बिलासपुर –जिले के गौरेला विकासखंड में अमरकंटक से लगे हुए पहाड़ो के बीच स्थित ग्राम ठाड़पथरा में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। पहाड़ों से घिरे होने के कारण अन्य गांव की तुलना में अंधेरा पहले से ही पसर जाता है। गांव की महिलाओं को सारा घरेलू काम जल्दी निपटाना पड़ता है, ताकि रात में दिक्कत न हो। इनकी जिन्दगी रात में थम सी जाती है। लेकिन इस गांव के निवासियों की जिन्दगी शीघ्र ही बदलने वाली है। महिलाओं को अब खाना पकाने की जल्दी नहीं होगी और न बच्चों को ढ़िबरी की रोशनी में आंख गड़ाकर पढ़ने की जरूरत होगी। इस गांव में शीघ्र ही 88 किलोवाट का सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित हो रहा है। इसका कार्य अंतिम चरण में है। इसके द्वारा गांव के 260 घरों में बिजली पहुंचेगी। गांव के सड़कों में भी रोशनी होगी।  इसी विकासखंड के आदिवासी बैगा बाहुल्य ग्राम वेदखोंदरा, मगरदंत, चाटीडांड, गौरपुरी, बगदरा, पटपरी, डुबराटोला, आमाडोब, छुटकीखार, भनवारटंक में लगभग 3 करोड़ की लागत से सौर विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इन बैगा बाहुल्य ग्रामों के 500 परिवारों के घर सौर बिजली की रोशनी से जगमग है। इन ग्रामों में सौर संयत्र की स्थापना कर घरों में बिजली पहुंचाई गई है। जहां तकनीकी दिक्कतों की वजह से विद्युत लाईन नहीं पहुॅचाया जा सका था। प्रत्येक घर में 160 वाट तक बिजली उपभोग की सुविधा है, जिससे घरों में टी.व्ही., 2 पंखा, 4-5 बल्ब यहां तक छोटा फ्रिज भी चला सकते हैं। प्रत्येक घर में 3 एलईडी बल्ब और 1 सॉकेट पांईट दिया गया है। अब इस क्षेत्र में निवास करने वाले बैगाओं की जिन्दगी आसान हो गई है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण द्वारा मार्च 2018 तक राज्य के 2 हजार से अधिक गांव, पारों, मजरा टोलो में सौर ऊर्जा संयत्र और होम लाईन सिस्टम के माध्यम से बिजली पहुॅचाई गई है। जिससे दूर-दराज के वन और पहाड़ से घिरे गांवों में निवास करने वाले जनजाति परिवारों का जीवन रौशन हो गया है। गांवों में पेयजल के लिए 7239 और सिंचाई के लिए 36026 सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप भी लगाए गए हैं।