अस्पतालों में नीम-हकीम, बैगा, गुनिया तांत्रिकों की भर्ती कब :धनंजय सिंह
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी, सुविधाओं का अभाव मरीज बैगा से इलाज कराने मजबूर
रायपुर/ अंबिकापुर के सरकारी अस्पताल में पेड़ से गिरे मरीज का बैगा के द्वारा इलाज किये जाने के समाचारों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी है सुविधाओं का अभाव है समय पर उचित और और सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण मेडिकल कालेज में भर्ती मरीजों के परिजन नीम हकीम झाड़-फूंक करने वाले बैगा गुनिया से नींबू, मिर्ची, कालाधागा की टोटका से इलाज कराने मजबूर है। उन्होंने कहा कि राज्य के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा शुगर का इलाज कराने में सरकारी अस्पताल के बजाय कंबल बाबा पर ज्यादा विश्वास करते हैं। जब सरकार के जिम्मेदार लोगों को ही सरकारी अस्पताल के इलाज में भरोसा नहीं है तो निश्चित तौर पर आम मरीजों का भी भरोसा सरकारी इलाज से टूटा है। गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा ग्रामवासी दूषित पेयजल से किडनी रोग से ग्रसित है। मेकाहारा का शासकीय अस्पताल भी भरोसे के लायक नहीं रहा रोगी अस्पताल छोड़ पलायन को मजबूर है। सरकारी अस्पतालों की बदहाली और राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें नहीं मिलने के चलते सुपेबेड़ा के मरीजों ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर दूसरे राज्य में जाने को इजाजत मांगी थी। इसी कारण उनको अंधविश्वास की ओर रुख करना पड़ा है। राज्य सरकार पर तंज कसते हुये पूछा सरकारी अस्पतालों में नीम-हकीम, बैगा, गुनिया तांत्रिकों की भर्ती कब कर रहे है? राज्य में इनके प्रचार-प्रसार के लिये अंधविश्वास मंत्रालय का गठन कब कर रहे है? नीम-हकीम, बैगा, गुनिया तांत्रिक बनाने संस्थान कब खोल रहे है? उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करने का दावा करती है लेकिन हालात देखकर लगता है कि सरकार के दावे और हकीकत में कोसो तक कोई मेल नही है। सरकारी अस्पतालों में गम्भीर बीमारी के ईलाज कराने भर्ती मरीजों को बेड नहीं होने के कारण जमीन पर लेटकर इलाज कराना पड़ता है, दवाइयों की कमी के कारण बाजार से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ती है, सरकारी अस्पताल में अपेक्षित स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों पर महंगी इलाज कराना पड़ता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अन्य राज्यो से छत्तीसगढ़ को बेहतर बताने के दावे की पोल खुलती है राज्य के मुख्यमंत्री स्वयं चिकित्सक हैं उसके बावजूद छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य का पायदान नीचे स्तर पर है बस्तर सरगुजा के सरकारी अस्पतालों में 75 प्रतिशत से अधिक चिकित्सक एवं स्टाफ की कमी है समय पर एंबुलेंस नहीं मिल पाता है मरीजों को कावड़ में लादकर अस्पताल लाया जाता है और अब मेडिकल कालेज के अस्पताल की यह हृदय विदारक घटना उजागर हुयी है।