October 26, 2024

जिले में हैं भाजपा के चाणक्य.. कइयों की नाव लगाई पर फिर खुद प्रत्याशी क्यों नही.

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सरगुजा : छत्तीसगढ़ में सियासी पारा चढ़ चुका है, और प्रदेश की हर विधानसभा में प्रत्याशियों की जोर आजमाइश का सिलसिला भी पूरे शबाब पर है, ऐसे में हमने सरगुजा की प्रेमनगर सीट पर दावेदारों के नाम पर एक नजर डाली और फिर दावेदारों की नब्ज टटोलनी चाही, जिसके बाद एक बात यह निकल कर आई की जातिगत वोट, चार दिनी चकाचौंध के दम पर मंत्रियो के करीब भटक कर खुद को विधायक पद के लिये उपयुक्त उम्मीदवार बताने वालों की भीड़ तो इस विधानसभा में बहुत है, लेकिन इसी बीच एक ऐसा नाम सामने आया जिसका इतिहास टटोलने पर पता चलता है की वो शख्स ना सिर्फ अपने क्षेत्र में बल्कि भाजपा और संघ को भी अपने पसीने से सींचा है, दरअसल हम बात कर रहे हैं, भीमसेन अग्रवाल की जो बचपन से ही अपने पिता की संघीय विचारधारा से प्रभावित होकर निरंतर शाखा जाया करते थे और फिर 1977 में आपातकाल के समय वो सक्रिय राजनीति में आ गये भीमसेन का संघ से तो बचपन का नाता रहा है, लेकिन जब आपातकाल में उनके पिता को गुप्तवास करना पड़ा तो मन मे एक पीड़ा ने जन्म लिया और फिर तत्कालीन प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के झंडे तले उन्होंने चुनावो में भी सक्रियता दिखाई, नतीजन भीमसेन अविभाजित सरगुजा के कद्दावर नेता बन गए, फिर चाहे सरगुजा भाजपा जिला अध्यक्ष का दायित्व हो या फिर प्रदेश कार्यसमिति में रहते हुये, अपने जिले में निर्वाचन की जिम्मेदारी सभी को उन्होंने बखूबी निभाया, और भाजपा की सोंच गांव गांव तक पहुंचाई, परिणाम स्वरूप जिले में भाजपा का कद बढ़ता चला गया, पंचायत चुनाव हो या निकाय चुनाव या फिर कोई और भीमसेन अग्रवाल ने हर चुनौती पर विरोधियों को अपना लोहा मनवाया है। कारण यह है की भीमसेन सामाजिक व खेल कूद जैसी गतिविधियों में भी खासे सक्रिय रहते हैं। और जिस वजह से लोगो के बीच उनकी अच्छी पैठ है, बहरहाल अब ऐसा लगता है की किंगमेकर इस बार खुद इम्तिहान में हिस्सा लेना चाहते हैं। और राजनीति के माहिर खिलाड़ी जो दूसरों की जीत तय करते हो उनको खुद की जीत कैसे सुनिश्चित करने है, ये बात वो भली भांति जानते है, लेकिन सब कुछ निर्भर है भाजपा हाईकमान के फैसले पर क्या भाजपा अपने इस आधार स्तंभ पर दांव आजमाएगी या फिर वही जातिगत वोट बैंक के चक्कर मे सामान्य सीट से किसी आदिवासी चेहरे को मैदान में उतारेगी। अलबत्ता इस सफर का एक अहम स्टेशन आने पर ही प्रेमनगर का राजनैतिक भविष्य देखा जा सकता है, और वह स्टेशन है टिकट वितरण का।

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