कुंडली के आधार पर भविष्य में होने वाले रोग का निदान
रायपुर ,ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी जातक के जन्म लेते समय ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति उसकी मानसिक एवं शारीरिक विलक्षणताओं का निर्धारण करती है। इसे जन्म कुंडली के सटीक विश्लेषण से जाना जा सकता है।
यह निर्विवाद है कि जातक पर ग्रह तथा नक्षत्रों का जीवन भर प्रभाव बना रहता है, जिससे समय-समय पर जातक की मनोदशा, कार्यशैली और स्वास्थ्य आदि में बदलाव देखे जा सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के बारह भाव, उन भावों में बैठे ग्रह, जातक की जन्म राशि और उसके द्वारा पूर्व एवं वर्तमान जन्म में किए गए शुभ-अशुभ कर्मों के कारण उसका स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
बारह राशियों को शरीर के विभिन्न अंगों का प्रतिनिधि मानकर यह स्पष्ट किया गया है कि ये राशियां भी ग्रहों की दशा, अन्तर्दशा, प्रत्यंतर, सूक्ष्म और प्राण दशा आने पर अपने गुण के अनुसार रोग उत्पन्न करती हैं।
रोग और राशियों का मेल
मेष का संबंध सिर और मस्तिष्क से होता है। यह राशि नेत्र, मुख एवं सिर से संबंधित रोग जैसे मानसिक तनाव, अनिद्रा, उन्माद आदि दे सकती है।
मुख भाग से जुड़ी वृष राशि नेत्र, नाक, गले एवं श्वास नली से जुड़े रोग बनाती है।
वहीं शरीर की भुजाओं से संबद्ध मिथुन राशि के कारण रक्त विकार, मज्जा, फेफड़े तथा श्वास से जुड़े रोग होने की आशंका रहती है।
शरीर के सबसे महत्त्वपूर्ण अंग हृदय से जुड़ी कर्क राशि हृदय रोग और रक्त नलिकाओं की खराबी दे सकती है।
पेट यानी उदर भाग से जुड़ी सिंह राशि पेट के रोग जैसे एसिडिटी, पेट दर्द, गैस आदि उत्पन्न करती है।
कन्या राशि का संबंध कमर से होता है। यकृत, प्लीहा एवं आमाशय से जुड़े रोग, भोजन का न पचना आदि का कारण बन सकती है।
शरीर के बस्ती प्रदेश से जुड़ी राशि है तुला। जो मूत्र संस्थान से संबंधित रोग, डायबिटीज, प्रदर जैसी समस्याएं दे सकती हैं।
वृश्चिक राशि का संबंध गुप्त अंगों से माना गया है इसलिए इस राशि के जातक गुप्त रोग जैसे बवासीर, भगंदर, उपदंश, स्वप्नदोष, अति कामुकता से पीडि़त हो सकते हैं।
वहीं उरु भाग का संबंध धनु राशि से होता है, जो जातक में हड्डी, रक्त, मज्जा, मासिक धर्म एवं यकृत से जुड़े रोग को जन्म दे सकती है।
शरीर के जननांग अंग का संबंध मकर राशि से है। इसलिए यह राशि वात, शीत और त्वचा रोग के साथ-साथ ब्लडप्रेशर दे सकती है।
कुंभ राशि जांघ का प्रतिनिधित्व करती है। यह राशि शरीर में ऐंठन, दर्द, गर्मी, जलोदर एवं मानसिक संताप को उत्पन्न कर सकती है।
वहीं जातक के पैरों का संबंध मीन राशि से होने के कारण यह राशि त्वचा व रक्त विकार, एलर्जी, आमवात, गठिया आदि रोग उत्पन्न कर सकती है।
_★★_
भविष्यवक्ता
(पं.) डॉ. विश्वरँजन मिश्र, रायपुर
एम.ए.(ज्योतिष), बी.एड., पी.एच.डी.
मोबाईल :- 9806143000,
8103533330