चिरमिरी नगर निगम में समस्यों का अम्बार जनता की नहीं नेताओं की खुशामद में पूरा प्रशासन
चिरमिरी / छत्तीसगढ़ राज्य के 13 बड़े रिहायशी शहर जो कि नगर पालिक निगम दर्जा प्राप्त है उनमें से एक चिरमिरी शहर भी है .जनसंख्या और विकास की दृष्टि से देखा जाय तो अन्य निगम अपने सीमा में जनसंख्या, विकास और अन्य सुविधाओं से उत्तरोत्तर वृद्धि की ओर अग्रसर है, किंतु वही चिरमिरी अवनति की ओर जाता जा रहा है और इसे रोक पाने में किसी भी जन अधिकार प्राप्त व्यक्ति की न तो दिलचस्पी दिखती है और न ही क्षमता, शहर जोकि देश के मानचित्र में कोयला उत्खनन के लिये सुविख्यात रहा, आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ता देखा जा सकता है चिरमिरी कोलांचल में कोयला कम्पनी के कर्ताधर्ता खानाबदोश की तरह अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है बंद होती खदानों पर एयर कंडीशनर कार्यालय में बैठ फैसले लिए जा रहे है। क्षेत्र में अन्य कोयला के भंडार के नये नीति के तहत उत्खनन और स्वीकृति की कोई कार्ययोजना पर सकारात्मक नजरिया नही दिखाई देता । कोल प्रबंधन द्वारा जो जैसा है उसे वैसे ही
चलने दो की नीति शहर के अस्तित्व को खोखला बनाती जा रही है वही जनाधिकार प्राप्त नुमाइंदे आपसी मतभेद, पार्टी एजेंडा, विरोध की राजनीति का चाबुक चला अपना अपना अस्तित्व बचाते नजर आ रहे है। आगामी भविष्य को लेकर शहर और इस शहर की जनता आशंकित है। जब भी शहर के स्थायित्व और विकास की बात होती है तो चिरमिरी शहर में हिस्सेदारी दो विभागों में विभक्त हो जाता है। एसईसीएल विरुद्ध नगर निगम व राज्य शासन कोई कहता है बंद होती खदानों को पुन: चालू करने के लिये कोयला प्रबंधन कोई कार्ययोजना नही बनाता तो दूसरा पक्ष कहता है कि हम हमारी कार्ययोजना बनकर तैयार है पर स्वीकृति के लिये शासन की पेचीदगियां बाधक बना हुआ है। दोनो पक्ष अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग की राह पर आड़े है। और पीस रही है तो यहां की जनता शहर में अच्छी सड़के, स्वच्छ पेयजल, श्रेष्ठ चिकित्सा व्यवस्था, अच्छी शिक्षण संस्थान, आवगमन की आदर्श व्यवस्था रोजगार सृजन जैसी बुनियादी व्यवस्था आदि का नितांत अभाव होता जा रहा है । इस दिशा में शहर के अन्य स्थानों के साथ वार्ड नं 17 के कैंटीन दफाई के निवासियों कोल डस्ट से कष्टदायक एवं नारकीय जीवनयापन करने को मजबूर है।
यहाँ के निवासी बच्चों समेत विभिन्न प्रकार के बीमारियों से ग्रसित हो रहे है विशेषकर साँस से संबंधित, गले में इन्फेक्शन इत्यादि कोल डस्ट से संबंधित निराकरण हेतु न जाने कितने ही बार एसईसीएल प्रबंधन, निर्वाचित जन प्रतिनिधियों, जिलाधीश, आयुक्त को स्थानीय वासियो द्वारा द्वारा ज्ञापन दिया गया है। लेकिन अब तक ठोस सतत् समाधान नही किया गया है .बस थोड़ी बहुत पानी का छिड़काव करके अपने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाता है .इसी तरह जल आपूर्ति में भी साफ पानी नही आ रहा है। क्षेत्र में मटमैला पानी प्रदाय किया जा रहा है। पीएचई विभाग के जल शुद्धिकरण में कोई दिलचस्पी नही दिखा रहा और इस समस्या की ओर किसी का भी ध्यान नही है। लोग जर्जर सड़क, कोल डस्ट से प्रभावित कालोनियों तथा प्रदूषित पेयजल पीने को मजबूर हो रहे है। समय रहते क्षेत्र की तमाम समस्यों को बिंदुबार रेखांकित कर समाधान के लिये सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है। जिसे आमजनो को राहत मिल सके।