ग्रामोद्योग मंत्री पुन्नूलाल मोहले ने ग्रामोद्योग विभाग के काम-काज की समीक्षा की
रायपुर, ग्रामोद्योग मंत्री पुन्नूलाल मोहले ने आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में विभागीय अधिकारियों की बैठक में रेशम विकास, हस्तशिल्प, माटीकला और ग्रामोद्योग बोर्ड के कार्यों की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रामोद्योग की विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को समय पर लाभांन्वित करें। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यस्था में ग्रामोद्योग विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। श्री मोहले ने कहा कि राज्य के अधिक से अधिक ग्रामीण शिल्पियों और हितग्राहियों को लाभांन्वित किया जाए। ग्रामोद्योग विभाग के हथकरघा विभाग के अंतर्गत विभागीय योजना के तहत इच्छुक ग्रामीणों को बुनाई कार्य का प्रशिक्षण प्रदान करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में ग्रामोद्योग से सम्बद्ध हथकरघा, रेशम, हस्तशिल्प, माटीकला और ग्रामोद्योग बोर्ड की विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं को राज्य के लगभग तीन लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रही है। इसमें हथकरघा कपड़ा बुनाई से लगभग 53 हजार बुनकर, स्कूली बच्चों के गणवेश सिलाई इत्यादि में छह हजार महिलाओं को रोजगार मिला है। रेशम कृमिपालन, कोसा उत्पादन और धागाकरण से 83 हजार हितग्राहियों को लाभांन्वित किया जा रहा है। इसी तरह से सिल्क कला, माटी कला और खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड की योजनाओं से करीब दो लाख लोगों को रोजगार मिला है। बैठक में जानकारी दी गई कि शासकीय वस्त्र प्रदाय योजना के तहत शासन के विभिन्न विभागों के लिए हथकरघा कपड़ों और स्कूली बच्चों के लिए गणवेश कपड़ों के उत्पादन से राज्य के बुनकरों को नियमित रूप से रोजगार दिलाया जा रहा है। राज्य में कार्यशील बुनकर सहकारी समितियों की संख्या 111 से बढ़कर 245 हो गई है। इस वर्ष के अंत तक इनकी संख्या बढ़कर 260 से ज्यादा हो जाएगी।
राज्य में ग्रामोद्योग विभाग के सभी घटकों के अंतर्गत हितग्राहियों के समग्र विकास के लिए पांच वर्षीय ग्रामोद्योग नीति 2016-17 तैयार की गई है। जिसमेें ग्रामोद्योग से जुड़े सभी व्यवसायों के माध्यम से राज्य के सात लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य है। चालू वित्तीय वर्ष में ग्रामोद्योग विभाग के 155 करोड़ 59 लाख रूपए का बजट प्रावधान किया गया है।
बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य के सभी जिलों में 13 हजार 3 सौ 95 हेक्टेयर क्षेत्र में टसर पौधों से कृमिपालन का कार्य किया जा रहा है। जिसमें इस साल 30 करोड़ 50 लाख नग टसर ककून उत्पादन होने का लक्ष्य है। इससे 92 हजार हितग्राहियों को फायदा होगा। प्रदेश के 9 हजार से ज्यादा हस्तशिल्पियों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बैठक में ग्रामोद्योग विभाग के सचिव श्री हेमंत पहारे, प्रबंध संचालक खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड श्री आलोक अवस्थी, प्रबंध संचालक माटीकला बोर्ड श्री सुधाकर खलखो, संचालक ग्रामोद्योग तथा हस्तशिल्प श्री के.डी. कुंजाम सहित राज्य के सभी जिलोें से आए हथकरघा, रेशम, हस्तशिल्प, माटीकला और खादी ग्रामोद्योग के अधिकारी उपस्थित थे।