माननीय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का स्वतंत्रता दिवस संदेश
रायपुर-सुराजी तिहार के पावन बेरा मा मोर जम्मो संगी-जहुंरिया, सियान-जवान, दाई-बहिनी अउ लइका मन ला गाड़ा-गाड़ा बधाई।
स्वतंत्रता संग्राम के सभी प्रसिद्ध और अनाम नायकों, राष्ट्र की सुरक्षा और नवनिर्माण में अमिट योगदान देने वाले वीरों और विविध प्रतिभाओं को मैं सादर स्मरण और नमन करता हूँ। हमारे लिए बहुत गौरव का विषय है कि सघन आदिवासी वन अंचल बस्तर में अमर शहीद गैंदसिंह, वीर गुण्डाधूर तथा मैदानी क्षेत्र में शहीद वीर नारायण सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर छŸाीसगढ़ में आजादी की चिंगारी सुलगाई थी, जिसे बाद में लाखों लोगों ने मशाल में बदल दिया।
मेरा सौभाग्य है कि स्वाधीनता दिवस पर, प्राणों से प्यारे तिरंगे झण्डे की छांव में खड़े होकर, आप लोगों को पन्द्रहवीं बार सम्बोधित कर रहा हूं। महान लोकतंत्र हमें यह अवसर देता है कि प्रत्येक व्यक्ति, प्रदेश और देश के विकास में योगदान दे सके। लगातार तीन पारियों तक आपके सेवक के रूप में मुझे काम करने का अवसर मिला। हर दिन के काम-काज में आप सबका मार्गदर्शन और सहयोग मिला, इसके लिए मैं जीवनभर आप सभी का आभारी रहूंगा। प्रदेश के किसानों, मजदूरों, कामगारों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, युवाओं, व्यवसायियों और हर वर्ग के लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर अथक परिश्रम किया, जिसकी वजह से आज छत्तीसगढ़ विकास की बुलंदियों को छू रहा है। देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाली विभूतियों ने जो सपना देखा था, उसे हम सब मिलकर पूरा कर रहे हैं। अनेक उपलब्धियाँ हासिल करने से नए-नए लक्ष्य तय करने में मदद मिली है।
आज मेरी आंखों के सामने 7 दिसम्बर 2003 का वह दृश्य याद आ रहा है, जब मैंने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उस समय आजादी के 56 साल बाद भी जनता भूख, भय, भ्रष्टाचार, बीमारियां, बेरोजगारी, दमन, शोषण, आतंक की वजह से त्रस्त थी। गांवों से शहरों तक हताशा ने पैर पसार लिए थे। बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर पूरा गांव पलायन के लिए उमड़ पड़ता था, क्यांेकि गांवों की हालत बेहद खस्ता थी। सिंचाई, खाद, बीज, पानी, कृषि ऋण, बिजली, सड़क, नहर-नाली, स्कूल, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने किसानों और ग्रामीणों की कमर तोड़ दी थी। लाखों अन्नदाताओं केे माथे पर डिफाल्टर होने का तमगा चिपका दिया गया था, उन्हेें न तो सम्मान की जिंदगी मिल रही थी, न पेट भर अनाज। छत्तीसगढ़वासियों के आत्मसम्मान और अस्मिता पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। विकास की उम्मीद तो दूर की कौड़ी थी, जिंदगी के लाले पड़ गए थे। हमें विरासत में क्या मिला था-
प्राकृतिक संसाधनों का अपार भण्डार,
जनता बेहद मेहनती और ईमानदार,
सही नीतियों-कुशल नेतृत्व से बेजार,
चारों ओर दुःख-दर्द और हाहाकार,
डरावनी काली रातों को सुबह का इंतजार।
ऐसी विकट परिस्थितियों में मुझे छत्तीसगढ़ राज्य के जनक श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी मिली थी। जब समस्याओं के पहाड़ के ऊपर खड़े होकर मैंने नजरें दौड़ाई तो घटाटोप अंधेरे में एक आशा की किरण दिखाई पड़ी जो ‘अंत्योदय’ की अवधारणा से निकल रही थी। पं. दीनदयाल उपाध्याय के इस सूत्र ने राह दिखाई कि समाज के सबसे अन्तिम व्यक्ति के दुःख-दर्द में भागीदार बनो, उसे राहत पहुंचाओ, उसे हौसला दो, उसका हाथ थामकर आगे बढ़ाओ। इस तरह अंत्योदय हमारी तमाम नीतियों और योजनाओं का आधार बना।
