अमित शाह भारत का इतिहास पढ़ लें, राहुल गांधी की चार पीढ़ियों का हिसाब जान जायेंगे – कांग्रेस
रायपुर/ अमित शाह के द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से चार पीढ़ियों का हिसाब मांगे जाने पर कांग्रेस ने कड़ा प्रतिवाद किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि राहुल गांधी को चार पीढ़ियों का हिसाब देने की जरूरत नहीं है। शाह भारत की आजादी की लड़ाई से लेकर देश की आजादी के बाद भारत के नवनिर्माण के इतिहास का गंभीरता से अध्ययन कर लें उन्हें पं. मोतीलाल नेहरू ,जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी,राजीव गांधी और सोनिया गांधी तक के देश के प्रति किये गये योगदान और बलिदान का ज्ञान खुद हो जायेगा। अमित शाह इस प्रकार का बयानबाजी कर मोदी सरकार की चार साल और रमन सरकार की 15 साल की नाकामियों पर से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं। अमित शाह 4 साल में भाजपा की केन्द्र सरकार की चार योजनाओं के बारे में बतायें जो देश के आर्थिक विकास और नवनिर्माण, रोजगार के नये अवसर पैदा करने में सहायक साबित हुई हों। शाह अपने घोषणा पत्र के चार वायदों विदेश से कालाधन, हरेक खाते में 15 लाख, हर साल 2 करोड़ रोजगार, देने के बारे में किये गये वायदों का ही हिसाब दें दें। अमित शाह को हिसाब का इतना ही शौक है तो आजादी की लड़ाई में भाजपा और पितृ संगठन के योगदान का हिसाब देश की जनता को दें । देश जब 1947 में आजाद हुआ तब भाजपा के पितृ पुरूष दीनदयाल उपाध्याय 31 वर्ष के परिपक्व नौजवान थे। आज भाजपा सरकार की हर योजनायें उनके नाम पर की जा रही हैं,अमित शाह देश की आजादी की लड़ाई में दीनदयाल उपाध्याय के योगदान का हिसाब ही दें दें। अमित शाह जी आप से छत्तीसगढ़ की जनता हिसाब मांग रही है, राज्य से 27,000 से अधिक महिलायें लापता हो गयी। सरकार की नाक के नीचे मासूम बच्चियों से दुराचार की झलियामारी जैसी घृणित घटनायें हो जाती है। सरकारी नसबंदी शिविर में 17 महिलाओं की मौत हो गयी, पैसों के लिये महिलाओं के गर्भाशय निकाल लिये गये, नकली दवाओं के कारण 100 से अधिक बुजुर्गो की आंखों की रोशनी चली गयी अमित शाह इसका हिसाब दें दें। अमित शाह को छत्तीसगढ़ के बारे में और अध्ययन करने की सलाह देते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि शायद उन्हें जानकारी नहीं है कि आज भी छत्तीसगढ़ की 39 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे निवास करती है। उनकी सरकार के नीति आयोग प्रमुख अधिकारी बयान देते है कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के पिछड़ेपन के कारण देश की रैंकिंग गिरती है। छात्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के कुशासन के कारण आज भी राज्य के 70 फीसदी उपस्वास्थ्य केन्द्र चिकित्सकविहीन ,सुविधा विहीन है। आज भी प्रदेश में 44,000 से अधिक शिक्षकों के पद खाली है, बस्तर में लोग डायरिया और मलेरिया जैसी सामान्य बीमारियों में इलाज के अभाव में मौत का शिकार हो जाते हैं। नक्सलवाद को भाजपा सरकार ने नासूर बना दिया। अमित शाह कुछ भी कर लें, और कितनी भी जुमले बाजी कर लें छत्तीसगढ़ से भाजपा सरकार का पतन तय है, 2018 के चुनाव में भाजपा दहाई के अंक तक नहीं पहुंचेगी।