November 23, 2024

कुंडली से जानिए कब होगा भाग्योदय ?

0

रायपुर ,अपने जीवन में तरक्की करना कौन नहीं चाहता। हर रोज की भागदौड़, हर पल के परिश्रम के बावजूद जब उचित मुकाम हम नहीं पाते या अपनी मेहनत का सही मुआवजा हमें नहीं मिलता तो ह्रदय स्वत्तः ही यह सोचने पर मजबूर हो जाता है की क्या हमारे जीवन में भी कोई ऐसा समय आएगा ,या ऐसा कौन सा समय काल होगा जब हमें अपने प्रयासों का सही फल मिलने लगेगा। काश ऐसा कोई फ़ॉर्मूला होता जो हमें यह बता पाता कि अमुक समय हमारी भाग्य दशा के अनुकूल है तो आज एक साधारण भाषा में आपको यह जानने का सरल तरीका प्रसिद्ध ज्योतिषी डॉ. विश्वरँजन मिश्र आपको बता रहें हैं, इससे आप अपनी कुंडली में लगाकर परिणाम निकालने का प्रयास करें-
कुंडली में लग्न से नवां भाव भाग्य स्थान होता है। भाग्य स्थान से नवां भाव अर्थात भाग्य का भी भाग्य स्थान पंचम भाव होता है। द्वितीय व एकादश धन को कण्ट्रोल करने वाले भाव होते हैं। तृतीय भाव पराक्रम का भाव है। अतः कुंडली में जब भी गोचरवश पंचम भाव से धनेश, आयेश, भाग्येश, व पराक्रमेश का सम्बन्ध बनेगा वो ही समय आपके जीवन का शानदार समय बनकर आएगा। ये सम्बन्ध चाहे ग्रहों की युति से बने चाहे आपसी दृष्टि से बने। मान लीजिये की वृश्चिक लग्न की कुंडली है। अब इस कुंडली में गुरु चाहे मीन राशि में आये, या कहीं से भी मीन राशि पर दृष्टि डाले, साथ ही शनि भी चाहे मीन राशि पर आये या उस पर दृष्टि रखे, एवम इसी समीकरण में जब जब भी चन्द्रमा मीन पर विचरण करे या दृष्टिपात करे वह दिन व वह समयकाल उस अनुपात से शानदार परिणाम देने लगेगा।
इसी क्रम में एक सूत्र और देखिये। किसी भी कुंडली में जब जब भी तृतीय स्थान का अधिपति अर्थात पराक्रमेश अपने से भाग्य भाव में अर्थात कुंडली के ग्यारहवें भाव विचरण करने लगें तो समझ लीजिये की ये वो समय है जब जातक जितना अधिक मेहनत करेगा उतना अधिक आय प्राप्त करेगा। यहीं से जब पराक्रमेश अपने से दशम यानि लग्न से द्वादश भाव में जाएगा, जरा सी भी मेहनत जातक के काम धंदे को बरकत पहुँचाने का काम करेगी । गणित के छात्र जानते होंगे की माइनस माइनस सदा प्लस होता है। कुंडली में तृतीय व द्वादश भावों को दुष्ट भाव कहा गया है। इसी क्रम में माना जाता है की बुरा कभी बुरे के लिए बुरा नहीं करता अतएव इसे यूँ न समझकर की पराक्रमेश व्यय भाव में जाकर ख़राब फल देता है अपितु यह समझना चाहिए की अब जातक की मेहनत उसे समाज में नाम व स्थान दिलाने वाली है। जितना अपने कार्य में वह ईमानदारी से परिश्रम करेगा उसकी मेहनत उसे उतने ऊंचे मुकाम पर पहुंचाएगी। अतः यह जी जान से काम में जुट जाने का समय होता है।
_★★_
भविष्यवक्ता
(पं.) डॉ. विश्वरँजन मिश्र, रायपुर
एम.ए.(ज्योतिष), बी.एड., पी.एच.डी.
मोबाईल :- 9806143000,
8103533330

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *