वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य : छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने विशेष ध्यान देने की जरूरत: बृजमोहन अग्रवाल
रायपुर,कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने छोटे और सीमांत किसानों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। किसानों में सबसे ज्यादा संख्या छोटे और सीमांत किसानों की होती है। इन किसानों को एकीकृत खेती के लिए जागरूक करने की जरूरत है। एकीकृत खेती से छोटी जोत में भी किसानों की आमदनी बढ़ेगी। श्री अग्रवाल आज यहां शासकीय कृषि महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में छत्तीसगढ़ के किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य के तहत आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला के समापन समारोह में इस आशय के विचार व्यक्त किए। राज्य शासन के कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा संयुक्त रूप से कार्यशाला का आयोजन किया गया। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने सबसे पहले उत्पादन लागत कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए। उत्पादन लागत कम होने से किसानों की आय बढ़ेगी। उन्होंने किसानों के हित में समूह बनाने पर जोर दिया और कहा कि इससे छोटे-छोटे किसानों को मदद मिलेगी। श्री अग्रवाल ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने उन्हें उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्नत खेती के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। प्रदेश सरकार ने इस ओर खास ध्यान दिया है। प्रदेश में ’प्रति बूंद-अधिक फसल’ की अवधारणा में सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम कम पानी में अधिक रकबे में सिंचाई करने में सबसे कारगार साबित हो रहा है। श्री अग्रवाल ने बताया कि महानदी में हरदी एनीकट में सूक्ष्म सिंचाई योजन से तीन हजार हेक्टेयर में ड्रिप से सिंचाई करने की योजना शुरू की गई है। छत्तीसगढ़ में नदी-नालों में 700 से ज्यादा एनीकट बनाए गए हैं। एनीकटों के पानी से ड्रिप और स्प्रिंकलर द्वारा अधिक से अधिक रकबे में सिंचाई की जा सकती है। प्रदेश सरकार ने धान फसलों की सिंचाई ड्रिप और स्प्रिंकलर से करने की योजना बनाई है। पूरे प्रदेश के लिए 50 माइक्रो एरीगेशन की योजना तैयार कर ली गई है। माइक्रो एरीगेशन सिस्टम सामूहिक खेती में ज्यादा सफल होगा। इसके लिए किसानों के समूह बनाने की जरूरी है।श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने खेती की लागत कम करने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की है। किसानों को खेती शुरू करने बिना ब्याज के अल्पकालीन कृषि ऋण दिया जा रहा है। सिंचाई पम्पों के लिए सात हजार यूनिट तक निःशुल्क बिजली दी जा रही है। रियायती दर पर उन्नत बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी किसानों को उनकी खेती की जमीन का हेल्थकार्ड उपलब्ध कराया गया है। किसानों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए आगे आना होगा। कृषि मंत्री ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत बतायी। उन्होंने कहा कि जैविक खेती के लिए शायद छत्तीसगढ़ सबसे उपयुक्त राज्य है। यहां के वन क्षेत्रों में किसान बड़ी संख्या में जैविक खेती करते हैं। प्रदेश सरकार ने जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए भी रोड मैप तैयार कर लिया है। प्रदेश के पांच जिले को पूर्णतः जैविक खेती जिला बनाने कार्य किया जा रहा है। श्री अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पोस्ट हार्वेस्टिंग की दिशा में जरूर कम काम हुए हैं। इस दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है। कृषि उपज के सुरक्षित भण्डारण और प्रसंस्करण यूनिट शुरू करने के लिए अधिक प्रयास किया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ में साग-सब्जियों, मसाला फसलों और फलों की खेती का रकबा और उत्पादन तेजी बढ़ा है। इनमें से कुछ उत्पादों को चिन्हित कर प्रसंस्करण उद्योग लगाकर किसानों की आय बढ़ायी जा सकती है। कृषि मंत्री ने किसानों से आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें संगठित होकर खेती और विपणन के लिए आगे आना चाहिए। श्री अग्रवाल ने कहा कि कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों और आर्थिक सलाहकारों द्वारा दिए गए सुझावों को कार्य रूप में खेतों तक पहुंचाएं और इन सुझावों के आधार पर खेती करने किसानों को समझाएं। किसानों को एकीकृत खेती अपनाना चाहिए। धान की खेती के साथ-साथ बागवानी, पशुपालन, मछली पालन करने से किसानों की आय बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों की आय जरूर बढ़ी है, लेकिन ऐसे किसानों की संख्या मात्र 10-15 प्रतिशत है, जो बड़े किसानों की श्रेणी में आते हैं। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पाने के लिए छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना होगा। कृषि विभाग के सचिव श्री अनूप श्रीवास्तव ने कार्यशाला के उद्देश्यों और राज्य शासन द्वारा किसानों की बेहतरी के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता की। संचालक कृषि श्री एम.एस. केरकेट्टा, संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ.एस.एस. राव और सीआईएफईटी के पूर्व निदेशक डॉ. आर.टी.पाटील भी कार्यशाला के समापन समारोह में उपस्थित थे। दो दिवसीय कार्यशाला में प्रति बूंद-अधिक फसल प्राप्त करने के लिए सिंचाई पर विशेष जोर, प्रत्येक खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य पर आधारित गुणवत्तायुक्त बीजों एवं पोषक तत्वों की व्यवस्था, फसल कटाई के पश्चात उपज का नुकसान रोकने के लिए भण्डार घरों और कोल्डचैन के निर्माण में अधिक निवेश करने, खाद्य प्रसंस्करण के जरिए कृषि उपज मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय कृषि मंडी के सृजन, विसंगतियों के निराकरण, मंडियों में ई-प्लेटफार्म की स्थापना, उचित कीमत पर जोखिम को कम करने के लिए नई फसल बीमा योजना के साथ-साथ पशुपालन, मछलीपालन, कुक्कुटपालन, मधुमक्खी पालन, रेशम, लाख और बांस उत्पादन को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर कृषि विशेषज्ञों ने चर्चा की।