घने जंगल के बीच बसे सोनपुर में अरिवन्द की दुकान में मिलता है जरूरत का समान
नारायणपुर –सफलता की हर किसी की अपनी-अपनी कहानी होती है। कहते है कि अगर आप को सफल होना है तो यह जरूरी नहीं कि आप बहुत ज्यादा पढ़े लिखे हो तभी सफल इंसान बन सकते हो, सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता वो तो मेहनत करने से मिलती है जो लोग मेहनत नहीं करते वो कभी आगे नहीं बढ़ सकते है। घने जंगलों के बीच-बसे गांव सोनपुर के युवा अरविन्द ने आई.टी.आई की पढ़ाई बीच में छोड़कर जरूरी घरेलू सामान की दुकान खोली। उनके दुकान में नमक मिर्ची दाल-चीनी, तेल से लेकर नमकीन, बिस्कुट सहित अन्य सामग्रियां मिलती हैं। छत्तीसगढ़ में माओवादियों को गढ़ कहे जाने वाले नारायणपुर जिले के कई इलाके ऐसे है जहां आम आदमी आने-जाने सेे कतराता है। सोनुपर गांव भी उन्हीं इलाकों में से एक है, यहा गांव चारों ओर पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा है। जिले के कई इलाकें अब भी पहुंचबिहीन है।अरविन्द बताते है कि कुछ वर्ष पहले चौमासे (बारिश) में घर में खाने-पीने का सामान खत्म हो गया था, और दूर-दूर तक कोई बाजार भी नहीं, ऊपर से बारिश का मौसम जरूरत का समान सिर्फ साप्ताहिक हॉट-बाजार में मिलता था। तब में आई.टीआई की पढ़ाई कर रहा था। उन्होंने आर्थिक समस्या और लोगों की मजबूरी को देखते हुए दुकान खोलने का विचार उनके मन में आया। पढ़े लिखे होने के कारण उन्होंने शासकीय योजनाओं की ओर रूख किया। जल्द ही उन्हें अनुसूचित जनजाति शहीद वीर नारायणसिंह योजना के तहत दुकान निर्माण के लिए दो लाख रूपए का ऋण कम ब्याज दर पर मिला। घर पर ही दुकान का निर्माण कराया। धीरे-धीरे दुकान चलने लगी। सोनपुर के साथ ही आसपास के इलाके के लोग जो अब तक साप्ताहिक हाट-बाजार का इंतजार नहीं करते थे वो अब अपनी जरूरत का समान किसी भी समय भंडारी की दुकान ले रहे है। आज अरविन्द दूरस्थ जंगल इलाके में बैठकर भी 8-10 हजार रूपए महिना कमा रहा है। इसके साथ ही लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ लेने के लिए भी जागरूक कर रहे है। अरविन्द ने बताया कि 2055 रूपये की प्रतिमाह ऋण की अदायगी करते है।अरविन्द की खूबी की चर्चा इलाके में दूर-दूर तक पहुंच गई है। पिछले महिने कलेक्टर श्री टोपेश्वर वर्मा अरविन्द का हौसला बढ़ाने के लिए माओवादी गढ़ सोनपुर पहंुचे। उनके साथ एसडीएम श्री दिनेश नाग और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री के.एस. मसराम भी मौजूद थे। कलेक्टर ने अरविन्द की दुकान अवलोकन करते हुए उससे आत्मीय बातचीत की और शासन से जो भी मदद चाहिए उसे पूरा करने का आश्वासन दिया।