भाइयों और बहनों, तब मैंने कहा था कि ‘गांव-गरीब और किसान’ मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता होंगे। मैंने ‘सबके साथ-सबका विकास’ का संकल्प लिया था तो उसके बाद कभी मुझे पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा। मुझे जनता का बेशुमार प्यार मिला, सहयोग मिला, विश्वास मिला और ऐसा रिश्ता बना, जिसे मैं अपने जीवन की सबसे बड़ी पूंजी मानता हूँ। निरन्तर तीन पारी सेवा का सौभाग्य मिलने की वजह से हमारी सरकार की नीतियों और सुशासन की निरंतरता बनी रही।
हमने इस स्थिति को गहराई से देखा कि अधिक लागत और उपज का कम दाम मिलने का चक्रव्यूह तोड़े बिना किसानों का भला नहीं हो सकता। किसान भाई विवश होकर मुझे बताते थे कि महंगा कृषि ऋण लेकर वे दुष्चक्र में फंस चुके हैं और उनके भविष्य के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। ऐसे किसान भाइयों को तात्कालिक लाभ देने के लिए हमने समय-समय पर अल्पकालीन ऋण माफ किया। अन्नदाताओं की खुशहाली के लिए दिल और सरकार के खजाने खोल दिए। कृषि उपजों की उत्पादकता, उत्पादन, उपार्जन और वितरण प्रणाली की पूरी श्रृंखला में सुधार का महाअभियान चलाया। सिंचाई पम्पों की संख्या 72 हजार से बढ़ाकर लगभग 5 लाख तक पहुंचा दी, निःशुल्क बिजली दी, धान खरीदी केन्द्रों की संख्या दोगुनी की, पारदर्शी और ऑन लाइन प्रणाली लागू की व तुरंत भुगतान का इंतजाम किया। बिना ब्याज के कृषि ऋण दिया। कई तरह के अनुदान और सब्सिडी दी। 15 वर्षों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी और बोनस की राशि मिलाकर किसानों के घर लगभग 76 हजार करोड़ रूपए पहुंचाए।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष धान का समर्थन मूल्य, एकमुश्त 200 रूपए प्रति क्विटल बढ़ाने का जो अभूतपूर्व निर्णय लिया है, उससे हमारी धानी धरती के किसानी संस्कारों को बढ़ावा मिलेगा। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ से जो सुरक्षा कवच दिया गया था, उसके कारण हमारे 5 लाख 63 हजार किसानों को 1 हजार 295 करोड़ रूपए से अधिक का दावा भुगतान मिला है, जो अपने-आप में एक कीर्तिमान है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य जरूर पूरा होगा।
पन्द्रह वर्ष पहले की अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति की तकलीफों को याद करके मन कांप जाता है। वन क्षेत्रों में ऐसे बिचौलिये सक्रिय थे, जो चार-चिरौंजी जैसे मेवों से बदलकर नमक देते थे। बाकी सुविधाओं के बारे में तो सोचना भी बहुत दूर की बात थी। हमने न सिर्फ आयोडीनयुक्त नमक देने की व्यवस्था की बल्कि प्रोटीनयुक्त चना, सोलर लैम्प, चरण पादुका आदि वस्तुएं देकर उनका विश्वास जीतने की शुरूआत की।
हमने प्रदेश में जिलों की संख्या 16 से बढ़ाकर 27 की, जिससे आदिवासी अंचलों में 7 नए जिले बने और प्रशासन को जनता के निकट पहुंचाने में मदद मिली और सरगुजा आदिवासी बहुल अंचलों को विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज जैसी समस्त संस्थाओं से सम्पन्न किया। प्राधिकरण बनाकर स्थानीय विकास की मांगों को तत्काल पूरा किया। अब प्रदेश के सर्वाधिक नवाचार सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बलरामपुर-रामानुजगंज जैसे जिलों में हो रहे हैं। बीजापुर का अस्पताल, दंतेवाड़ा-सुकमा, कोरबा में एजुकेशन हब, बलरामपुर की इंटरनेट कनेक्टिविटी, आदिवासी जिलों में जैविक खेती से लेकर कड़कनाथ मुर्गा पालन और महिलाओं द्वारा ई-रिक्शा चालन जैसे अनेक कार्य नई इबारतें लिख रहे हैं। दंतेवाड़ा, सरगुजा और राजनांदगांव में भी बीपीओ शुरू हो गए हैं, जो न सिर्फ स्थानीय युवाओं को रोजगार दे रहे हैं, बल्कि उनकी प्रतिभा का सही इस्तेमाल करने में भी मददगार हो रहे हैं।
