हैंडपंप पर आश्रित ग्रामीण, बंद पड़ी नल-जल योजना
जोगी एक्सप्रेस
75ः गांव प्यासे !
गर्मी का मौसम आते ही गांव में पीने के पानी की परेषानी होने लगी है। जिले के लगभग 75 फिसदी पंचायातों के लोग प्यासे है।इन पंचायतो मे अभी भी न तो नल जल योजनाएं है और न ही पानी के दीगर साधन। कंुए सुख रहे है और नलकुपों का पानी भी पाताल में पहुच रहा है।जिन गांव में नल जल योजनाएं चल रही है।उनके हाल भी बेहाल है। जिले की 286 ग्राम पंचायत में महज 56 ग्राम पंचायतों को पेयजल की सुविधा मिल पा रही है।षेष 236 ग्राम पंचायतो के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
तीन तरह की योजनाएं
पीएचई विभाग द्वारा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों मे तीन तरह की योजनाओ का संचालन कर पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। 500 की आबादी से कम गांवों में हैण्डपम्प, 1000 आबादी वाले गांवो में 15 लाख रुपए खर्च कर मुख्यमंत्री पेयजल और लधु सिचाई योजना, 1000 से अधिक आबादी वाले गांवों में 25 लाख रुपए की लागत से नल जल योजना के तहत पानी की आपूर्ति की जाती है। लेकिन अधिकाष गांवों में बिजली की दिक्कत और कटौती के कारण यह योजनाएं ठप पड़ी है।
653 गांवो में योजना संचालीत है।
जिले के 179 गांवों में मुख्यमंत्री पेयजल योजना, लधु सिचाई योजना, लधु सिंचाई योजना और नल जल योजना संचालित कि जा रही है। इनमें से 40 बंद पड़ी है योजनाओ में से एक दर्जन योजना योजनाओं के पम्पों की खराबी और बिजली कनेक्षन नहीं होने से बंद पड़ी है। इसी तरह 7 नल जल योजनाओं का जल श्रोत सूखने के कारण बंद हो गई है। वही 3 योजनाओं की पंप लाइन क्षतिग्रस्त होने से जबकि 17 अन्य योजनाएं बिजली बिलों समेत अन्य कारणों से बंद है।
ग्राम पंचायतों ने नहीं दिए प्रस्ताव
ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कमी के लिए ग्राम पंचायतों द्वारा पीएचई विभाग को नल जल योजना के लिए प्रस्वात तैयार कर भेजना था, लेकिन ग्राम पंचायतों द्वारा प्रस्ताव नहीं देने के कारण पीएचई विभा ग्राम पंचायतो में नल जल योजना के लिए प्रस्ताव शासन को नहीं भेजा गया जिससे अब गर्मी के दिनों में पानी की कमी होना स्वभाविक बताया जा रहा है। वजह यह बताई जा रही है। कि प्रस्ताव के बाद ही शासन द्वारा राषि का आंवटन किया जाता है।
मजबूरन पी रहे झरनो का पानी
पीने की पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण अधिकांष गांवों के लोग पानी के पंरपरागत स़्त्रोतो पर निर्भर है। गांवों में मौजुद कुंओ और बावडीयों के पानी की कभी सफाई नहीं होती है और ना ही इनके पानी का उपचार किया जाता है। गर्मी आते आते यह पंरपरागत भी साथ छोड़ देते है। वही योजनाएं बंद होने के कारण लोगों को गर्मी के दिनों में मीलो दुर पानी के लिए तय करनी पड़ती है।हालात ऐसे बन जाते है कि पठारी और जगंली क्षेत्र के दर्जनों गांवो मे जंगली नाले और झरनो से अपनी प्यास बुझाते है।इन नालों और झरानो का पानी दुषित होने के कारण ग्रामीणों को कई जल जनित बीमारीयां होती है।
इन ब्लाको में ज्यादा समस्या
वैसे तो जिले भर के ग्रामीण क्षेत्रो मे पानी की समस्या बन रही है, लेकिन खड़गावा, पटना,सोनहत, और बैकुंठपुर के अधिकांष गांवो मे समस्या ज्यादा दिखाई दे रही है।
बैकुंठपुर के 30, खड़गावा के 16, और भरतपुर के 29 एंव मनेन्द्रगढ़ के 21 गांव षामील है। इन गांव मे पानी की गंभीर समस्या को देखते हुए प्रषासन ने भी इनको चिन्हित किया है।
वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
नल जल योजनाएं बंद होने और पानी की व्यवस्था नहीं होने पर भी ग्रामीणों क्षेत्रो में प्रषासन द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। जनपदों के इक्का दुक्का गांवों में विधायक और सांसद निधि से पानी की टंकी बनी तो है, पर बने सालो हो बए पर आज तक उनमे पानी ही नही भरा जा सका। और नही ही टेंकरो से ग्रामीणों की प्यास बुझा पाई।