• बहुमंजिला इमारत खड़ा करने वाला मजदूर, छप्पर में रहने को है मजबूर।
• चैड़ियों की संख्या बढ़ी, पर सरकार की आँख नहीँ खुली।
• जब मजदूर मालिक बनेगा, तब छत्तीसगढ़ आगे बढ़ेगा।
जोगी एक्सप्रेस
रायपुर, छत्तीसगढ़ 01 मई 2017। 1 मई मजदुर दिवस के अवसर पर जनता कांग्रेस, छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रवक्ता भगवानू नायक ने कहा मजदूर विकास का आधार स्तंम्भ हैं मजदुरों के साथ ईंट जोड़ने का दिखावा करने वाले और विकास का झूठी गाथा पढ़ने वाले डॉ रमन सिंह जी और उनकी सरकार गरीब मजदुरों के साथ भी राजनीती करते है भाजपा के साढ़े 13 साल के कार्यकाल में विकास के सारे दावे खोखले है जो कि प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग तीन लाख से भी ज्यादा लोगों के रोजगार के अभाव में पलायन करना सरकार को आईना दिखाने के लिए काफी है, सरकार के पास मजदुरों के उत्थान को लेकर कोई ठोस योजना नहीं है जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हो। तत्कालीन यूपीए सरकार के द्वारा गांव के मजदूर को गांव में ही रोजगार देने की गारंटी मनरेगा योजना चलाई जो की प्रदेश में नाममात्र है, जिसमें में भी सरकार देश के अन्य राज्यों की तुलना सबसे कम मजदूरी देती है। सरकार ने किसानों की परवाह किए बिना उद्योगों को बढ़ावा दिया उनको पानी दिया यही कारण है कि एक समय सबसे अधिक सिंचित जांजगीर चांपा आज सबसे अधिक पलायन कर रहा है। प्रदेश में 100 से भी अधिक स्पंज आयरन है लेकिन रोजगार का टोटा है, रोजगार के अभाव के कारण चैड़ियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है, जिसमें सुबह से शाम तक मजदूर रोजगार को तरसता रह जाता है, शाम को खाली हाथ घर लौटता है, भूखे पेट परिवार को सुलाने वाला मजदूर या तो कर्जा में डूब जाता है या आत्महत्या कर लेता है।भाजपा राज में मजदुर कभी मालिक तो नही बन सका बल्कि और भी गरीब होता चला गया है। इस प्रकार सरकार की मजदूरों के प्रति उदासीनता के चलते छत्तीसगढ़ का गरीब मजदूर अपने परिवार का पेट भरने अपने घर , आंगन, खेत खलियान, रिश्ते दार, पशुधन को छोड़कर, समाज से दूर होकर जम्मू कश्मीर, गुजरात, मुम्बई, यूपी आदि राज्यों में पलायन कर पसीना बहा रहा जो दुःख का विषय है और डॉ रमन सिंह जी विकास के झूठे ढोल पीटते रहते है । नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर, सरगुजा, राजनांदगांव जिले के भी कई गांव सुरक्षा के अभाव में गांव के गांव खाली हो गए जो अन्य प्रदेशों को अपना आसरा बनाने मजबूर है। आगे भगवानू नायक ने कहा चाहे प्रदेश में पुल, पुलिया, सड़क बनाने की बात हो, बहुमंजिला ईमारत के निर्माण या रेल लाइन बिछाने की बात हो या फिर चट्टानों को तोड़कर रास्ता बनाने की बात हो सभी प्रकार के उत्पादन करने में हमारे मजदूर का खून और पसीना लगता है लेकिन यह दुर्भाग्य है कि जो खुद दूसरों के लिए पक्का मकान बनाता है जो दूसरों को सुख देता है वह खुद छप्पर के मकान में और दुःख में रहता है, आभाव में जीता है सिर्फ सरकार कि अनदेखी की वजह से। सरकार को मजदूरों के जीवन की कोई परवाह नहीँ है, न ही उनके भविष्य को लेकर कोई योजना बनाना चाहती है। प्रदेश के विकास के साथ ही मजदूर का विकास होना जरूरी है है, प्रदेश का मजदूर जब मालिक बनेगा तब छत्तीसगढ़ आगे बढ़ेगा ।