विभाग को किसानो की नहीं ब्यापारियों के हित की है चिंता ?
समाचार के बाद भी कार्यवाही नहीं मतलब साफ…..
बाजार से मंहंगे दामों मे डीएपी यूरिया खरीदने को मजबूर अन्नदाता
ब्योहारी। कहने को तो सरकार किसान के हित मे नित नये नियम क़ानून बना रही है किन्तु उसका पालन कराने वालों को किसान की नहीं ब्यापारियों के हित की चिंता सता रही है। बाजार मे मंहगे दामों मे डीएपी यूरिया व नकली खाद बीज बिक रहा है उस पर कार्यवाही न कर जिम्मेदारो द्वारा संरक्षण दिये जाने का आरोप किसानो द्वारा लगाया ज़ा रहा है। किसानो की कमाई का जरिया मात्र खेती ही है जिससे वह अपना एवं अपने परिवार का लालन पालन करता है, यदि उसे नकली खाद एवं बीज मिल गया तो उसके साल भर के मेहनत मे पानी फिर जायेगा और जमा पूंजी भी खत्म हो जायेगी, वह कर्ज दार हो जायेगा। कई बार कर्ज से परेशान होकर कई किसान आत्महत्या भी कर चुके है किन्तु कोई जिये या मरे इसकी परवाह विभाग के आला अधिकारियो को नहीं, वह ब्यापारियों से सांठ गांठ कर अपनी जेब भरने मे लगा है और जांच के नाम पर मात्र खानापूर्ति किया ज़ाना बताया ज़ा रहा है। नाम न छापने की शर्त में एक किसान द्वारा बताया गया की मै ब्योहारी मे खाद लिया जंहा दुकानदार द्वारा उच्च गुणवत्ता वाला खाद बता कर 350 रूपये प्रति बोरी यूरिया एवं 1550 रूपये मे डीएपी दिये जाने की बात बताई गयी जबकि शासन द्वारा यूरिया सहकारी समितियों के साथ साथ ब्यापारियों को 266.50 मे यूरिया एवं 1350 रूपये मे डीएपी किसानो को दिये जाने के निर्देश दिये जाने कि खबर है। वंही कुछ किसानो द्वारा यह भी आरोप लगाया ज़ा रहा है कि कुछ ब्यापारियों द्वारा नकली खाद बीज बेचा ज़ा रहा है जिसे दुकान मे न रख गोदाम मे रखे हुए है। ब्योहारी क्षेत्र के बाजार मे मंहगे दामों मे ब्यापारियों द्वारा बेंचे ज़ा रहे डीएपी यूरिया खाद के संबंध मे समाचार भी प्रकाशित किया गया इसके बाद भी विभाग के जिम्मेदारो द्वारा उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया और न ही कोई कार्यवाही की गयी जिसके लिये किसानो द्वारा कलेक्टर महोदय शहडोल से किसान हित मे उक्त बात को संज्ञान मे लेकर निष्पक्ष जांच हेतु टीम गठित कर जांच करा कार्यवाही किये जाने की मांग की ज़ा रही है। अब देखना यह है कि कलेक्टर महोदय इसे कितनी गंभीरता से लेते है और क्या कार्यवाही करते है।