उतई —झोला छाप डॉक्टरों पर कार्यवाही सरकार की 14 वर्षों की विफलता का परिणाम है की ,1लाख करोड़ का वार्षिक बजट होने के बाद भी रमन सरकार आज इस छोटे से प्रदेश छत्तीसगढ़ के गाँव में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने में नाकाम साबित हुई है उक्त बाते सतीश पारख दुर्ग जिला प्रवक्ता जनता कांग्रेस जोगी ने व्यक्त किये ।उन्होंने कहा की एम बी बी एस डॉक्टर तो 50 ,60गाँव के बिच एक अस्पताल जहाँ उनकी पोस्टिंग होती है वहाँ भी पूरा समय पूरी ईमानदारी के साथ अपनी सेवाएं नही दे पाते ।अनेक बार मरीज तड़पता रहता है अस्पतालों में डॉक्टर नही रहती ।ऐसी स्थिति में जिन्हें झोला छाप कहकर अपमानित किया जा रहा वही ग्रामीण छेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा संभाले हुवे है प्राथमिक उपचार ग्रामीणों की इनसे करवाना मजबूरी नही जरूरत है क्योंकि महंगा इलाज करवाना हर किसी के बस की बात नही ।डॉ रमन जी स्वयम् एलोपेथिक इलाज के लिये डिग्री धारी नही है किन्तु मुख्यमन्त्री बनने के बहुत पहले तक कवर्धा के अपने क्लीनिक में एलोपेथिक इलाज करते थे और मरीज उनकी रमन मेडिकल से उनकी लिखी एलोपेथिक दवाइयाँ लेते थे ।मैंने स्वयम् 2 से 3 बार स्वास्थ्य खराब होने पर उनसे इलाज करवाया है तब उन्होंने एलोपेथिक दवाइयाँ लिखी ।ये कहानी नही सच्चाई है ।ये उन दिनों की बात है जब मैं स्कुल पढ़ते अपनी बहन के यहाँ 2 ,2 महीना गर्मी की छुट्टियों में रहा करता था ।अस्वस्थ होने पर डॉ रमन जी की दवाई लेता था ।जब उनकी लिखी एलोपैथिक दवाई से मुझे कुछ नही हुवा तो गाँव में इलाज कर रहे डॉक्टर जिन्हें आप झोला छाप कहकर परेशान कर रहे उनके इलाज से क्यों किसी को नुकसान होगा ।।यदा कदा केश तो एम बी बी एस के भी बिगड़ जाते है इसका मतलब क्या ये कहा जाय की उसकी डिग्री फर्जी है ।सतीश पारख ने कहा की डॉ रमन जी यदि झोला छाप कहकर उनके इलाज को ग्रामीण के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ समझते है तो पहले गाँव गाँव एम बी बी एस डॉक्टर की सुविधा 24 घण्टे उपलब्ध करवाये फिर इन पर ऊँगली उठाये या कार्यवाही की बात करे ।पारख ने कहा की ग्रामीण छेत्र में सेवा दे रहे ये डॉक्टर पढ़ कर डिग्री भले नही पा सके हों किन्तु इनमे से अधिकांश अच्छे डॉक्टरों के पास रहकर गढ़े हुवे है जिनका प्राथमिक इलाज किसी डिग्री धारी डॉक्टर से कम नही ।अतः सरकार को चाहिये की ये फालतू की कार्यवाही बंद करे ।ग्रामीण जो इनके इलाज से संतुष्ट है उनके मन में इनके प्रति गलत भावना डालकर उन्हें मरने को मजबूर ना करे ।