रायपुर मरवाही विधायक अमित जोगी ने प्रशासन को नींद से जगाने के लिए एक मर्मस्पर्शीपत्र लिख कर उजड़े परिवारों की वेदन को बट्टे हुए कहा की मे ये पत्र मै काफी व्यथित हो कर लिख रहा हूँ। पीछे दिनों रायपुर जिले के छेड़ी खेडी गांव से बेदखल किये गए 200 परिवार मुझ से मिलने पहुचे थे। उनके आँखों में आंसू और अपने अन्धकारमय भविष्य की चिंता थी। मुझे लगता है की इस के लिए हम जनप्रतिनिधि जिम्मेदार है। आप के निर्देशन में छेड़ी खेडी में विधायको के लिए बंगला का निर्माण किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए छेड़ी खेड़ी में बसे इन 200 परिवार जनों को हटाया जा रहा है।
इन गरीबो को हटा कर हम जैसे विधायको के लिए आलीशान बंगलों का निर्माण बिलकुल भी उचित प्रतीत नही होता हैं। इस परिसर में मुझे भी बँगला आबंटित किया गया है। मुझे लगता है की उन दो सौ परिवारों को उनके घर से हटा कर उनके आँखों में आंसू ला कर हम विधायक अपने आबंटित घरो में खुशी के साथ नही रह पायेगे। महात्मा गांधी ने कहा था कि सुशासन में विकास को तभी सार्थक माना जाएगा जब हम गरीबों के आंसू पोछकर उनकेे चेहरो पर मुस्कान लाने में सफल होंगे।
मुख्य मंत्री जी, हम दुसरो का आशियाने उजाड़ कर अपने अरमानो का महल नही बना सकते। आप इन दिनों अपने ”लोक सुराज“ अभियान के जरिये जनता का राज स्थापित करने का सन्देश लेकर जगह जगह जा रहे है लेकिन विधायकों के घरों के निर्माण के लिए 200 परिवारों को हटाये जाना ”लोक उजाड“़ अभियान सा लगता है। ऐसे समय में सत्गुरू कबीर जी की ये पक्तियाँ याद आती है..
गरीब को मत सताईए, जाकि मोटी हाय।
मुए चाम की आग से लौह भस्म हो जाय।।
आशा करता हूं कि आप इन पक्तियों के निहितार्थ को समझकर लोक हित में उचित फैसला लेगे! मैं आपके गरीबों की आह लेने वाली योजना का सहभागी नहीं बनाना चाहता। कृपया इस प्रोजेक्ट में ऐसी व्यवस्था कि जाए की उन गरीबों के चेहरे में मुस्कान आ सके। मुझे उम्मीद है इस बात से सभी विधायक भी सहमत होगें।