भागवत कथा के अंतिम दिन हुआ सुदामा चरित्र और सहस्त्रधारा का चित्रण
पोडी वेस्ट चिरमिरी मे धूम धाम से हुआ सात दिवसीय श्रीमद भागवत ज्ञान कथा का समापन
चिरमिरी ।महिला मंडल पौड़ी वेस्ट चिरमिरी के द्वारा सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान कथा के अंतिम दिन बाल व्यास आनंद कृष्ण शास्त्री जी महाराज परीक्षित मोक्ष सुदामा चरित्र सहस्त्रधारा विषयों का चित्रांकन करते हुए कथा का समापन किया व्यासपीठ से बाल व्यास आनंद कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने राजा परीक्षित को श्रृंगी ऋषि श्राप से अवगत कराते हुए कहा कि अवधूत कर्म भगवान श्री कृष्ण की कृपा से अभिमन्यु नंदन राजा परीक्षित अपनी मां के कोख में अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से जल जाने पर भी नहीं मरे जिस समय ब्राह्मण के शराब से उन्हें डसने के लिए तक्षक आया उस समय वह प्राणनाथ के महान वैसे भी भयभीत नहीं हुए क्योंकि उन्होंने अपना चित्र भगवान श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित कर रखा था उन्होंने सब आसक्ति छोड़ दी गंगा तट पर जाकर श्री सुखदेव जी महाराज से उपदेश ग्रहण किया और इस प्रकार भगवान के स्वरुप को जानकर अपने शरीर को त्याग दिया ।
बाल व्यास महाराज जी ने आगे बताया कि जब तक पृथ्वी पर अभिमन्यु नंदन महाराज परीक्षित सम्राट रहे तब तक चारों ओर व्याप्त हो जाने पर भी कलयुग का कुछ भी प्रभाव नहीं था वैसे जिस दिन जिस क्षण श्रीकृष्ण ने पृथ्वी का परित्याग किया उसी समय पृथ्वी में अधर्म का मूल कारण कलयुग आ गया था भ्रमर के समान सरग्राही सम्राट परीक्षित कलयुग से कोई द्वेष नहीं रखते थे क्योंकि वह मानते थे कि पुण्य कर्म तो संकल्प मात्र से ही फलीभूत हो जाते हैं परंतु पाप कर्म का फल शरीर से करने पर ही मिलता है संकल्प मात्र से नहीं ।
बाल व्यास आनंद कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने सुदामा चरित्र पर श्री कृष्ण और सुदामा के मित्रता पर प्रकाश डालते हुए सभी लोगों में इसे अलौकिक बतलाते हुए कहा कि निर्धनता भी भगवान श्री कृष्ण के मार्ग में सुदामा के लिए बाधा नहीं बन पाई और मात्र एक मुट्ठी चावल से ही भगवान श्री कृष्ण ने अपना सब कुछ निछावर कर दिया और सहस्त्रधारा पर प्रकाश डालते हुए व्यास पीठ पर बैठे बाल व्यास आनंद कृष्ण जी शास्त्री महाराज ने इस सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान कथा का समापन किया।
2 मई से कलश यात्रा वह भागवत महत्वम् से आरंभ हुई भागवत ज्ञान कथा क्रमशः भीष्म प्रतिज्ञा सती चरित्र कपिलो प्रदेश शंकर पार्वती विवाह भक्त पहलाद चरित्र वामन अवतार रामजन्म श्री कृष्ण जन्मोत्सव गोवर्धन पूजा कृष्ण बाल लीला कंस वध रुक्मणी विवाह रास गरबा आज चरित्रों को पार करते हुए परीक्षित मोक्ष सुदामा चरित्र वह सहस्त्रधारा पर कथा का समापन हुआ ।