रावणभाठा में होने वाले रावण दहन का ऐतिहासिक महत्व : मनोज
रायपुर । सार्वजनिक दशहरा उत्सव समिति रावणभाठा के तत्वावधान में इस वर्ष भी रावण दहन का कार्यक्रम किया जा रहा है। रावणभाठा में होने वाले इस कार्यक्रम का ऐतिहासिक महत्व है। 1660 बिम्बा जी राव और बलभद्राचार्य के प्रयास से स्थापित इस पौराणिक ऐतिहासिक दुधाधारी मंदिर का संस्कृतिक सरोकार बहुत प्राचीन और रोचक है। वैष्णव मत शाखा के रूप में स्थापित इस मंदिर की स्वयं में अनुपम छटा देखते बनती है। हमारे छत्तीसगढ़ की ऋषि संस्कृति के अनुरूप दूधाधारी मठ में अन्नकूट का कार्यक्रम, पालकी, शोभायात्रा, राम, रावण संवाद और आधुनिक तकनीक से इस कार्यक्रम के प्रति लोगों में गहरी दिलचस्पी और कौतुहल है। इस पारंपरिक तकनीक से इस कार्यक्रम के प्रति लोगों में गहरी दिलचस्पी और कौतुहल है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के जन-जीवन को जोडऩे का प्रयास सार्वजनिक दशहरा उत्सव समिति ने किया है। यह एक धार्मिक कार्यक्रम भी है इस दिन दूधाधारी मठ में भगवान श्रीराम चंद्र सहित सभी देवी-देवता और शस्त्रों की पूजा-अर्चना महंत की ओर से किया जाता है। जिसमें क्षेत्र की जनता उपस्थित रहते हैं। इस दौरान परंपरागत ढंग से अश्व पूजा भी की जाती है। पूजा के बाद पालकी और राम लीला मंडली रावण भाठा के लिए प्रस्थान करती है।
उक्त जानकारी समिति के अध्यक्ष मनोज वर्मा और संयोजक पंडित सुशील ओझा सलाहकार प्रभात मिश्रा और सचिव अमित साहू ने प्रेसवार्ता में कही।