हमने तेन्दूपŸाा संग्रहण पारिश्रमिक दर 450 रूपए से बढ़ाते हुए 25सौ रूपए प्रति मानक बोरा तक पहुंचा दिया है। तेन्दूपŸाा के कारोबार से होने वाली आय का बोनस भी बांटने लगे, इस तरह लगभग 4 हजार करोड़ रूपए का भुगतान किया गया। बीमा योजनाओं के साथ ही चिकित्सा, शिक्षा और विकास की तमाम सुविधाएं दी गई। महुआ बीज, साल बीज, चिरौंजी गुठली, हर्रा, लाख रंगीनी, लाख कुसमी और इमली की खरीदी भी समर्थन मूल्य पर करने की व्यवस्था की गई। छŸाीसगढ़ लाख उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। वन अधिकार मान्यता पत्र वितरण के मामले में हम देश में पहले स्थान पर हैं। प्रदेश में लगभग पौने चार लाख वनवासी परिवारों को खेती के लिए साढ़े तीन लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि दी गई।
पहले सरकार की अनेक सुविधाआंे का लाभ लाखों लोग इसलिए नहीं उठा पा रहे थे, क्योंकि उनकी जातियों के नाम का हिज्जा और उच्चारण हिंदी एवं अंग्रेजी में अलग-अलग था। हमने इस समस्या का समाधान किया। जिला कॉडर बनाकर अधिसूचित क्षेत्रों के स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरी दी।
छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के बारे में कौन नहीं जानता ? लेकिन भरत लाल के बारे में बहुत ज्यादा लोग नहीं जानते होंगे। भरत लाल, कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड के गांव मन्नाबेदी निवासी खेतिहर मजदूर का बेटा है, जिसका चयन ‘डीटीयू’ दिल्ली के लिए हुआ है। बीजापुर जिले के तेन्दूपत्ता श्रमिकों के बच्चे, चेरामंगी गांव के टमल कुमार वासन और कोयसगुड़ा निवासी ओयम सुकलाल भी अब मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे हैं। अंत्योदय की ऐसी सैकड़ों मिसालें ‘ईब से इंद्रावती’ तक देखी जा सकती है।
हमारे गांवों के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी परिवारों के सैकड़ों बच्चे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ने के लिए लगातार चुने जा रहे हैं, इतना ही नहीं राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण कर केन्द्र व राज्य के बड़े-बड़े पदों पर भी पहुंच रहे हैं, जिसकी एक नई मिसाल हमारे नवगठित गरियाबंद जिले के निवासी देवेश कुमार ध्रुव हैं, जिन्होंने यूपीएससी में देश में 47वां स्थान हासिल करके छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है।
इन उपलब्धियों में हमारे अनेक नवाचारों ने बड़ी भूमिका निभाई है, जिसके तहत प्रयास, संकल्प, छू लो आसमान, यूथ हॉस्टल दिल्ली जैसी अनेक संस्थाएं स्थापित की गई हैं। राज्य के सभी जिलों में लाइवलीहुड कॉलेज की स्थापना, कौशल उन्नयन कानून और बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण की व्यवस्था के कारण हमारे युवा, देश की बड़ी-बड़ी संस्थाओं में रोजगार हासिल कर रहे हैं। बदलाव के सुखद अनुभवों के ऐसे हजारों उदाहरण आज छत्तीसगढ़ के जन-जीवन की नई पहचान बन गए हैं। सवाल