विधानसभा मनेंद्रगढ़ में टिकट को ले कर चल रही बड़ी उथल पुथल
विधानसभा मनेंद्रगढ़ में टिकट को ले कर चल रही घमासान क्या अब अंतिम मोड़ पर? कांग्रेस की आला कमान किसके हाथों में सौंपेगी डोर, किसकी कट रही है टिकट?
एमसीबी-एक तरफ भाजपा ने संभाग के चौदह सीटों में कुल तेरह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों का टिकट पितृपक्ष में जारी ना करते हुए, पितृपक्ष के खत्म होते ही कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट आ जाएगी सुचि आ जाएगी, उसके बाद निश्चित रूप से तय होगा कि किस विधानसभा से किस प्रत्याशी की सीट कंफर्म हुई।
ये दौर तो जारी रहेगा ही रहेगा, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यहां यह है कि ब्लॉक अध्यक्ष को बदलना कहीं ना कहीं पार्टी के अंदरूनी मतभेदों को उजागर करता है, क्योंकि कांग्रेस ने स्पष्ट कहा था कि एक विधायक से ले कर एक मंत्री तक अपने ब्लॉक अध्यक्ष के समक्ष समस्त आवेदन प्रस्तुत करेगा, उसके बाद ही वहां से कैरी फॉरवर्ड किया जाएगा, तो इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यहां पर पार्टी में चल रही अंतर्कलह देखी जा रही है, यहां पर प्रबल दावेदार मनेंद्रगढ़ से प्रभा पटेल, चिरमिरी से वर्तमान विधायक डॉ विनय जयसवाल, नगर पालिक निगम चिरमिरी के पुर्व में महापौर रह चुके के. डमरू रेड्डी और विनय उपाध्याय हैं। उसके बावजूद ऐसा होता नज़र नहीं आ रहा है कि प्रबल दावेदारी पेश करते वर्तमान विधायक डॉ विनय जयसवाल को सफलता मिल रही हो, वहीं बात करें अगर प्रभा पटेल की तो विधानसभा मनेंद्रगढ़ क्षेत्र में क्षेत्रवाद फैक्टर काफी ज़्यादा हावी हो रहा है, जहां विधायक की प्रबल दावेदार प्रभा पटेल का चिरमिरी और खड़गवां से वोट कट सकता है, यहां से प्रभा पटेल को वो मजबूती जो मनेंद्रगढ़ से मिल सकती है, इन क्षेत्रों में उनकी कठिनाइयां बढ़ सकती हैं।
जहां तक सोशल मीडिया की बात करें तो, यह साफ स्पष्ट नज़र आ रहा है कि डॉक्टर साहब का टिकट कट रहा है, क्योंकि कहीं ना कहीं बड़ी बड़ी न्यूज़ एजेंसियां अपने एक्ज़िट पोल में इस बात को उजागर कर चुकी हैं कि वर्तमान विधायक के लाख संघर्षों के बाद भी उनका नाम लगभग कट चुका है।
यदि बात करें चुनावी माहौल की तो समस्त विधानसभाओं में विधानसभा मनेंद्रगढ़ का चुनावी माहौल बड़े ही गहमागहमी से भरा अक्सर नज़र आता है, मगर विधानसभा मनेंद्रगढ़ में चुनावी दौर असल मायने में काफ़ी आसान होता है, जहां कांग्रेस के पास चुनावी रणभूमि में उतारने के लिए बड़े बड़े नेताओं के चेहरे होते हैं, वहीं भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा ही नहीं है, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि फिर हारे हुए चेहरे पर दांव खेलने और चुनाव लड़ने को तैयार हैं भाजपा, या तो यूं कहें कि भाजपा के पास बड़े चेहरे होने के बावजूद भी हारे हुए प्रत्याशी पर दांव लगाया जाता है, क्या ऐसी असमंजस सी स्थिति में भाजपा के टिकट फाइनल होने के बाद कांग्रेस में अंतर्कलह सी बातों की सत्यता को उजागर करेगा? और क्या वर्तमान विधायक डॉ विनय जयसवाल भी चाहते थे कि उनका सामना श्याम बिहारी जयसवाल से हो और श्याम बिहारी जयसवाल भी चाहते थे कि उनका मुकाबला वर्तमान विधायक डॉ विनय जयसवाल से हो? इन सभी परिस्थितियों को देखने के बाद क्या अंदेशा लगाया जा सकता है? क्या जयसवाल एंड जयसवाल कंपनी फिर से दुबारा इस क्षेत्र में राज करेगी?
