शाम होते ही मैखानें मे तब्दील होता है मिनी स्टेडियम
वादे हैं वादों का क्या?
बैकुण्ठपुर– जिला मुख्यालय के मिनी स्टेडियम की स्थिति किससे छुपी है कुछ बेवडों की आदत हो चूकि है शाम होते स्टेडियम मे शराब पी कर शराब की खाली बोतलें वहीं छोड़ कर चले जाते हैं। अगर यह कहा जाए कि रामानुज मिनी स्टेडियम ओपन बार के रूप में तब्दील हो चुका है। तो किसी भी प्रकार की अतिशयोक्ति नहीं होगी।
शराब पीने के बाद खाली पड़ी बोतलें, टूटे कांच के टुकड़े, डिस्पोजल गिलास, नमकीन के खाली पैकेट सुबह मॉर्निंग वॉक करने वालों के मन, मष्तिष्क को भले ही विचलित करते हो । लेकिन यह शराब की खाली बोतलें कोरिया पुलिस प्रशासन की पुलिसिया व्यवस्था पर करारा तमाचा है। शराबियों द्वारा शराब पीने के बाद खाली बोतलों को स्टेडियम की सीढ़ियों में फोड़ दिया जाता है। जिससे उसके कांच से नौनिहाल बच्चों को कई बार चोटिल भी होना पड़ता है। सुबह टहलने वाले कुछ भद्रजन स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरणा लेकर शराब की खाली बोतलों के साथ अन्य कचरों को इकट्ठा कर किसी खाली बोरी में किनारे फेंक देते हैं। लेकिन रोजाना यह भी संभव नहीं है। इस रामानुज मिनी स्टेडियम के मैदान में यहां से राष्ट्रीय स्तर तक के खिलाड़ियों को जन्मा है। लेकिन अब इस मैदान में वह बात नहीं रही। आपको बता दें कि लगभग 8 माह पूर्व स्वर्गीय केपी सिंह स्मृति फुटबॉल प्रतियोगिता का एक बड़ा आयोजन किया गया था। तब छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के प्रतिष्ठित अभिवक्ता महेंद्र दुबे ने मंच सेबइस मैदान की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की थी और उन्होंने शाम को शराबियों के जमावड़े को लेकर बात भी कही थी। उस वक्त वहां मौजूद एडिशनल एसपी श्रीमती निवेदिता पाल शर्मा ने उपस्थित लोगों को यकीन दिलाया था कि इस रामानुज मिनी स्टेडियम में शराबियों के जमावड़े नहीं लगने दिए जाएंगे और ऐसे लोगों पर कार्यवाही की जाएगी। लेकिन वादे हैं वादों का क्या?
इसी मंच पर कोरिया जिले के कलेक्टर नरेंद्र दुग्गा ने भी डीएमएफ मद से इस मैदान के सौंदर्यीकरण एवम इसमें घास लगाने का वादा भी किया था। इस दौरान खेल मंत्री भईया लाल राजवाड़े स्वयं मैदान में उपस्थित रहे। लेकिन एक बार फिर वादे हैं वादों का क्या?
कुल मिलाकर अब यह मैदान शाम ढलते ही खुली वादियों में ठंडी हवाओं के बीच शराब पीने का आनंद लेने का केंद्र बन चुका है। कभी इस मैदान में भव्य आयोजन हुआ करते थे। लेकिन कालांतर में जब इस मैदान को कुछ समय के लिए युवा एवं खेल कल्याण विभाग ने देख-रेख के लिए लिया तो इस मैदान की हरी घास को हटाकर उसमें बजरी गिट्टी डाल दी गई। जिसके बाद से यह मैदान इतना बंजर हुआ कि अब इसने होनहार खिलाड़ियों को जन्म देना ही बंद कर दिया।