यह नहीं है कि 2003 में किसने छŸाीसगढ़ को हताशा का, निराशा का, टूटे सपनों का और झूठे वचनों का प्रदेश बनाया था। बल्कि असली सवाल यह था कि उन हालातों में नौनिहालों और युवा सपनों की बगिया को कैसे महकाया जाए। इसलिए हमने शिक्षा की गुणवŸाा बढ़ाने के लिए ना सिर्फ स्कूलों की संख्या और सुविधाएं बल्कि शिक्षक-शिक्षिकाओं की संख्या भी बढ़ाई। जिसके कारण विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात राष्ट्रीय स्तर से भी बेहतर हो गया है। पढ़ाई का स्तर तेजी से सुधारने और नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए शिक्षाकर्मियों का नियमितिकरण किया। विकासखण्ड मुख्यालयों में ‘इंग्लिश मीडियम शासकीय प्रायमरी तथा मिडिल स्कूल खोलने, व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था भी स्कूल में करने जैसे कई नए कदम उठाए गए हैं।
हमारा युवा जगत अब उत्साह से लबरेज है क्योंकि अब, राष्ट्रीय स्तर के उच्च शिक्षण संस्थान का टोटा खत्म हो गया है। हमारे बच्चों को बाहर जाकर पढ़ने की मजबूरी खत्म हो गई है। आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी, एम्स, आईआईएम, केन्द्रीय विश्वविद्यालय आदि संस्थानों से प्रेरणा का संचार हो रहा है, जिससे छत्तीसगढ़ ‘शिक्षागढ़’ बन गया है, जहां बाहर के बच्चे भी पढ़ने आते हैं।
हमारे लगातार प्रयासों से प्रदेश में विश्वविद्यालयों की संख्या 4 से बढ़कर 13, मेडिकल कॉलेज 2 से बढ़कर 10, इंजीनियरिंग कॉलेज 14 से बढ़कर 50, कॉलेजों की संख्या 206 से बढ़कर 482, आदिवासी अंचलों में कॉलेजों की संख्या 40 से बढ़कर 71, उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 3.5 से बढ़कर 16 हो गया है। युवा प्रतिभाओं की दमक अब सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि खेल-कूद, शोध-अनुसंधान और हर क्षेत्र में दिखाई पड़ने लगी है।
भाइयों और बहनों, मुझे विकास के चमकते हुए कलश पर मजदूरों का चेहरा दिखता है, विकास की बड़ी-बड़ी इमारतों में पसीने से लिखी हुई इबारतें दिखती हैं। इसलिए मुझे यह देखकर बहुत बुरा लगा था कि प्रदेश में श्रमिकों के कल्याण के लिए 56 वर्षों में कोई ठोस योजना ही नहीं बनाई गई थी। हमने 30 लाख से अधिक श्रमिकों का पंजीयन किया, जिससे प्रसूति से लेकर पोषण, सेहत, शिक्षा, प्रशिक्षण, उपकरण, विवाह, बीमा सुरक्षा, सिलाई मशीन, साइकिल, निःशुल्क टिफिन, गर्म पौष्टिक भोजन, कौशल उन्नयन, ई-रिक्शा खरीदने 50 हजार रूपए का अनुदान सहित 78 योजनाओं का लाभ दिया।
सुख-दुःख का सबसे बड़ा पैमाना जीवन-मरण को ही माना जाएगा। यदि इस पैमाने पर छत्तीसगढ़ में आए बदलाव को देखें तो डेढ़ दशक पहले की उस स्थिति को याद करके आंखें नम हो जाती है कि जब एक लाख माताओं की प्रसूति के दौरान 365 माताएं अपने नवजात का चेहरा भी नहीं देख पाती थी। मातृ मृत्यु दर अब घटकर 173 हो गई है। इसी प्रकार शिशु मृत्यु दर भी 70 से घटकर 39 प्रति हजार हो गई है। बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण 48 से बढ़कर 76 प्रतिशत तथा संस्थागत प्रसव की दर 18 से बढ़कर 70 प्रतिशत हो गई है।
