November 23, 2024

अकाल की स्थिति के बावजूद 13 लाख मनरेगा मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाना रमन सरकार का मजदूर विरोधी चेहरा उजागर : कांग्रेस

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रायपुर/ यूपीए सरकार की महत्वकांक्षी जीवनदायिनी योजना महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) पर भाजपा ने हमेशा ही यदा-कदा प्रयास कर उससे मिलने वाले लाभ को दुष्प्रचारित करने का कार्य किया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा है कि प्रदेश में 2016-17 में 38 लाख परिवारों के 82 लाख मज़दूरों को मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड किया गया इसमें से मात्र 55 लाख मजदूरों को ही रोजगार मिल रहा है, 13 लाख बेरोजगार हैं। जिन्हें मनरेगा में काम मिला उनमें भी महज 72 हज़ार 904 मजदूर ही ऐसे हैं जिन्हें सौ दिन से ज्यादा काम मिल पाया। यह स्थिति तब की है जब कि मनरेगा में रजिस्टर्ड मजदूरों को साल भर में 150 दिन का रोजगार मुहैया कराने का नियम है। प्रदेश में मनरेगा के 38 लाख परिवार रजिस्टर्ड है उनमें 13 लाख लोगों को रोजगार नहीं मिलना सरकार की मजदूर विरोधी मानसिकता को उजागर करता है। गरीब, किसान, मजदूर अंतिम व्यक्ति की चिंता करने का ढोंग रचने वाली भाजपा का चेहरा बेनकाब हो चुका है। मजदूरी के अभाव में प्रदेश के मजदूर अन्य राज्यों की ओर बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं और सरकार इसे झूठा तथ्य करार देती है। पिछले 14 वर्षों से प्रदेश में भाजपा की सरकार है। 80 प्रतिशत कृषि प्रधान प्रदेश होने के चलते राज्य की आर्थिक स्थिति का मुख्य आधार कृषि ही है। भाजपा सरकार से किसान-मजदुर सबको घोर निराशा हुयी है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में मानसून की बेरूखी के चलते अवर्षा, अल्पवर्षा व खण्ड वर्षा से किसान भाईयों की खरीफ फसल को भारी क्षति, नुकसान होने से अकाल पड़ा है। कांग्रेस ने प्रदेश के किसान-मजदूर भाईयों की लड़ाई लड़ते हुए उनका हक दिलाये जाने हेतु लगातार राज्य सरकार पर दबाव बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार को 21 जिलों के 96 तहसील को सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ा, किन्तु शासन द्वारा सूखा प्रभावित जिलों के लिये जिलेवार सूखा क्षतिपूर्ति राशि घोषित किये जाने के पश्चात भी सूखाग्रस्त क्षेत्रों के किसानों को अभी तक सूखा क्षतिपूर्ति व फसल बीमा क्षतिपूर्ति राशि प्रदाय नहीं कर किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। ऐसे हालातों में उन परिवारों को जीवन यापन का कार्य मनरेगा के माध्यम से किया जाना चाहिए था, मगर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने वर्ष 2016 विधानसभा जैसे लोकतंत्र के मंदिर में खड़े होकर झूठ बोला कि राज्य के हालातों को देख मनरेगा में 100 दिनों के रोजगार को बढ़ाकर 200 दिन कर दिया गया है लेकिन ठीक 1 वर्ष बाद 2017 में शासकीय आंकड़ों में 200 दिनों के रोजगार की जगह मात्र 37 दिनों का रोजगार दिया गया।

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