छत्तीसगढ़ के किसानों के हित में अभियान को चुनौती के रूप में लें अधिकारी: सचिव बोरा
अधिकारियों का प्रशिक्षण आज से शुरू
रायपुर, छत्तीसगढ़ में तीन हजार से अधिक लघु सिंचाई योजनाओं की रूपांकित क्षमता के अनुरूप सिंचाई सुविधाएं विकसित करने के अभियान के तहत जल संसाधन विभाग के मैदानी अधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू हो गया है। प्रशिक्षण के प्रथम चरण में आज प्रदेश के चार संभागीय मुख्यालयों रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर और अम्बिकापुर में जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंताओं और उप अभियंताओं को सिंचाई जलाशयों की वास्तविक स्थिति का सर्वेक्षण करने के लिए बनाए गए मोबाईल एप ‘सीजीडल्ब्यूआरडी सर्वे’ के संचालन के संबंध में मूलभूत जानकारियां दी गई। अभियान के तहत राज्य के एक हजार 698 लघु सिंचाई जलाशयों, 766 एनीकट और स्टाप डेम तथा 585 व्यपवर्तन योजनाओं का सर्वेक्षण करके सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने कार्ययोजना बनेगी। पहले सिंचाई योजनाओं का चरणबद्ध ढंग से सर्वेक्षण किया जाएगा। सर्वे से जुड़े अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
जल संसाधन विभाग के सचिव श्री सोनमणि बोरा ने आज यहां जल संसाधन विभाग के डाटा सेंटर और ट्रेनिंग सेंटर में आयोजित प्रशिक्षण में शामिल अधिकारियों को इस अभियान के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की महत्वकांक्षी योजना के तहत ही छत्तीसगढ़ में यह अभियान शुरू किया गया है। छत्तीसगढ़ के किसानों के हित में यह दूरगामी परिणाम देने वाला अभियान है। छत्तीसगढ़ में जल संसाधन विभाग में पहली बार नई पहल करते हुए इस तरह अभियान शुरू किया गया है। इसमें प्रदेश की सिंचाई योजनाओं की रूपांकित सिंचाई क्षमता और वास्तविक सिंचाई के बीच के अंतर को दूर करने की कार्ययोजना बनाई गई। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि 26 मई तक अभियान में शामिल सिंचाई योजनाओं का सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करना है। रिपोर्ट में सम्बंधित योजनाओं की वास्तविक स्थिति की जानकारी आनी चाहिए। योजनाओं से सिंचित रकबे का सही आंकलन किया जाना हैं। उन्होंने बताया कि सर्वे के लिए तैयार सीजीडब्ल्यूआरडी एप में पिछले पांच वर्षों के सिंचाई आंकड़े दिए गए हैं।
श्री बोरा ने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान सिंचाई योजनाओं के फोटोग्राफ्स एप में अपलोड करते समय अधिकारी विशेष रूप से सावधानी बरतेंगे। उन्होंने कहा कि अभियान में शामिल सिंचाई योजनाओं में से अनेक योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें छोटे-छोटे मरम्मत और सुधार कार्य कराने की जरूरत है। सर्वे के दौरान इस तरह के कार्यों का ले-आउट तैयार कर लिया जाए, ताकि बरसात से पहले ऐसे कार्य कराकर सिंचाई सुविधाएं बढ़ाई जा सके। इनमें से बहुत सारे काम सर्वेक्षण के बाद 10-15 दिनों में पूरे हो सकते हैं। श्री बोरा ने कहा कि छोटे-छोटे मरम्मत के कार्य पूरे होने से आगामी छह महीने में ही अच्छे परिणाम आएंगे। आने वाले खरीफ मौसम में ही सिंचाई का रकबा बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि जल संसाधन के मामले में समृद्ध छत्तीसगढ़ में हर खेत तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में यह अभियान हमारे सामने एक चुनौती है। विभाग के सभी अधिकारियों को इस चुनौती को स्वीकार करना है और किसानों के हित में पूरी निष्ठा के साथ काम करना है।
उन्होंने अभियान के तहत सर्वे कार्य से विभाग के जुड़े मैदानी अमले को विभिन्न विभागों के संभागीय, जिला, तहसील और विकासखण्ड के अधिकारियों के साथ समन्वय कर अभियान को पूरा की जिम्मेदारी दी। श्री बोरा ने कहा कि सर्वे के बाद सिंचाई योजनाओं में जरूरत के अनुरूप निर्माण और सुधार कार्य कराने के लिए संबंधित जिलों में संचालित विभिन्न योजनाओं से धनराशि स्वीकृत कराई जा सकती है। जल संसाधन सचिव ने कहा कि प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं की रूपांकित सिंचाई क्षमता 20 लाख हेक्टेयर है। परन्तु वर्तमान में अधिकतम 13 लाख हेक्टेयर में वास्तविक रूप से सिंचाई हो रही है। सिंचित रकबे के इस अंतर को दूर करने के उद्देश्य से ही अभियान शुरू किया गया है।
श्री बोरा ने अधिकारियों को सर्वेक्षण के दौरान आगामी बरसात से पहले सिंचाई योजनाओं के आस-पास व्यापक पैमाने पर वृक्षारोपण करने के लिए भी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नहरों के किनारों पर भी वृक्षारोपण किया जा सकता है। प्रदेश के सभी बड़े सिंचाई जलाशयों के नजदीक समुदायिक वन विकसित करने की कार्ययोजना भी बनाई जाए। वृक्षारोपण और वन विकास के लिए जिला प्रशासन की योजनाओं से सहायता ली जा सकती है। इस अवसर पर अधीक्षण अभियंता श्री बड़िये, मुख्य अभियंता श्री पवार, कार्यपालन अभियंता श्री अजय श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।