इस बदलाव के पीछे हमारी सरकार के साथ लाखों लोगों की मेहनत है, जिसमें मितानिन, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्रथम संदर्भन इकाई से लेकर जिला अस्पताल तक का अमला शामिल है। हम देश के ऐसे पहले राज्य हैं, जिसने सभी परिवारों को स्मार्ट कार्ड से 50 हजार रूपए तक प्रति वर्ष इलाज की सुविधा दी है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ केयर स्कीम ‘आयुष्मान भारत योजना’ के माध्यम से छत्तीसगढ़ में लगभग 40 लाख गरीब परिवारों को प्रतिवर्ष 5 लाख रूपए तक इलाज की सौगात दी गई है। इस योजना के तहत प्रदेश में सन् 2022 तक 51सौ उप स्वास्थ्य केन्द्रों को ‘वेलनेस सेन्टर’ के रूप में विकसित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री जी ने 2 अक्टूबर 2019 तक देश को ‘खुले में शौच मुक्त’ बनाने का आव्हान किया था। उनके मार्गदर्शन में हम एक वर्ष पहले ही महात्मा गांधी का सपना साकार करते हुए 2 अक्टूबर 2018 को ‘ओडीएफ छत्तीसगढ़’ का जय-घोष करेंगे। स्वच्छता से न सिर्फ सेहत का बल्कि नारी समाज को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन का वरदान भी मिला है। इसे जन-आंदोलन बनाने में महिलाओं की उत्साहजनक भागीदारी इसका जीवंत उदाहरण है।
आजाद भारत का आधी सदी से अधिक का समय गुजरने के बावजूद, आधी दुनिया कहलाने वाली हमारी माताओं, बहनों को रसोई घर में धुआं, घुटन, आंखों में जलन और सांस की बीमारियों से परेशान होना पड़ता था। ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ के अंतर्गत 36 लाख रसोई गैस कनेक्शन देकर हम उन्हें बड़ी राहत और स्वस्थ जीवन दे रहे हैं। मैं प्रदेश के महिला स्व-सहायता समूहों की लाखों सदस्यों को साधुवाद देता हूं, जिन्होंने न सिर्फ स्वावलम्बन, स्व-रोजगार बल्कि सामाजिक चेतना की अलख भी जगाई है।
महिलाओं तथा शिशुओं की सेहत और पोषण की व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव लाया गया है। पहले 21 हजार 125 आंगनवाड़ी केन्द्र थे, जो अब बढ़कर 52 हजार 474 केन्द्र हो गए हैं। मातृ-शिशु अस्पताल खोले जा रहे हैं। हाई स्कूलों, हायर सेकेण्डरी स्कूलों व कॉलेजों में ‘सेनेटरी नैपकिन एटीएम वेंडिंग मशीन’ स्थापित की जा रही है।
हमने देश में पहली बार खाद्य एवं पोषण सुरक्षा कानून बनाया, उसे लागू किया और 83 प्रतिशत जनसंख्या को भूख से निजात दिलाया। हमारी पारदर्शी और आदर्श पीडीएस माता-बहनों को समर्पित है। महिला सशक्तीकरण के लिए हमने पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण, शासकीय सेवा में 30 प्रतिशत आरक्षण, महिला स्व-सहायता समूहों को 3 प्रतिशत ब्याज पर ऋण, बेटियों को स्नातक तक निःशुल्क शिक्षा की सुविधा, संविदा में कार्यरत गर्भवती बहनों तथा मनरेगा में कार्यरत महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान वेतन सहित अवकाश जैसी अनेक सुविधाएं दी हैं।
अभावों से मुक्ति का रास्ता है अधोसंरचनाओं, सुविधाओं और अवसरों का विकास। सन् 2003 में बिजली संकट से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। पूरे प्रदेश में सब बिजलीघर मिलकर लगभग 4 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन करते थे। खेत, कारखाने, व्यापार, दफ्तर, अस्पताल, घर, गांव, शहर, डगर सभी जगह अंधकार था, लेकिन आज हम जगमग छत्तीसगढ़, पावर सरप्लस छत्तीसगढ़, पावर हब छत्तीसगढ़ के गौरवशाली नागरिक हैं।
इस बदलाव का कारण बनीं हमारी आकर्षक नीतियाँ, जिससे आज प्रदेश में लगभग 23 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होने लगा है। पारेषण और वितरण प्रणालियों में कई गुना वृद्धि और सुधार किया गया है। बिजली कटौती अब गुजरे जमाने की बात हो गई है और बिजली प्रदाय की गुणवŸाा आज का सच है। माननीय प्रधानमंत्री जी की ‘सौभाग्य योजना’ के तहत 8 लाख 36 हजार घरों को रोशन करने का काम हम कर रहे हैं।