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश की राजधानी में विधायक डटे हुए हैं, कि उनका टिकट फाइनल हो जाए, जो कि होता हुआ नज़र नहीं आ रहा है? ये सिलसिला बस यहीं नहीं थमा मगर, वर्तमान विधायक डॉ विनय जयसवाल जिनकी धर्मपत्नी नगर पालिक निगम चिरमिरी की वर्तमान महापौर हैं, जिन्होंने अपने दमखम का प्रदर्शन करने की मनोस्थिति लिए अपने पार्षदों को ले कर रायपुर रवाना हुई।
उपर से लोगों द्वारा सोशल मीडिया में बीस हजारिया जैसे टिप्पणियां करते हुए तंज कसा जा रहा है, आखिर ये बीस हजारिया है क्या वो तो विधायक के समर्थक ही जानें और जो सोशल मीडिया पर तंज कसते दिखाई दे रहे हैं वो लोग ही जानें?
इन सभी दिलचस्प व्याख्याओं से एक कहावत याद आ गई कि “जब चिड़िया चुग गई खेत, तो अब पछताए क्या होए”, ये जो मुहावरा है, ये विधानसभा मनेंद्रगढ़ में जगजाहिर होता नज़र आ रहा है, सोशल प्लैटफॉर्म में वर्तमान विधायक के समर्थक टिकट की मांग को लेकर चिल्ला चिल्ला कर थक जा रहे हैं मगर परिस्थितियों को देख कर समझ आ रहा है कि उनकी टिकट कट रही है, मगर क्यों? इस पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
अब ये बड़ी विडंबना होगी कि विगत विधानसभा चुनाव जीतने के बाद और उनके समर्थकों का उनके नाम क्षेत्र भर में वाह वाही लूटने के बाद भी यदि उनके समर्थक पार्षदों को उनके नाम पर मोहर लगने की मांग को ले कर राजधानी रायपुर का चक्कर लगाना पड़ सकता दौरा करना पड़ता है तो ऐसी जीत का क्या मतलब होता है?
चिरमिरी शहर से प्रत्याशियों के चयन करने की बात पर मानें तो वर्तमान में सुर्खियों में बने हुए हैं विनय उपाध्याय एवं के. डमरू रेड्डी, इसमें एक महत्वपूर्ण बात गौर करने वाली यहां यह भी है कि सरगुजा संभाग में सरगुजा पैलेस का एक बड़ा योगदान रहा है, चुंकि छत्तीसगढ़ के वर्तमान में उप मुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव के समर्थक विनय उपाध्याय हैं और यह भी हो सकता है कि यदि यहां पैलेस का जादू चला तो विनय उपाध्याय को मिल सकता है टिकट, लेकिन जनता की मानें तो यदि कांग्रेस का कोई प्रबल दावेदारी पेश करने वाला नेता है चिरमिरी शहर में तो वो है के. डमरू रेड्डी।
इन सब तथ्यों से हट कर बात करें तो यदि किसी तरह टिकट लाने में वर्तमान विधायक डॉ विनय जयसवाल सफल होते हैं तो कहीं ना कहीं भाजपा के पुर्व विधायक श्याम बिहारी जयसवाल के लिए रास्ता साफ और सरल हो सकता है, जीत के लिए, जहां विधानसभा मनेंद्रगढ़ में क्षेत्रवाद सदैव हावी रहा है, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि चिरमिरी एवं खड़गवां फैक्टर से ही हार या जीत पिछ्ले हर चुनाव में देखी गई है। अब देखना यह है कि आला कमान विधानसभा चुनाव मनेंद्रगढ़ में किसके हाथों में यहां की डोर संभालती है?