नरोदा पाटिया दंगा: गुजरात हाईकोर्ट ने कहा SIT की जांच में खामियां
अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 नरोदा पाटिया दंगा मामलों की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) को फटकार लगाते हुए कहा कि उसकी जांच में कई खामियां थीं. न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया की खंडपीठ ने यह भी कहा कि एसआईटी ने जो जांच की है उस पर अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता. एसआईटी का गठन वर्ष 2008 में सु्प्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया था.
हाईकोर्ट ने एक दिन पहल बीजेपी सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत 17 अन्य को बरी कर दिया था जबकि बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी समेत 13 लोगों की दोषी माना था. निचली अदालत से बरी किए गए तीन अन्य लोगों को भी हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया. कोडनानी को वर्ष 2008 में एसआईटी ने ही पहली बार आरोपी बनाया था.
दंगे में 97 लोगों की हुई थी हत्या
नरोदा पाटिया दंगा मामले में भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी थी. हाईकार्ट ने बाबू बजरंगी सहित 13 व्यक्तियों की दोषसिद्धि बरकरार रखी और पहली बार तीन और व्यक्तियों को दोषी ठहराया. वहीं अदालत ने 2012 में एक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराये गए 32 लोगों में से 18 को बरी कर दिया.
माया कोडनानी 2002 में बीजेपी की विधायक थीं और निचली अदालत ने उन्हें नरोदा पाटिया हत्या मामले की ‘सरगना’ बताते हुए 28 साल की सजा सुनायी थी. गुजरात दंगों के दौरान नरोदा पाटिया सबसे भीषण घटना थी. कोडनानी 2007 में गुजरात की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनीं. हालांकि मार्च 2009 में उन्होंने मामले में गिरफ्तार होने पर इस्तीफा दे दिया.