आजाद देश के आजाद नागरिकों का सात दशकों बाद भी बेघर रहना वास्तव में पीड़ादायक है। वो तो अच्छा हुआ कि माननीय मोदी जी ने ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ लागू करके वर्ष 2022 तक सबको आवास देने का लक्ष्य तय कर दिया। वरना पुरानी परिपाटी में 17 हजार मकान ही अगर हर साल बनाए जाते तो पता नहीं कितनी पीढ़ियों को खुले आसमान तले रहना पड़ता। मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ में 11 लाख से अधिक परिवारों का, ‘अपना घर’ का सपना भी हम पूरा कर रहे हैं।
उस दौर में शहरों में सड़क ढूंढना मुश्किल था, गांवों के लिए तो कोई सोच ही नहीं थी। भला हो अटल जी की देन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का जिसके जरिए लगभग 30 हजार किलोमीटर सड़कें गांवों की जीवन रेखा बन चुकी हैं। अन्य योजनाओं से सड़कों की लम्बाई 30 हजार से बढ़कर 61 हजार किलोमीटर तथा डामरीकृत सड़कों की लम्बाई 11 हजार किलोमीटर से बढ़कर 27 हजार किलोमीटर हो गई है। पुलों की संख्या 155 से बढ़कर 995, रेलवे ओव्हर ब्रिज 3 से बढ़कर 15, बायपास 1 से बढ़कर 26 हो गए हैं।
बस्तर को देश और दुनिया से अलग-थलग, एक टापू बनाकर रखा गया था, लेकिन हमने सम्पर्क और संचार सुविधाओं की गंगा बहाकर इसे चारों ओर से जोड़ दिया है। नई सड़कें बनाने से बस्तर, छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों के साथ ही पड़ोसी राज्यों से भी जुड़ा है। विरासत में मिली 1 हजार 187 किलोमीटर रेल लाइनों को जब हमने दोगुना से अधिक करने का अभियान छेड़ा तो उसका सर्वाधिक लाभ भी बस्तर को मिला है। रावघाट- दल्लीराजहरा रेल नेटवर्क के जरिए बस्तर में रेल सेवा पहुंच चुकी है। जगदलपुर में हवाई अड्डा तैयार कर वहां उड़ान भी शुरू हो गई है। ‘बस्तर नेट’ के माध्यम से बस्तर संभाग के सातों जिले ‘इंटरनेट कनेक्टिविटी’ से भी जोड़ दिए गए हैं।
भारत नेट, बस्तर नेट, संचार क्रांति योजना के माध्यम से प्रदेश में कनेक्टिविटी का स्वर्ण युग आ गया है। ‘संचार क्रांति योजना’ (स्काय) के क्रियान्वयन से छत्तीसगढ़ में सामाजिक- आर्थिक विकास का सुनहरा अध्याय लिखा जा रहा है। वर्तमान में मोबाइल फोन का उपयोग प्रदेश में मात्र 29 प्रतिशत जनता कर रही है और केवल 68 प्रतिशत क्षेत्र में कनेक्टिविटी उपलब्ध है, जिसे बढ़ाते हुए 90 प्रतिशत से अधिक करने का लक्ष्य यह योजना पूर्ण कर देगी। दुर्गम और ग्रामीण अंचलों में भी समान सुविधाओं और अवसरों की आजादी प्रदान करने में ‘स्काय’ का अहम योगदान दर्ज होगा, जिसके तहत 16 सौ नए मोबाइल टॉवर स्थापित किए जा रहे हैं तथा 50 लाख स्मार्ट फोन का वितरण महिलाओं, ग्रामीणों एवं युवाओं को किया जा रहा है। यदि हम प्रदेश में कनेक्टिविटी विस्तार की औसत दर से चलते तो जनता के सशक्तीकरण का यह सपना, जो आज ‘स्काय’ से पूरा किया जा रहा है, उसे पूरा करने में कम से कम दो दशक और लग जाते।
आज मैं एक बार फिर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने हमारे राजस्व में 10 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि, नई खनिज नीति, प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र विकास योजना आदि उपायों से राज्य को आर्थिक शक्ति दी। जिसके कारण डीएमएफ से 36 सौ करोड़ रूपए की लागत के विकास कार्यों की स्वीकृति देना संभव हुआ है। खनिज क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं से लेकर रोजगार के अवसरों में वृद्धि की योजनाओं तक में इसका लाभ मिल रहा है।
