को गिनाने अनेक यात्राओं व सभा कर करोड़ों रुपए खर्च कर डाले, लेकिन गरीब मजबूर किसानों को आज भी उनके हक का पैसा मिलना बांकी है,वैसे तो सरकार अपनी विकास यात्रा में किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि करोड़ों में बांटने का दावा करती रही लेकिन हजारों किसान फसल बीमा के लाभ से आज भी वंचित हैं,और उनके हाथ लगी है तो सिर्फ मायूषी,
लंबित प्रकरणों में मुख्यतः वे किसान हैं, जिन्होंने अपनी फसल का बीमा लोक सेवा केंद्रों (CSC) के माध्यम से ऑनलाइन कराए थे, अब उनको सोसायटियों और बीमा कम्पनी के दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, स्वयं मुख्यमंत्री के विधानसभा छेत्र वाले जिला में हजारों किसान आंदोलनरत थे लेकिन उनको भी सिर्फ हाथ लगी तो सिर्फ मायूषी, इस बीच कुछ किसानों को राशि का भुगतान होने के बाद भी हजारों किसान आज भी वंचित हैं,कुछ पात्र किसानों ने बताया कि उनके द्वारा बीमा कम्पनी के कार्यालय में संपर्क करने पर उनके प्रकरण को सही व पात्र भी बताया गया और बीमा भुगतान की राशि का उल्लेख भी करते हुए हफ्ता दस दिनों में पेमेंट की बात तो कही गई लेकिन महीनों गुजरने के बाद नतीजा सिफर ही रहा है,उधर बीमा कम्पनी से संपर्क करने पर विलंब का कारण बताते हुए जवाब मिला कि किसानों द्वारा जो जानकारी दी गई थी उसमें कुछ त्रुटि आई है जैसे बैंक खाता नम्बर व आईएफएससी कोड गलत अंकित है जिसकी वजह से ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर नहीं हो पा रहा है,और सोसायटियों के माध्यम से जानकारी मांगी जा रही है,और कुछ इसी तरह का जव्वाब सोसायटियो से भी मिला कि गलतियां है जिसकी सुधार के लिए किसानों से सम्पर्क किया जा रहा है और इस प्रक्रिया में समय लग रहा है,लेकिन इस बीच हजारों किसान आज भी मायुष भटक रहे हैं,
उधर किसानों की आवाज उठाने वाले किसान संगठन छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के महासचिव से संपर्क करने पर इस मामले में एक और दिलचसप पक्ष सामने आया उन्होंने बताया कि कुछ किसानों की जानकारी में जरूर त्रुटि थी लेकिन जिन किसानों को सुखा राहत राशि भी मिल चुकी है और उनकी समस्त जानकारी सही है और बीमा के लिए पात्र पाए गए हैं उनका भी पेंडिंग है, बीमा कम्पनी पर दबाव डालने पर कुछ लोगो का पेमेंट तो कर देते हैं और फिर भूल जाते हैं जानकारी मंगाने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ने लगते है, उन्होंने यह भी बताया कि ज्यादातर पेंडिंग केस उस कम्पनी का जिसको बदल दिया गया है यानी जिसको सत्र 17-18 के लिए अधिकृत किया गया था लेकिन उसे सत्र 18-19 के लिए काम नहीं दिया गया है इसीलिए कमबीमा कम्पनी ध्यान नहीं दे रही है । हम लगातार किसानों के हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं और उपभोक्ता फोरम में भी कुछ प्रकरण विचाराधीन हैं हमें कुछ प्रकरणों में हमें सफलता भी मिली है ,2000 के दावा में 30000 मानसिक क्षति के सांथ भुगतान का फैसला उपभोक्ता फोरम से किसान के हिट में हुआ है, ।लेकिन लचर व्यवस्था की वजह से किसान अभी भी मायूषी लिए किस्मत को कोसने मजबूर है,,इधर अधिकारी चुनाव कार्यो में व्यस्त हैं और अपने आपको किसानों के हितैषी बताने वाले नेताओं कोभी वोट और चुनावी भाषणों के अलावा कुछ सूझ ही नहीं रहा ,,लेकिन मायुष किसान सब जरूर समझ रहा है,।