माननीय प्रधानमंत्री जी ने प्रदेश के 10 जिलों को ‘एस्पिरेशनल जिलों’ के रूप में तवज्जो देकर नक्सल प्रभावित अंचलों में सुरक्षा और विकास के नए युग का सूत्रपात कर दिया है। आप लोगों को यह जानकर बहुत खुशी होगी कि आज राजधानी में जो तिरंगा झण्डा फहराया गया, वह ‘एस्पिरेशनल जिले’ दंतेवाड़ा की ‘शक्ति गॉरमेन्ट्स’ नामक महिलाओं की संस्था द्वारा बनाया गया है। ये तिरंगा न सिर्फ देश की आजादी का प्रतीक है, बल्कि महिलाओं की आर्थिक आजादी, पिछड़े समझे जाने वाले अंचलों की आर्थिक आजादी, उनके स्वावलम्बन और राष्ट्र निर्माण के लिए उनके बढ़ते योगदान का प्रतीक भी है।
भारत सरकार के सहयोग से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई निरंतर सफलता की ओर बढ़ रही है। हमने सुरक्षा बलों की संख्या, गुणवत्ता और मारक क्षमता बढ़ाने के लिए हर संभव उपाय किए हैं। हमने संविधान विरोधी, लोकतंत्र विरोधी, विकास विरोधी, जन विरोधी नक्सलवादियों का चेहरा बेनकाब करने और उनके हौसले पस्त करने में अहम सफलता अर्जित की है, जिससे नक्सलवाद का समूल खात्मा भी अतिशीघ्र हो जाएगा।
भाइयों और बहनों, आजादी के 56 सालों बाद 2003 में अगर प्रदेश की जनता गरिमापूर्ण जीवन-यापन के अवसरों और भोजन, पानी, दवाई, पढ़ाई, बिजली, खाद-बीज, सड़क-नाली, उपज का सही दाम जैसी बुनियादी सुविधाओं की उम्मीद कर रही थी, तो क्या उसे इसका हक नहीं था? क्या उसकी आकांक्षा सामान्य उम्मीद से ज्यादा थी? मेरा मानना है कि ये जनता का हक था, हक है और हक रहेगा। मुझे खुशी है कि जो काम 56 सालों में नहीं किए गए थे, उन्हें हमने सिर्फ 15 साल में कर दिखाया। ये उपलब्धियां जनता के आशीर्वाद, मेहनत, सुशासन, संवेदनशीलता और जनोन्मुखी नीतियों का नतीजा हैं।
अगर मैं वर्ष 2003 में हमारे द्वारा अभी तक किए गए कार्यों को ‘विजन’ के तौर पर बताता, तो शायद इसे ‘ख्याली पुलाव’ कहकर मजाक उड़ाया जाता, लेकिन हमने वह सब कुछ कर दिखाया, जो 2003 में कोरी-कल्पना ही कहलाता।
आज मैं आपको छत्तीसगढ़ के ‘विजन 2025’ में भागीदार बनने का आव्हान करता हूं। हम संकल्प लेते हैं कि जब छत्तीसगढ़ अपनी रजत जयंती मनाएगा, तब 25 साल के नौजवान छत्तीसगढ़ की जीएसडीपी आज से दोगुनी होगी। प्रति व्यक्ति आय भारत के 5 अग्रणी राज्यों में शामिल होगी। किसानों की आय दोगुनी होगी। प्रत्येक नागरिक का गुणवŸाापूर्ण चिकित्सा सुविधाओं पर अधिकार होगा। सबके पास अपना घर होगा। साक्षरता दर शत-प्रतिशत होगी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर हर बच्चे का हक होगा। सबके घर में सिर्फ नल कनेक्शन ही नहीं बल्कि इंटरनेट कनेक्टिविटी भी होगी। छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहर हवाई सेवा से जुड़े होंगे। हमारा छत्तीसगढ़ ना सिर्फ उद्यमिता और निवेश आमंत्रित करने में अव्वल होगा बल्कि अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजते हुए विकास की ऊंची छलांग लगाकर, देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनेगा। वर्ष 2025 में जब छत्तीसगढ़ अपनी रजत जयंती मनाएगा, तब यह स्मार्ट छत्तीसगढ़, हरित छत्तीसगढ़, सशक्त छत्तीसगढ़, समृद्ध छत्तीसगढ़, खुशहाल छत्तीसगढ़ होगा। दुनिया जानती है कि जब छत्तीसगढ़ की जनता कोई संकल्प लेती है तो उसे पूरा करने से कोई रोक नहीं सकता।
जय हिंद-जय छत्तीसगढ़